गुमशुदगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोतवाली समेत विभिन्न थाना और चौकी क्षेत्रों की बात करें तो पिछले एक साल में 224 से अधिक गुमशुदगी के मामले सामने आए हैं। इनमें से पुलिस ने 190 की बरामदगी कर ली है।
इनमें से अधिकतर नाबालिग
दिलचस्प बात यह है कि इनमें से अधिकतर नाबालिग हैं और इन्हें बहला फुसलाकर भगाने की बात भी कामन निकलकर सामने आ रही है। जबकि 34 बेटियां ऐसी हैं, जिनका अभी तक कुछ भी पता नहीं चल पाया। यह स्थिति शहर के लिए चिंताजनक बनती जा रही है।
कोई गिरोह तो सक्रिय नहीं? तराई के काशीपुर सर्कल में पिछले कुछ महीनों से नाबालिग, युवतियों और विवाहिताओं के गुमशुदगी के मामले आ रहे हैं। इनमें से बरामदगी के बाद के आंकड़े को देखें तो बहला फुसलाकर भगाने के मामले सबसे अधिक हैं।
किसी बड़े गिरोह के सक्रिय होने की भी आशंका
कई बार भगाने वालों में विशेष समुदाय के युवक आरोपित मिले हैं। ऐसे में इसके पीछे किसी बड़े गिरोह के सक्रिय होने की भी आशंका जताई जा रही है। कम उम्र में चकाचौंध का लालच भी बन रहा कारण! डिजिटल युग में कम उम्र में ही नाबालिगों के हाथ में मोबाइल फोन आने से कई दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इसके अलावा कम उम्र में चकाचौंध का लालच भी झांसे में फंसने का कारण बन रहा है।
पिछले एक साल के आंकड़े
- क्षेत्र गुमशुदगी – दर्ज बरामदगी
- कोतवाली 90 – 69
- आइटीआइ थाना 48 – 42
- कुंडा थाना 19 – 17
- जसपुर थाना 59 – 54
- केलाखेड़ा थाना 08 – 06
अभिभावक रखें ध्यान
- बच्चों को मोबाइल फोन का कम प्रयोग करने दें।
- बच्चों के रहन सहन पर विशेष ध्यान दें।
- बच्चों के अकेलापन महसूस न होने दें।
- अपने बच्चों एवं उनके दोस्तों की गतिविधियों पर नजर रखें।
अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति गंभीर रहना चाहिए कि उनके बच्चे घर से बाहर क्या कर रहे हैं। उनके रहन सहन और गतिविधियों पर नजर रखें। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने पर बरामदगी की कार्रवाई और बरामद नाबालिगों की काउंसलिंग की जा रही है। – अभय सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक काशीपुर