मुख्य खबर🔴 : रात में मुख्यमंत्री धामी का आपदा प्रबंधन विभाग में औचक निरिक्षण, अधिकारीयों को एलर्ट रहने की दी सलाह!

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पूरा राज्य जहाँ ख़राब मौसम से त्रस्त है और कई जगह जहाँ नदियां, नाले उफान पर हैं तो कई जगह पहाड़ों के खिसकने की सूचनाएं बढ़ रही हैं, और वैसे भी बरसात के मौसम में हर बार उत्तराखंड राज्य काफी संवेदनशील हो जाता है। इन्हीं परिस्थितियों को सँभालने के लिए उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन विभाग is समय काफी सक्रिय भूमिका निभाता है।

सोमवार देर रात देहरादून सचिवालय स्तिथ आपदा कंट्रोल रूम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने औचक निरीक्षण कर, प्रदेश भर में जारी बारिश की स्थिति का जायजा लिया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग में जिन भी अधिकारियों की ड्यूटी लगी है। उनकी भूमिका ऐसे समय में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होने कहा सभी अधिकारी 24 घंटे एक्टिव मोड में रहे। सभी जिलों के साथ परस्पर समन्वय एवं संवाद कायम कर काम करें। उन्होंने कहा आपदा काल के दौरान लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जायेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश भर में नदियों के वर्तमान जलस्तर के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा जो नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। वहां के प्रशासन को अलर्ट किया जाए एवं नदी के आसपास रहने वाले लोगों को अति शीघ्र सुरक्षित स्थानों में भेजा जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश भर में सड़कों की स्थिति सहित चार धाम यात्रा एवं कांवड़ यात्रा के संचालन के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा बाधित सड़कों को तुरंत खोला जाए। जिन स्थानों पर पर्यटक फंसे हैं, उन्हें निकालकर सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ से फ़ोन में वार्ता कर दारमा, व्यास सहित अन्य घाटियों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी चमोली से फोन में वार्ता कर मलारी में हुए भूस्खलन, के बारे में जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी हरिद्वार एवं उत्तरकाशी से दूरभाष के माध्यम से संबंधित जिलों में बारिश से हुए नुकसान के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री धामी ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि जिन भी स्थानों में लोग फंसे हैं उन्हें अति शीघ्र निकालने की व्यवस्था की जाए साथ ही उनके रहने खाने की पर्याप्त व्यवस्था हो। जिला स्तर पर कोई भी कमी होने पर तुरंत शासन को सूचित किया जाए।


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