उत्तराखंड सरकार में सरकार के नुमाइंदे ही लगा रहे हैं सरकार को चूना।और हालात ऐसे हैं कि सेटिंग गेटिंग का पूरा फायदा कुछ माफिया खुल के ले रहे हैं। जहाँ प्रधानमंत्री मोदी अगले दशक को उत्तराखंड का दशक कहते हैं पर धरातल पर वास्तविकता ये है कि हर तरह के माफिया इसे अपना दशक बनाने में लगे हैं। जहाँ हर स्तर पर लूट का आलम ये है की प्रशासनिक अमला इन माफियाओं के सामने नतमस्तक नजर आता है और सरकारी अमला नियमों को इन माफियाओं के अनुसार इस कदर तोड़ता मरोड़ता है की किसी की पांचो उंगलियां घी में हैं तो सरकार को राजस्व का चूना बड़े आराम से लग रहा है।
ऐसा ही मामले का खुलासा आज हम कर रहे हैं। जहाँ रुद्रपुर के बस अड्डे पर चल रहे शराब के ठेके के मालिक मोहन बिष्ट और उनके बेटे नें पूरे तंत्र का खुलेआम चीरहरण किया है और ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें इनका पूरा साथ सरकार के नुमाइंदो नें दिया है। जिसका प्रमाण वो दस्तावेज कर रहे हैं जिसमें चीख चीख कर एक ठेकेदार को नियमों के विरुद्ध सरकार के नुमाइंदो नें पूरा फायदा दिया।
वर्ष 2023-24 के वार्षिक ठेको के आवंटन में खुल के खेल खेला गया। जब नियमानुसार हर ठेका नए वित्त वर्ष में टेंडर ( लॉटरी ) में जाना होता है सिवाय उन ठेको के जो रिन्यूअल होने वाले ठेको के, पर रिन्यूअल में भी नियमों की धज्जिया खुले आम उड़ाई गई। 5 अप्रैल 23 को जिला आबकारी अधिकारी नें इस एक शराब माफिया के फायदे में एक मौखिक आदेश पारित किया जिसे कमिश्नर हरीश चंद्र सेमवाल नें अनुमोदित भी किया जिसमें उस माफिया का सरकार को 8 करोड़ से भी ऊपर की देनदारी होने के बावजूद उसके पक्ष में नियम विरुद्ध मात्र पोस्ट डेटेड चेक देनें के बाद इस शराब माफिया मोहन बिष्ट और उसके बेटे के पक्ष में इस बस अड्डे के ठेके को जो की लॉटरी में जानी चाहिए थी, को रिन्यूअल में डाल दिया। और सबसे बड़ा हास्य ये है कि सरकार को चूना मिल के लगाया गया। क्यूकी आज तक 9 माह बाद भी वो चेक कभी सरकार के खाते में जमा ही नहीं हुए। सबसे बड़ा सवाल ये है की खुले आम एक व्यक्ति विशेष को फायदा पहुँचाने के लिए ना जाने किस के आदेशों व निर्देशों पर इस माफिया को फायदा पहुंचाया गया।
जब जिला आबकारी अधिकारी अशोक मिश्रा से इस विषय में पूछा गया तो उन्होंने साफ उन मौखिक निर्देशों को अपने विभाग के पूर्व में सचिव हरीश चंद्र सेमवाल के निर्देश बताया और उन मौखिक निर्देशों को उनके द्वारा अनुमोदित बताया जिसे आप आदेशों में देख भी सकते हैं। तो ये मानना गलत नहीं होगा एक शराब माफिया की पहुँच किस तरह सरकारी अमले के उच्च स्तर तक है जहाँ सरकार को राजस्व का वर्ष 2021-22 और 2022-23 का 8 करोड़ से भी ऊपर का चूना 15 दिसंबर तक लगाया गया है। पर अपनी खाना पूर्ति के लिए विभाग द्वारा इस माफिया को अपने आलेखों में नोटिस भरपूर दिए गए हैं जिसका असर कही भी नहीं दिखता।
ये पहला खुलासा है जिसमें हमनें एक तथ्य को उजागर किया है इस बंदरबाट के कई पहलू हम एक एक कर खोलगे। जहाँ पूर्व में जिलाधिकारी द्वारा इस दुकान मालिक को बकाया को लेकर नोटिस दिए गए थे जो बस नोटिस ही बन कर रह गए पर उन नोटिसो के बदले इस दुकान मालिक को मिला तो ईनाम वो भी नए सत्र 2023-24 के दुकान का पुनः आवंटन के रूप में। ना इसके द्वारा दी गई बैंक गारंटी द्वारा ही राजस्व की भरपाई हुई ना ही सरकार को पूर्व के 8 करोड़ से ऊपर का बकाया मिलने के कोई आसार नजर आते हैं।
अगली खबर में हम इस शराब व्यापारी और सरकारी तंत्र की मिलीभगत की बड़ी लूट का खुलासा सभी साक्ष्ययो के साथ करेंगे। जिसमें इसके अन्य दुकानों पर भी राजस्व के बकाये को किस तरह नोटिसो में ही समेट कर रखा गया है। क्यूकी भविष्य में ऐसे माफिया सरकार को चूना लगा कर इनकी RC कटने के बाद फिर कोर्ट की शरण में जाते हैं और सरकार को मिलती है तो बस तारीख पर तारीख. क्यूकी ऐसे कई मामले आज भी विभाग के पास लंबित हैं। और सरकार को राजस्व का चूना कुछ शराब माफिया सरकार के नुमाइंदो के साथ मिल कर लगाते हैं।