व्यापार मंडल चुनाव 🔴: दिग्गजो के बीच में चुनावी रण में किसी नें जीता चुनाव तो किसी नें जीता दिल देखिए कौन?

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रुद्रपुर व्यापार मंडल चुनाव का आगाज हुआ तो सबकी निगाहेँ महामंत्री पद पर हरीश अरोरा और मनोज छाबरा पर थी तो सुर्खियों में कोषाध्यक्ष पद पर त्रिकोनीय मुकाबला था जहाँ एक तरफ बलविंदर सिंह बल्लू, दूसरी तरफ पवन गाबा पल्ली और तीसरी तरफ युवा प्रत्याशी संदीप राव थे। जहाँ पवन गाबा पल्ली को निर्विरोध चुने गए अध्यक्ष संजय जुनेजा समर्थन दे रहे थे और वहीं हरीश अरोरा की टीम भी साथ में पल्ली को सपोर्ट कर रही थी तो वहीं संदीप राव के साथ पूरा श्याम परिवार, पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल सहित संजय ठुकराल, वरिष्ठ पत्रकार भरत शाह और कई दिग्गज चुनाव लड़ा रहे थे।

इस चुनाव में कोषाध्यक्ष पद पर त्रिकोनीय मुकाबले में कई उतार चढ़ाव आए जहाँ चाणक्य नें कभी संदीप राव को बैठाने की कोशिश की तो कहीं बलविंदर सिंह बल्लू को ये जताने की कोशिश करी की वो कोषाध्यक्ष पद पर किसी को भी अपना समर्थन नहीं दे रहे है पर वास्तविकता में पीठ पीछे संजय जुनेजा नें निर्विरोध जीतने के बाद अपनी पुरानी टीम को वापस लाने के लिए कई दाव पेंच रचे पर परिणाम उसके उलट हुए।

व्यापारियों नें सरदार जसवीर सिंह का रखा मान

कोषाध्यक्ष पद पर लड़ने वाले बलविंदर सिंह बल्लू को कोई चुनाव लड़ा रहा था तो वो थे उनके पिता सरदार जसवीर सिंह, चाचा इंदरजीत सिंह,हरभजन सिंह,प्रदीप कुमार, जहाँगीर कुरेशी, और अमरजीत सिंह, और उनके वो साथी जिनके साथ बल्लू हर दुख सुख में खड़े रहे। फिर चाहे भजन गायक रितेश मनोचा हो या काका भाई हो या बब्बर भाई सहित और दोस्त हों। पर सबसे ज्यादा जिसका प्रभाव दिखा तो वो बलविंदर सिंह बल्लू के पिता सहित उनके वरिष्ठ जन का दिखा। सरदार जसवीर सिंह जो एक कट्टर कोंग्रेसी के रूप में जाने जाते हैं जो राष्ट्रीय सेवा दल से जुड़े रहे और अपने दौर में इमेरजेंसी के समय जेल तक गए थे, सरदार जसवीर सिंह का शहर में जो मान सम्मान है और जिस तरह वो चुनावों में भाग दौड़ करते रहे उसकी ही बदौलत बलविंदर सिंह बल्लू करीब 750 वोट ले कर तीसरे स्थान पर रहे।

क्यू बल्लू को जीता मान रहे हैं कई दिग्गज

चुनावों में अन्य दो प्रत्याशीयों को जहाँ दिग्गजो का सपोर्ट था तो वहीं बलविंदर सिंह बल्लू अकेले मैदान में बिना किसी की सपोर्ट के चुनावी रण में अपनी दावेदारी ठोक रहे थे। जहाँ शहर में लोग पवन गाबा पल्ली की हार को चाणक्य की हार मान रहे हैं तो वहीं बलविंदर सिंह बल्लू की अभिमन्यु से तुलना कर रहे हैं जो अकेले चुनावी रण में हार की चिंता किए बिना कई दिग्गजो के बीच उतर गए।व्यापारियों के चुनाव में कोषाध्यक्ष पद पर जीत का सेहरा संदीप राव के सर सजा जहाँ उनकी युवा टीम और ठुकराल बंधु नें चाणक्य की कूटनीति को ध्वस्त कर दिया। वहीं बलविंदर सिंह बल्लू कुल पड़े 2726 वोटो में से लगभग 28% वोट लेकर सबके दिलों में जगह बनाते दिखे।


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