उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उधमसिंह नगर जिला विकास का एक मुख्य केंद्र रहा और रुद्रपुर-पंतनगर में सिडकुल आने के बाद जहाँ इसके विकास में पँख लगे वहीं विकास के नाम पर पूँजीपतियों नें प्रशासन के साथ इस रुद्रपुर शहर और जिले का हर स्तर पर दोहन भी किया। शहर में एक तरफ जहाँ सिडकुल अपना स्वरूप ले रहा था वहीं दूसरी तरफ पूँजीपतियों और कॉलोनाइज़रस नें भी शहर में जहाँ तहाँ अवैध अतिक्रमण कर सिडकुल में काम करने वाले लोगों के लिए अवैध कॉलोनीया काटी तो वहीं इस तराई में बहने वाली हर छोटी बड़ी नदी का नामोनिशान शहर के नक़्शे से मिटा दिया। और इन सब में इन पूजीपतियों को जिसका सबसे बड़ा साथ मिला वो और कोई नहीं तत्कालीन प्रशासन में बैठे हर छोटे से बड़े अधिकारीयों और कर्मचारियों का। जिन्होंने इस शहर और जिले में हर अवैध कार्य पर इन पूँजीपतियों के द्वारा फेके हुए टुकड़ो से धृतराष्ट्र की तरह अपनी आँखे बंद कर ली। और इस शहर में पिछले 24 सालों में राज्य बनने के बाद पूँजीपतियों द्वारा जब मौका मिला तब भ्रस्ट अधिकारियो के साथ मिल कर लूट का गन्दा खेल खेला। और इसी का परिणाम है कि इस तराई में जो कि हर तरह से प्रकृति द्वारा नदियों के रूप में जो आशीर्वाद प्राप्त किये हुए था आज उसका कहीं भी नामो निशान नहीं है।
आज जब भी मौसम की बरसात के साथ प्रकृति अपना उग्र रूप दिखाती है तब ये शहर में बसने वाले नादान जनता त्राहि त्राहि करती नज़र आती है। और मौजूदा प्रशासन बस मौके पर जाकर इस तबाही के मंजर को सिवाय देखने और पुराने अधिकारियो की कारगुजारियो पर मूक बधिर बनने के सिवाय कुछ नहीं कर पाता।
अब सवाल ये उठता है कि क्या मौजूदा प्रशासनिक अधिकारी जहाँ एक तरफ नदियों और नालो पर किये हुए अतिक्रमण पर बसे बस्तियों के लोगों के घरों पर निशान लगा कर इस ओर एक सराहनीय कार्य कर रहा है पर क्या वही प्रशासन पूँजीपतियों द्वारा किये गए अतिक्रमण पर भी कार्यवाही कर पाएगा। कल 8 जुलाई को जिस तरह 12-14 घंटे कि बरसात नें बेगुल नदी और कल्याणी नदी में उफान ला दिया और हर बार की तरह मेडिसिटी के सामने बने डेम का हाल फिर हर बार की तरह मीडिया की सुर्खिया भर बन के रह गया. और प्रशासन बस ड्रोन से तबाही के मंजर को कैमरो में कैद करने के सिवाय और कुछ करता नहीं दिखा।
अतिक्रमण हटाने पर प्रशासन का दोहरा रवैया क्यों ?
बता दें कि मेडिसिटी हॉस्पिटल जो हमेशा सुर्खियों में रहता है वहीं 8 तारीख को फिर उसके द्वारा किये गए अवैध अतिक्रमण और बेगुल नदी का जिस तरह इस इमारत नें गला घोटा है क्या प्रशासन इस पर भी अपना पीला पंजा चलाएगा? क्या मेडिसिटी हॉस्पिटल नें जिस तरह इस नदी को पहले नाले में बदला और अब इस नाले पर भी पूरा अतिक्रमण करके आम जन मानस के लिए परेशानी का सबब बना दिया है उस पर कोई कार्यवाही होगी। सवाल ये भी है क्या नियम और कानून केवल आम जनता भर के लिए हैं और पूँजीपतियों द्वारा हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन की आँखों में पट्टी बांध कर हर बार बरसात के मौसम में होने वाली विनाश लीला पर प्रशासन खामोश हो जाएगा? और ये कहना गलत नहीं होगा कि समय रहते अगर प्रशासन नहीं जागा और इस ओर कोई कठोर कदम नहीं उठाए तो एक दिन ये शहर एक बड़ी आपदा का सामना करेगा और उसका जिम्मेदार ये प्रशासन ही होगा।