बारूद के ढेर पर बैठा है रुद्रपुर शहर! RTI में खुलासा, ज्यादातर स्कूल,हॉस्पिटल, हॉटेल और व्यावसायिक संस्थानो में नहीं हैं फायर सेफ्टी के पुख्ता इंतज़ाम।

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प्रदेश का व्यावसायिक केंद्र उधमसिंह नगर जो हर लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है और उसका मुख्यालय रुद्रपुर शहर जहाँ सभी विभागों के आला अधिकारी भी बैठते हैं पर इसी शहर में अव्यवस्थाओ का बोल बाला है। ज्यादातर विभाग आंकड़े दिखाने के लिए केवल फाईलों में ही सभी व्यवस्थाओ को दर्ज किए बैठा है। ऐसा ही एक मामले का खुलासा हमारे द्वारा लगाई गई अग्निशमन विभाग में RTI से हुआ जिसनें प्रशासन और सरकार की पोल खोल कर रख दी। कि कैसे शहर के अंदर चल रहे महंगे से महंगे स्कूल, हॉस्पिटल, हॉटेल और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान लोगों की जान के साथ खेल रहे हैं।

बता दें कि हाल ही में भीषण गर्मी और कई अन्य गलतियों के चलते देश कि राजधानी दिल्ली सहित देश के कई शहरों में बिल्डिंगो में आग लगने की घटनाएं देखने को मिली जहाँ दिल्ली में एक नवजात बच्चों के हॉस्पिटल में लगी आग नें तो सबको हिला कर रख दिया जिसका सीधा कारण इन महंगे हॉस्पिटलों में फायर सेफ्टी के कोई भी पुख्ता इंतज़ामो का ना होना ही था।

गिने चुने संस्थानो के ही पास है फायर विभाग की NOC.

बता दें कि हमारे द्वारा रुद्रपुर नगर निगम क्षेत्र में चलने वाले सभी स्कूल, हॉस्पिटल, हॉटेल, लॉजस सहित सभी व्यावसायिक संस्थान जहाँ लोगों का जमावड़ा एक निर्धारित संख्या से ज्यादा होता है, और इन संस्थानो में जहाँ इनके द्वारा आम इंसानों से अपनी सेवाओं के एवज में काफी मोटी रकम भी वसूली जाती है पर उस सबके बावजूद शहर में चलने वाले ज्यादातर संस्थान उनके वहाँ आने वाले लोगों की जानो को दाँव पर लगा कर अपनी जेबें भर रहे हैं। इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रशासन की मिली भगत से आम जनमानस एक बारूद के ढेर पर बैठा है। क्योंकि शहर के ज्यादातर स्कूल हॉस्पिटल, होटल्स और व्यावसायिक संस्थानों नें ना ही ऐसे इंतज़ाम किए हैं जो आग लगने जैसी किसी विपरीत परिस्थिति को संभाल ही सकते हैं, और इसी लिए इनके पास फायर विभाग की NOC भी नहीं हैं। और विभाग भी ऐसे संस्थानों से जिन्होंने आग से निपटने वाले कोई इंतज़ाम नही किए हैं उनकी ओर आंखे मूंदे किसी बड़ी अप्रिय घटना के होने का इंतज़ार कर रहा है। और जिन संस्थानों के पास ये NOC है भी तो उनमें से ज्यादातर लोगों नें विभाग के साथ साठ गाठ कर के ही NOC हासिल की हुई है।

बता दें कि वर्ष दिसंबर 2021  से पूर्व सभी व्यावसायिक संस्थानों को हर वर्ष अग्निशमन विभाग से फायर NOC लेनी/रीन्यू करवानी होती थी परन्तु दिसंबर 2021 में उत्तराखंड सरकार द्वारा इस NOC को 3 वर्षो के लिए मान्य कर दिया जिसमें एक नियमित अंतराल में विभाग द्वारा उनकी जांच और समीक्षा करने का आदेश पारित कर दिया। परन्तु उसके बाद भी जनवरी 2022 से आज तक गिने चुने व्यावसायिक संस्थानों द्वारा उन मानको को पूरा किया है जो किसी भी अप्रिय घटना को संभालनें में अग्निशमन विभाग के लिए सहायक हो सकते हैं।

बड़े बड़े स्कूलो और हॉस्पिटलों में भी नहीं है NOC।

कहने को शहर में कई बड़े स्कूल और हॉस्पिटल हैं जहाँ जाना हमारी विवशता है पर इनके द्वारा भी फायर सेफ्टी को दरकिनार किया गया है। शहर के ज्यादातर प्राइवेट स्कूल जो अभिभावकों से पढ़ाई के नाम पर मोटी मोटी फीसे वसूलते हैं, दिखावे के लिए बड़ी बड़ी आलिशान बिल्डिंगे बना कर अभिभावकों को लुभाते हैं पर इनकी इन आलिशान बिल्डिंगो में ऐसे कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं जिनसे किसी विपरीत परिस्थिति में निपटा जाए। ऐसा ही हाल शहर में चलने वाले ज्यादातर हॉस्पिटलों का है जहाँ कहने को तो मौत के मुँह से बचाया जाता है परन्तु वास्तविकता में इन हॉस्पिटलों में भी उनके वहां आने वाले ज्यादातर मरीजों और उनके तिमारदारों की जानो से खेला जा रहा है। ये इस तरह से बनाए गए हैं कि आग लगने जैसी अप्रिय घटना में लोगो के बच के निकलने के लिए ना पर्याप्त जगह है और ना ही फायर सेफ्टी के पुख्ता इंतज़ाम। सब पैसे कमाने कि होड़ पर आम जनता कि और मासूम बच्चों कि जानो से खेल रहे हैं।

खड़े हो रहे हैं कई सवाल?

हमारे द्वारा लगाई गई RTI में जो आंकड़े निकल कर सामने आए हैं उस हिसाब से ये साफ दिख रहा है कि ना तो विभाग को और ना ही प्रशासन को किसी आम जनमानस कि परवाह है और ना ही इन संस्थानों को किसी कि जान कि परवाह है। ज्यादातर संस्थान लोगों कि जान को दाव पर रख कर अपनी जेबें भरने में लगे है। अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि आँखिर क्यों प्राधिकरण, प्रशासन और अग्निशमन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है? कैसे किसी भी व्यावसायिक भवन के निर्माण के समय बिना फायर सेफ्टी के मानको को पूरा किए हुए नक़्शे पास किए जा रहे हैं? और क्यों नहीं अग्निशमन विभाग द्वारा संस्थानों की नियमित चेकिंग कर इन पर दंडात्मक कार्यवाही की जा रही ?क्या किसी बड़ी अप्रिय घटना का इंतजार किया जा रहा है?ऐसे कई सवाल हैं जो सरकार और प्रशासन पर उठ रहे हैं। जल्द ही उन संस्थानों की नाम भी हम उजागर करेंगे जो नियमों को ताक पर रख कर अपनी जेबें भरने में लगा हुआ है।


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