पितृपक्ष समाप्त होते ही सनातन धर्म में त्यौहारों का मौसम भी शुरू हो जाता है जहाँ एक तरफ देव उठानी एकादशी से शादियों का मोहरत शरू हो जाता है तो वहीं नवरात्रो के साथ ही हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने की प्रथाए हैं। कहा जाता है कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी से 4 महीने का चातुर्मास शुरू होता है जिसमें किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य करने से लोग बचते हैं और वहीं शरद नवरात्री के साथ ही सनातन धर्म में त्योहारों और शुभ व मांगलिक कार्यों का शुभारम्भ होता है।
शुभ पर्व के साथ ही लोगों में सोना व सोने के आभूषण खरीदने की भी सनातन धर्म में एक अलग ही मान्यता है क्योंकि सोने को शुभता का ही प्रतिक माना जाता है। और शुभ पर्व के शुरू होते ही जैसे मौसम में बदलाव होता है और वहीं बाजारों में भी रौनक आ जाती है। हर तरफ लुभावने ऑफर्स और उपहारों के साथ ही लोगों में खरीदारी का उत्साह भी देखते ही बनता है
ग्राहकों के लिए खोले सोने के भंडार।
त्यौहारों के सीजन के साथ ही रुद्रपुर के स्वर्णिका ज्वेलर्स नें अपने हल्द्वानी, खटीमा और रुद्रपुर शोरूम में ग्राहकों के लिए अपने सोने के भंडार खोल दिए हैं। जहाँ एक तरफ मेकिंग चार्जेस में 24.99% की छूट तो वहीं हीरे के आभूषणों में भी 24.99% के डिस्काउंट का ऑफर दे रहे हैं। और साथ ही हर हफ्ते आकर्षक उपहार जैसे स्कूटी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और चांदी के सिक्के बाटने से लेकर अन्य उपहारों के अपने खजाने खोल दिए हैं।
आकर्षक डिज़ाइन और शुद्धता नें बढ़ाया विश्वास।
स्वर्णिका ज्वेलर्स नें काफी कम समय में उत्तराखंड के कुमाऊ में अपनी जो पहचान बनाई है उसके बारे में स्वर्णिका ज्वेलर्स के मालिक नागेंद्र भट्ट नें बताया कि इन सब के पीछे ग्राहकों की अपेक्षा के अनुरूप आभूषणों के डिज़ाइन और सोने की शुद्धता का सबसे बड़ा हाथ है। जहाँ एक तरफ स्वर्णिका ज्वेलर्स अपने आभूषणों में लेटेस्ट डिज़ाइन को निरंतर अपडेट करता रहता है तो वहीं उत्तराखंड की संस्कृति की झलक उन आभूषणो में चार चाँद लगा देते हैं। और यही वजह है कि स्वर्णिका ज्वेलर्स नें महज 2 सालों में ही कुमाऊ में तीन शोरूम खोल कर उत्तराखंड के लोगों के बीच अलग पहचान बना ली है।