लोकसभा चुनावों का माहौल अभी अपने चरम पर है और उत्तराखंड में निकाय चुनाव इसी के चलते दिसम्बर 2023 से टलते आ रहे हैं और सभी निकाय चुनावों की तारीखों को लेकर अपने अपने क़सीदे और कयास लगा रहे हैं। जहाँ हाईकोर्ट नें निकाय चुनाव तय समय में होने की बात कही है तो वहीं उत्तराखंड में निकायों का कार्यकाल पूर्ण होने के बावजूद एक बार फिर राज्य सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिये है। निकायों में आबीसी आरक्षण की सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद अब चुनाव की दावेदारी और तैयारियों के बीच कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल का बड़ा बयान सामने आया है। उत्तराखंड में निकाय चुनाव में फिर देरी हो सकती है।
प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा मानसून के चलते भी चुनाव कराना मुश्किल है। इसलिए सितंबर या अक्टूबर में ही चुनाव हो सकते हैं। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस बयान के बाद निकाय चुनाव को लेकर हलचल बढ़ गई है । प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि निकायों में प्रशासकों का कार्याकाल बढ़ाया जाएगा। निकाय चुनाव को लेकर कैबिनेट व शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का बयान सामने आया है। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि 2 जून के बाद फिर प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से निकाय चुनाव की तैयारी नहीं हो पा रही है । लेकिन सरकार चुनाव कराने को लेकर तैयार है। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि वोटिंग लिष्ट में संशोधन का काम चल रहा है। लेकिन अभी आरक्षण का निर्धारण नहीं हो पाया है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के बाद ही सरकार आरक्षण तय करेगी। जिसके बाद आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। आरक्षण तय होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को लिष्ट भेजी जाएगी। बता दें राज्य के नगर निगमों में इस बार मेयर पद के आरक्षण में बदलाव किया जाना है। कहीं महिला सीट पुरुषों के पास जाएगी तो कहीं पुरुष सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी।
पर वहीं ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं की कहीं अन्य पार्टियां इसी भरोसे रहे और अपनी तैयारीयों में ढील दें दे और वहीं बीजेपी अंदर खाने निकाय चुनाव की तैयारियां कर अपने विरोधियों को अपनी रणनीति में फ़सा के आराम की नींद ना सुला दे।