उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिपेक्ष की बात करें तो ये एक ऐसा समृद्ध प्रदेश है जहाँ सभी पांचो तत्वों का समन्वय है इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि भी कहते हैं। और ज़रूरत है तो इस प्रदेश में विकास और उन्नति की सम्भावनाओं को बनाने की, नए नए प्रयास करने की जिस से उत्तराखंड प्रदेश की जनता को अलग अलग क्षेत्रों में काम करने की और स्वरोजगार करने का मार्ग मिले। इन्हीं सम्भावनाओं को और उत्तराखंड के लोगों को मछली पालन के क्षेत्र में जोड़ने के लिए सचिव मस्त्य, पशुपालन डा. बीआरसी पुरूषोत्तम ने सोमवार को भीमताल मत्स्य प्रक्षेण का निरीक्षण किया। उन्होंने भीमताल झील में 20 हजार महाशीर, कामन कार्प, ग्रास कार्य मत्स्य का संचय किया। उन्होंने कहा कि ट्राउट और महाशीर स्थानीय मछलियाँ हैं जिनका व्यावसायिक महत्व है। पर्वतीय क्षेत्रों में ट्राउट प्रजाति की मछली पालन की अधिक संभावना के दृष्टिगत इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारिता के माध्यम से क्लस्टर आधारित ट्राउट उत्पादन पर जोर है। इसके बेहतर परिणाम आए हैं।
उन्होंने मत्स्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये है कि वे लोगों को रेखीय विभागो के साथ समन्वय बनाकर मत्स्य पालन से जोडे। जिससे उनकी आजीविका में बेहत्तर सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि काश्तकार को चिन्हित करते हुए समय पर ही बीज उपलब्ध कराने साथ ही भगोलिक परिस्थति के अनुसार ही तकनीकी सहयोग भी प्रदान करें। इस अवसर पर उपनिदेशक मत्स्य प्रमोद कुमार शुक्ला, सहायक निदेशक संजय कुमार छिम्वाल, मत्स्य प्रभारी डॉ. विशाल दत्ता, मुकेश गिरी आदि उपस्थित थे।