श्री गुरु नानक शिक्षा समिति रुद्रपुर के चुनाव दिनांक 11 अगस्त दिन रविवार को प्रस्तावित थे जिसमे अध्यक्ष और प्रबंधक पदों पर चुनाव अधिकारी द्वारा कुछ प्रत्याशियों के नामांकन 27-28 जुलाई को छोटी छोटी त्रुटियों के चलते ख़ारिज कर दिए गए। जिस पर जब प्राधिकारी / उप जिलाधिकारी रुद्रपुर के समक्ष वाद दायर होने के बाद प्राधिकारी/उपजिलाधिकारी नें भी जहाँ चुनाव अधिकारी जो की वर्तमान में समिति के प्रबंधक के भाई भी हैं कि मंशा और उनके द्वारा चुनाव प्रक्रिया में उनके द्वारा संवैधानिक प्रक्रिया ना अपनाने के चलते निरस्त किए हुए नामांकनो को पुनः सम्मिलित करने का आदेश 9 अगस्त को दें दिया और उस आदेश को माननीय हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कहते हुए चुनाव अधिकारी नें 10 अगस्त को चुनाव की तारीख से ठीक एक दिन पहले चुनाव स्थगित करने की घोषणा कर दी। वहीं जिन प्रत्याशीयों के नामांकन रद्द हुए थे और उनके नामांकन पुनः स्वीकार करने के आदेश हुए थे। उनमें से कुछ ब्यक्तियों नें ये आरोप लगाए कि चुनाव अधिकारी द्वारा जारी किए गए अपने पत्र/ नोटिस में जो कारण दिया गया वो अपने आप में चुनाव अधिकारी की मंशा और उनका उनके भाई और मौजूदा समय में समिति के प्रबंधक के प्रति एक तरफा समर्पण की ओर इशारा भी करता है।
उन लोगों का ये भी आरोप है कि चुनाव अधिकारी नें 10 अगस्त को समिति के सभी सदस्यों को एक पत्र भेजकर चुनाव स्थगित करने का ये कारण दिया कि प्राधिकारी/उपजिलाधिकारी के आदेश को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती देना है। अपने आरोपों में उन्होंने ये सवाल ये भी खड़े किए हैं कि क्या चुनाव अधिकारी न्यायिक प्रकिया के तहत या फिर किसी के इशारे पर ये सब कर रहे हैं? क्या चुनाव अधिकारी प्रबंधक और अध्यक्ष पद पर किसी को एक पक्षिय लाभ पहुंचाने के चलते इस महत्वपूर्ण चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं जिस पर प्राधिकारी / उपजिलाधिकारी नें अंकुश लगा दिया? क्या समिति पर कुछ लोग वर्चस्व कायम करने के लिए समिति का पैसे और समिति के उदेश्ययों का हनन कर रहे हैं? क्या जिस चुनाव की प्रक्रिया को समिति के बायलॉज़ के अनुसार पिछले 2 माह से चलाया जा रहा था उसे प्राधिकारी/ उपजिलाधिकारी के आदेश को चुनौती देने के लिए स्थगित किया गया? या वास्तविकता में कुछ अपनों को वापस गद्दी और कमान देने की कवायद में एक सोची समझी रणनीति के अनुरूप स्थगित कर दिया गया? यहाँ ये भी आरोप चुनाव अधिकारी पर लगाए कि क्या वो निष्पक्ष चुनाव कराने को प्रतिबद्ध हैं या किन्ही गिने चुने लोगों को ही निर्विरोध जिताने के लिए कार्य कर रहे हैं? यहाँ उन्होंने साफ साफ आरोप लगाया की कई सवाल चुनाव अधिकारी की मंशा और समिति पर वर्चस्व कायम करने वालों पर उंगली उठाए खड़े हैं।
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस वर्चस्व की लड़ाई में जीत किसकी होती है।और क्या श्री गुरुनानक शिक्षा समिति में निष्पक्ष चुनाव होते हैं? जैसे आरोप कुछ लोगों द्वारा लगाये जा रहे हैं।