नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के निदेशक शोध एवं विकास प्रो. ललित तिवारी ने आज मानव संसाधन केंद्र कुमाऊं यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में ऑनलाइन माध्यम से जैव विविधता संरक्षण पर दो व्याख्यान दिए । प्रो. तिवारी ने कहा की 2022में जैव विविधता संरक्षण हेतु संयुक्त राष्ट्र ने बिल्डिंग ए शेयर्ड फ्यूचर फॉर ऑल तथा ओनली वन अर्थ थीम के साथ शुरुआत की जो सतत विकास में हमारी भागीदारी को प्रेरित करता है ।उन्होंने कहा की कन्वेंशन ऑफ बायोडायवर्सिटी में सतत विकास,सभी को बराबर हिस्सेदारी एवम संरक्षण पर बल दिया है।जैव विविधता तीन प्रकार की होती है तथा भारत में 16प्रकार के जंगल मिलते है किंतु उत्तराखंड में 65 प्रतिशत से घटकर जंगल 64 प्रतिशत हो गए है यह 4762घने जंगल ,14167मॉडरेट जंगल तथा 5567खुले जंगल है। जलवायु परिवर्तन से जैव विविधता कम हो रही है क्योंकि इससे संघनन तमक्रम, आद्रता, प्रकाश, वितरण,परागण ,प्रतियोगिता , सीजन तथा अनुवांशिक कारण प्रभावित हो रहे है ।प्रो तिवारी ने कहा की वाटर शेड ,पारिस्थितिक तंत्र,जलवायु ,रसायन ,जैवभोतिक ,जैवरासायन, हाइड्रालॉजी ,आपस में जुड़े हुए हैजिसको संरक्षित रखना इंसान की जिम्मेदारी है।जंगल को कम करने तथा जंगली फलों के कम होने से तथा मानव की विस्तारवादी नीति से जंगली जानवरों एवम इंसान का संघर्ष बड़ा है ।हमको संरक्षण के प्रति सहज रहना होगा ताकि सतत विकास में योगदान कर सके।