उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर क्षेत्र में अवैध पेड़ कटान समेत बड़े भ्रष्टाचार पर विजिलेंस की जांच और कार्रवाई के बाद सीबीआई ने भी मुकदमा दर्ज कर लिया है। मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआइ की टीम ने आरोपी आईएफएस और रेंजर के घर, प्रतिष्ठानों और दफ्तरों पर छापेमारी की है। सीबीआई की इस कार्रवाई से तय है कि जल्द कुछ बड़े अफसर और नेता भी कार्रवाई की जद में आ जाएंगे।
गौरतलब है कि कॉर्बेट पार्क के कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग पाखरो में टाइगर सफारी के लिए नियमों को ताक पर रखकर पेड़ों का अवैध कटान, अवैध निर्माण और अन्य कार्यों में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले के प्रकाश में आने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर मे मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच के बाद विजिलेंस ने एक आरोपित रेंजर बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया और इसके बाद 24 दिसंबर को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। आरोपितों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में विजिलेंस न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है। विजिलेंस ने इसी वर्ष 30 अगस्त को पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के परिवार से संबंधित देहरादून में एक शिक्षण संस्थान और एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। इसी बीच उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने विजिलेंस से जांच संबंधी दस्तावेज हासिल किए और आज शुक्रवार को मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक आज अनियमितता के मामले में आरोपित तत्कालीन प्रभागीय वन प्रभागीय अधिकारी किशनचंद समेत दो आराेपितों पर सेंट्रल ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन (सीबीआइ) ने मुकदमा दर्ज कर लिया। मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने शुक्रवार शाम हरिद्वार में आरोपित किशनचंद के घर और देहरादून में पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा के घर दबिश दी। इस दौरान मामले से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लेने की बात बताई जा रही। सूत्र बता रहे कि सीबीआई इस प्रकरण में और आरोपितों को भी नामजद कर सकती है। इस प्रकरण की पूर्व में हुई जांच में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत की भूमिका पर भी प्रश्न उठाए गए थे।
उल्लेखनीय है कि कॉर्बेट में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं।
करोडों के घोटाले की चल रही जांच
ये बात सामने आई कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए। सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आएफएस भी निलंबित किए गए थे।