एक तरफ पूरा उत्तराखंड सख्त भू कानून बनाने की माँग कर रहा है वहीं इस विषय पर शासन और प्रशांसन की लापरवाही और अनदेखी का आलम ये है की बाहर से आए भू माफिया उत्तराखंड की जमीनों को बेचने के लिए यहाँ गिद्ध की तरह आँखे गड़ाए बैठे हैं। इन भूमाफियाओ नें पैसे के दम पर ना केवल अपने फर्जी दस्तावेज बनाए वहीं उन दस्तावेजों के चलते अपना फर्जी भू स्वामित्व भी बनवा कर उत्तराखंड की बेशकीमती जमीनों पर अवैध कॉलोनीया बनानी भी शुरू कर दी हैं। ऐसा ही एक मामला उधमसिंह नगर के रुद्रपुर से में भी सामने आया जहाँ एक भूमाफिया अंकित बोस नें फर्जी दस्तावेजों के चलते ना केवल अपना फर्जी भू स्वामित्व बनाया वहीं आज छत्तरपुर और दिनेशपुर में उसी के दम पर उसके द्वारा अवैध कॉलोनीया भी काटी जा रही हैं।
क्या है मामला।
फर्जी दस्तावेजों के बल पर प्रशासन की मिली भगत से फर्जी भू स्वामित्व बनाए जाने का का ये मामला तब संज्ञान में आया जब उन दस्तावेजों में बने एक गवाह नें ही उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी, एसएसपी, और रजिस्ट्रार के वहाँ इसकी शिकायत कर दी और अपना नाम गवाही से हटाने के लिए मुख्यमंत्री पोर्टल तक में शिकायत दर्ज करवा दी।
प्राप्त जानकारी और दस्ताबेजो के अनुसार, नागेंद्र भट्ट नाम के व्यक्ति नें जिलाधिकारी उधमसिंह नगर सहित एसएसपी और रजिस्ट्रार ऑफिस में शिकायत कर ये बताया की अंकित बोस नाम का व्यक्ति जो जैन कॉलोनी में रहता है नें जनवरी 2023 में ग्राम श्रीरामपुर, तहसील रुद्रपुर में फर्जी भू स्वामित्व और फर्जी मूल निवास लगा कर जमीन की खरीद की है जिसमें उसे भी गुमराह कर गवाह बनाया गया है, और जब उसे अंकित बोस के फर्जी देस्तावेजों की जानकारी हुई तो उसने इसे प्रशासन और शासन के संज्ञान में प्रस्तुत किया वहीं मुख्यमंत्री पोर्टल में भी ये शिकायत डाल दी की उसे गुमराह कर व तथ्यों को छुपाकर अंकित बोस द्वारा गवाह के रूप में उससे हस्ताक्षर कराए गए। वहीं नागेंद्र भट्ट नें अपनें शिकायत पत्र में अंकित बोस के समस्त दस्तावेजों की जाँच करने व उनका नाम उक्त खरीद ( सौदे ) में गवाह के तौर भी हटाने की प्रशासन से मांग की है।
अब देखना होगा प्रशासन किस तह तक इस मामले की जाँच करता है और भूमाफियों पर नकेल कसता है।
उठ रहें हैं कई सवाल।
बता दें की उत्तराखंड में कमजोर भू कानून के चलते ही आज भूमाफिया अधिकारीयों से मिल कर फर्जी दस्तावेज बना कर जहाँ एक तरफ ना केवल उत्तराखंड में अपना भू स्वामित्व बनवा रहें हैं और पैसो के दम पर मूल निवास बना कर उत्तराखंड में जमीनों की दलाली और खरीद फरोक्त का गन्दा खेल खेलते जा रहें हैं। यह कोई एक मामला नहीं हैं ऐसे ना जाने कितने अंकित आज उधमसिंह नगर सहित उत्तराखंड के कोने कोने में घुस कर फर्जी पैसो के लालच में उत्तराखंड की बेशकीमती जमीनों को बेचने का काम कर रहे हैं वहीं शासन और प्रशासन मूक दर्शक बन कर इन भू माफियाओं का खेरख्वा बना हुआ है। सवाल ये उठते हैं की आँखिर कौन इनके फर्जी दस्तावेजों को पैसे लेकर अमली जामा पहना रहा है, आँखिर किसकी मदद से जहाँ एक तरफ आम नागरिक का मूल निवास का प्रमाणपत्र नहीं बनता पर वहीं इन भूमाफियाओ का समय से पहले ही सभी दस्तावेज बन जाते हैं। सवाल ये भी उठता है ऐसे भूमाफियाओ को पकड़ने के लिए प्रशासन कितने सख्त कदम उठा रहा है? आँखिर कौन अधिकारी उत्तराखंड की बेशकीमती जमीनों को बेचने में इन भूमाफियाओ की मदद कर रहा है ये भी जाँच का विषय है।