जानिए क्या था वो मामला जिसके चलते राहुल गांधी की गई संसद सदस्यता?

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नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई. अब राहुल केरल के वायनाड के लोकसभा सदस्य नहीं रहे. शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi Defamation Case) के सदस्यता को लेकर एक पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी है. मालूम हो कि मानहानि के केस में सूरत कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी. 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक सभा के दौरान मोदी सरनेम को लेकर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था, ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’. हालांकि सजा के तुरंत बाद उन्हें 15 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी गई. बता दें कि इस मामले में राहुल गांधी पर पिछले 4 साल से मानहानि का मामला चल रहा था.

मालूम हो कि 2019 में लोकसभा चुनाव के प्रचार को दौरान कर्नाटक में राहुल गांधी ने विवादित बयान दिया था. एक चुनावी रैली के दौरान उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘सभी चोरों के सरनेम मोदी क्यों है.’ इस बयान के बाद पूरे देश में सियासी बवंडर आ गया था. फिर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी पर मानहानि का केस ठोका था.

क्यों दोषी करार हुए राहुल गांधी?
2019 में वायनाड से लोकसभा सदस्य रहने के दौरान राहुल गांधी चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक के कोलार आए थे. इस दौरान उन्होंने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कथित तौर पर कहा था, ‘क्यों सभी चोरों का सरनेम मोदी होता है?’. इस बयान के बाद काफी सियासत हुई थी. फिर बीजेपी विधायक और गुरजार के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने अपने बयान से पूरे मोदी समाज का अपमान किया है.

मानहानि के इस मामले की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी 3 बार अदालत के सामने पेश हुए थे. पहली बार 9 जुलाई 2020 को वह कोर्ट में पेश हुए. इस दौरान मामले की सुनवाई में देरी हुी तो पुर्णेश मोदी ने गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत को इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने के निर्देश दिए थे. फर अक्टूबर 2021 में दोबारा राहुल गांधी कोर्ट के सामने पेश हुए. इस दौरान उन्होंने कुछ को निर्दोष करार दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अहम फैसला
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में अपने एक फैसले में कहा था कि अगर कोई सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार होता है तो उस तारीख से ही उनकी संसद या विधानसभा की सदस्यता को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.


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