“जिसके लिए उठाई थी शमशीरे सरे आम, अब वक़्त निकल गया तो वो पहचानते भी नहीं। कि राजनीती इसी को कहते हैं काम ख़तम आदमी ख़तम।”
ये शायरी अपने आप में बहुत कुछ कहती है और मौजूदा समय में रुद्रपुर के ज्यादातर शीर्ष नेता अपने विधायक शिव अरोरा को लेकर दबी जुबां से यही हाल बयां करते दिखते हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में 2 बार से बीजेपी के विधायक रहे राजकुमार ठुकराल को जहाँ मौजूदा विधायक और उस समय बीजेपी के ऊधमसिंह नगर के जिलाध्यक्ष शिव अरोरा ने जिस तरह से अपने चक्रव्यूह में फसाया और जहाँ ना केवल उनका टिकट कटवाया वहीं बीजेपी के अन्य पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी उनकी छवि धूमिल करते हुए सबके चहेते नेता बन कर पार्टी से विधानसभा का टिकट लेकर चुनावों में जीत दर्ज की।
बता दें बीजेपी का अपना एक अलग जनाधार है फिर चाहे छोटे से छोटा कार्यकर्त्ता हो या फिर शीर्ष नेता सभी मोदी रथ पर सवार होकर चुनावी रण में जीत हासिल करने का सपना पूरा करते हैं, आज देश के हर कोने में बीजेपी का हर छोटे से छोटा कार्यकर्त्ता भी मोदी के नाम पर अपना सब कुछ लुटाने के लिए आमादा रहता है और उसी का फायदा 2022 विधानसभा चुनावों में रुद्रपुर सीट पर मौजूदा विधायक शिव अरोरा को भी मिला, जहाँ सभी कार्यकर्ताओं ने शिव अरोरा को टिकट मिलने पर ना केवल अपने पुराने साथी और दो बार के विधायक और हिंदू हृदय सम्राट कहे जाने वाले राजकुमार ठुकराल से दूरिया बना लीं बल्कि चुनावों में दिन रात एक कर पार्टी द्वारा चुने हुए नए चेहरे पर विश्वास जताते हुए उन्हें जीत भी दिलवाई।
अगर जिले के कई शीर्ष नेताओं और अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सुनें तो जो भरोसा उन्होंने नए चेहरे पर जताया था आज कहीं ना कहीं दबी जुबान से अपनी अनदेखी का दर्द यदा कदा बयां करते दिख जाते हैं और इसका सीधा प्रमाण कई समारोहों और कार्यक्रमों में उन शीर्ष नेताओं की अनुपस्थिति से देखा जा सकता है। कई शीर्ष नेता तो यहाँ तक अलग थलग पड़े हैं कि विधायक जी की अनदेखी से नाराज हो कर कोई मौजूदा सांसद की शरण में हैं या कोई राज्य के अन्य कैबिनेट मंत्रियों की शरण में है।
ऐसे ही एक शीर्ष नेता ने अपना नाम ना उजागर करने की शर्त पर यहाँ तक कह दिया की मौजूदा विधायक शिव अरोरा विधायक बनने के बाद अपने कुछ गिने चुने सगे संबधियों से घिरे रहते हैं, या गिने चुने कुछ ही पार्टी नेताओं से घिरे रहते हैं जिनका कल तक कहीं भी बीजेपी से कोई सरोकार नहीं था, उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि ये वही सगे सम्बन्धी हैं जो पहले दूसरी पार्टी का झंडा ले कर चलते थे पर अब सत्ता की मलाई खाने के लिए सबसे आगे हैं, अपनी बात में ये भी कहा कि कहीं आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव और निगम चुनावों में रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा द्वारा की जाने वाली अनदेखी से कहीं बीजेपी को नुकसान ना उठाना पड़ जाए।
वहीं दूसरे शीर्ष नेता तो यहाँ तक कह गए कि 5 साल बाद जब ज़रूरत पड़ेगी तो सब हिसाब होगा और जो अनदेखी पिछले 1.5 साल में मौजूदा विधायक शिव अरोरा द्वारा सभी शीर्ष नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की हुई है उसे समय पर याद दिलाया जाएगा। और कहीं ना कहीं जिले के वो सभी शीर्ष नेता आज अपने पुराने विधायक और साथी राजकुमार ठुकराल के भी गुण गाते दिखते हैं। ऐसा ही एक मामला अभी हाल ही में सोशल मिडिया पर भी देखने को मिल रहा है जहाँ एक कार्यकर्त्ता ने ना केवल विधायक शिव अरोरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है वहीं उनके पोस्टों और कमेंट से विधायक शिव अरोरा द्वारा उन जैसे कितने ही कार्यकर्ताओं की अनदेखी का दर्द भी देखा जा सकता है।
खैर अब ये तो आने वाला वक़्त और चुनाव ही बताएगा की क्या रुद्रपुर सीट पर भी कहीं कर्नाटक चुनाव जैसी स्तिथि होती है, जहाँ कार्यकर्त्ताओ की नाराजगी का असर बीजेपी को सत्ता गवा कर देखना पड़ा था या फिर अभी भी समय रहते मौजूदा विधायक सभी शीर्ष नेताओं और कार्यकर्त्ताओ की नाराजगी दूर कर लेंगे।