आँखिर जनता से क्यू कहा प्रधानमंत्री मोदी ने “मैं माफ़ी मांगता हूँ”। अव्यवस्थाओ की भेंट चढ़ी मोदी की विजय शंखनाद रैली। देखें 🔴वीडियो!

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लोकसभा चुनाव 2024 अपने आप में कुछ खास महत्त्व रखता है जहाँ एक तरह 2022 में विधानसभा चुनावों में उधमसिंह नगर की 9 में से 5 विधानसभा सीटें बीजेपी ने गवा दी थी वहीं 2024 में नैनीताल उधमसिंहनगर लोकसभा सीट बीजेपी 5 लाख से ज्यादा वोटो से जीतने के दावे को लेकर फिर एक बार मोदी की जनसभा पर निर्भर दिखी। पर आज हुई विजय शंखनाद रैली में अव्यवस्थाओ ने मैदान में भीड़ को भी मोदी की जनसभा से दूर कर दिया। आलम ये था की तक़रीबन 12:30 बजे प्रधानमंत्री मोदी जनसभा को सम्बोधित करने मंच पर पहुँचे पर पंडाल के पीछे उन्हें सुनने वालों की भीड़ खाली पड़ी कुर्सीयो के चट्टों से पटी दिखी।

बता दें की 2014 लोकसभा चुनावों में हुई प्रधानमंत्री मोदी की रैली को ऐतिहासिक रैली माना जाता है और तब ये आलम था की उस समय हुई जनसभा के 2 किलोमीटर तक के दायरे में हर तरह उनके चाहने वालों और उन्हें सुनने वालों की भीड़ थी. सड़के हर तरफ जाम हुआ करती थी पर 10 साल बाद आज 2024 में हुई उनकी चुनावी जनसभा एक तरह से पूरी तरह अव्यवस्थाओ की भेंट चढ़ गई। इसका प्रमाण पंडाल के पिछले हिस्से में खाली पड़ी कुर्सीयो से लगाया जा सकता है। जहाँ एक तरफ सैकड़ो की संख्या में कुर्सियां खाली पड़ी थी वहीं दूसरी तरफ तो ये आलम था की खाली कुर्सीयों के चट्टे लगे पड़े  थे और उन चट्टों पर एक एक बच्चा या व्यक्ति चढ़ा हुआ था जो स्थानीय आयोजकों की नाकामियों का प्रमाण चीख चीख कर दें रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने जहाँ लोगों को लुभाने के लिए अपने चिर परिचित अंदाज में लोकल पहाड़ी भाषा में अपना भाषण शुरू किया पर जल्द ही दूरदृष्टि रखने वाले मोदी भी अव्यवस्थाओ को भाप गए और मंच से ही उन्हें सुनने आए लोगों को हो रही परेशानियों को भाप गए… और मंच से ही आम जनता जो गर्मी और धूल में घंटो से अपने चहेते मोदी को सुनने आई थी वो स्थानीय व्यवस्थापकों की नाकामियों के चलते मोदी के भाषण शुरू होने से पहले ही वापस चलते बनी भीड़ से परेशानियों के लिए माफ़ी मांगते दिखे।

कड़ी धूप में ना कवर्ड पंडाल, उधर धूल ने किया बेहाल।

जहाँ काफी दूर दूर से लोग अपने चहिते नेता मोदी को सुनने के लिए दो साल बाद वापस आई थी पर स्थानीय व्यवसाथपकों की नाकामियों के चलते ज्यादातर महिलाएं और पुरुष मोदी के भाषण के शुरू होने के साथ साथ वापस जाती दिखी। बता देंजहाँ इस बार जनसभा के लिए पंडाल 2 साल पहले की तुलना में आधा ही लगाया गया था पर बावजूद उसके प्रधानमंत्री मोदी को सुनने वालों की भीड़ 2 वर्ष पूर्व हुए विधानसभा चुनावों से कहीं कम थी और जो भीड़ मोदी मैदान पहुंची भी थी उसमें से काफी बड़ी संख्या में जनता मोदी के भाषण के पहले ही वापस जाती दिखी । और जो भीड़ कवर्ड पंडाल के अंदर थी वो और कोई नहीं बीजेपी द्वारा छापे गए VIP और VVIP पास धारक बीजेपी के नेता और कार्यकर्त्ता ही थे। आम जनता जो मोदी की समर्थक कही जाती है वो हमेशा की तरह ओपन ग्राउंड में परेशानियों से जूँझती धूप और तेज हवाओ के थपेड़े खाती अंत में थक हार कर मोदी को बिना सुनें ही वापस चलती बनी।

प्रेस दीर्घा में भी कब्ज़ा करके बैठे रहे बीजेपी के नेता

जहाँ एक तरफ ज्यादातर बीजेपी के नेता vip और vvip पास लेकर कवर्ड पंडाल में आराम से बैठे थे वहीं प्रेस के लिए बनाई गई पत्रकार दीर्घा में भी सैकड़ो की संख्या में बीजेपी के कार्यकर्त्ता और नेताओ ने अपना कब्ज़ा जमा लिया। आलम ये रहा की ज्यादातर पत्रकार खड़े खड़े ही मंच पर बैठे नेताओं और मोदी के भाषण को सुन और कवरेज करके चले गए पर बीजेपी के ज्यादातर नेता एक हलवाई की तरह पत्रकार दीर्घा में अपनी गद्दी से नहीं हिले।

ऐतिहासिक नहीं त्रासदीक रही बीजेपी की रैली

जहाँ एक तरफ प्रशासन सुरक्षा इंतजामों में कोई चूक करने की इस्तिथि में नहीं था वहीं स्थानीय व्यवस्थापकों ने इंतजामों की जमकर धज्जियाँ उड़ाई। दावे तो इस कदर लगाए जा रहे थे कि इस बार कि प्रधानमंत्री मोदी कि रैली 2014 में हुई रैली का भी रिकॉर्ड थोड़ देगी पर धरातल पर हुआ उसका उलट। जहाँ भीड़ वैसे ही कम थी पर वहीं बची कुची भीड़ अव्यवस्थाओ के चलते मोदी के भाषण से पहले ही उलटे पैर वापस चलती बनी। और अव्यवस्थाओ के साथ साथ तेज धूप और धूल बीजेपी की रैली को आम जनता के लिए ऐतिहासिक बनाने की बजाय त्रासदीक बना गई।

भीड़ को लेकर खोखले दिखे दावे।

बीजेपी के स्थानीय नेताओं और मीडिया प्रभारी के दावों कि माने तो इस बार कि रैली को ऐतिहासिक माना जा रहा है पर वहीं सूत्रो कि माने तो प्रशासन ने 20 हजार लोगों कि अनुमति दी थी और वहीं 15 हजार कुर्सियां पंडाल के अंदर और बाहर लगाने के लिए मंगाई गई थी और स्थानीय व्यवस्थापक 50 हजार लोगों के आने कि ढपली पीटकर अपनी नाकामियों को छुपाते दिखे पर वहीं पीछे खाली पड़ी कुर्सियां और बँधी कुर्सीयों के चट्टे खुले आम आयोजकों और व्यवस्थापको की ढ़ोल के पोल खोल रहे थे। अतः ये कहना गलत नहीं होगा की इस बार की मोदी की जनसभा 2022 की जनसभा की तुलना में भी आधी रही, और भीड़ 15000 भी क्रॉस नहीं कर पाई । जिसका अनुमान प्रधानमंत्री मोदी भी लगा चुके थे। पर सोशल मीडिया के प्रचारक इसे ऐतिहासिक रैली दिखाते रहे।भले ही बीजेपी कार्यकर्त्ता कवर्ड पंडाल के अंदर और परेशान जनता रोडो पर वापस जाती वीडियो में सोशल मीडिया में छाई रही और वापस जाते मोदी के काफिले के सामने मोदी मोदी के नारे लगाती दिखी पर अव्यवस्थाओ ने आज स्थानीय आयोजकों और मौसमी मीडिया प्रभारी की जमकर पोल खोली। अब देखना दिलचस्प होगा की क्या फटे ढ़ोल पीटने वाले बड़बोले नेताओं के 5 लाख से ज्यादा की जीत के दावे कितने सार्थक होते हैं।


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