बस एक बात का मतलब आज तक समझ नहीं आया, जो गरीब के हक़ के लिए लड़ते हैं वो अमीर कैसे बन जाते हैं।
राजनीती में अपने पद का दुरूपयोग करने वालों की खबरें आम हैं। ऐसा ही एक मामला रुद्रपुर से सामने आ रहा हैं जहाँ सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के वार्ड न. 34 के पार्षद अंबर सिंह नें पार्षद रहते हुए अपनी बेटी का एड्मिशन 2021 में शहर के जाने माने RAN Public School में सरकार की गरीबों के लिए “शिक्षा का अधिकार योजना (RTE )” के अंतर्गत कराया।
RTE ( शिक्षा का अधिकार ) योजना है क्या?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को देश में गरीब, शिक्षा से वंचित बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने हेतु लागू किया गया था। इस अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक अनिवार्य स्कूली शिक्षा मुफ्त में दी जाती है। जिसमें कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इस अधिनियम द्वारा गरीब बच्चों को निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार देकर उनके विकास में सकारात्मक प्रभाव डालना है। बच्चों को उनकी उचित आयु में कक्षा में प्रवेश का प्रावधान Right to Education Act में किया गया है। और तभी से भारत 135 देशों की लिस्ट में शामिल हुआ जहाँ शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है।
बीजेपी पार्षद अंबर सिंह नें क्या किया घोटाला?
बता दें की रुद्रपुर के वार्ड न. 34 के पार्षद अंबर सिंह नें ना केवल फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाया बल्कि अपनी साठ गाठ के चलते अपनी बेटी का एडमिशन शहर के नामी स्कूल में भी करवाया जहाँ अपनें आय प्रमाण पत्र में बीजेपी पार्षद अंबर सिंह नें खुद को प्राइवेट जॉब में कार्यरत दिखाया है और खुद की आय 4500/- मासिक दिखाई है। और उसी आय प्रमाण पत्र और अन्य फर्जी दस्तावेजों को लेकर उनकी बच्ची का एड्मिशन सरकार की गरीबों के लिए बनी योजना शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत करवाया।
जहाँ एक प्राइवेट स्कूल में काम करने वाली आया की भी मासिक आय 6000 से ज्यादा होती है और स्वयं उसका और उस जैसे ना जाने कितनें गरीब लोगों के बच्चे आज भी कुशाग्र होने के बावजूद सरकार द्वारा उन लोगों के लिए बनी ऐसी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते। पर बीजेपी पार्षद जैसे अन्य कई रसूखदार लोग पूर्ण रूप से सम्पन्न होने के बावजूद भी गरीबों का हक़ मार रहे हैं।
पार्षद का विवादों से है पुराना नाता।
बीजेपी पार्षद पहले भी सुर्खियों में आ चुके हैं जब 2022 विधानसभा चुनावों में पुलिस नें उन्हें बस अड्डे के सामने से 3 पेटी शराब के साथ गिरफ्तार किया था। और अब उनके फर्जीवाड़े से ना केवल एक आम गरीब के बच्चे के साथ धोखा उजागर होता है बल्कि ये भी दर्शाता है की किस तरह सत्ता पर काबिज नेता अपने रसूख का फायदा उठा आम जनता के साथ खिलवाड़ करते हैं।
जहाँ प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रस्टाचार मुक्त और पारदर्शी सरकार की बात करते हैं वहीं उन्हीं के पार्टी के नेता कैसे फर्जी देस्तावेज बनाकर आम गरीब जनमानस के लिए सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं का फायदा खुद के लिए या अपने रिश्तेदारों को पहुँचा रहे हैं।
सवालों के जवाब कौन देगा।
ये केवल एक मामला नहीं है ऐसे ना जाने शहर के कितने ही सम्पन्न लोगों नें फर्जी दस्तावेज बनाकर गरीबों का हक़ मारा है. पर अब सवाल उन सभी पर उठते हैं जिन्होंने ना केवल फर्जी दस्तावेज बनवाए बल्कि उन पर भी उठते हैं जिन्होंने इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
फर्जी दस्तावेजों की बात करें तो सबसे पहला सवाल उस समय की तहसीलदार और उस विभाग पर उठते हैं की बिना पड़ताल करें कैसे एक पार्षद का फर्जी आय प्रमाण पत्र बन गया? सवाल शिक्षा विभाग पर भी उठते हैं कैसे बार बार मिलने वाली शिकायतों के बावजूद उन्होंने ऐसे लोगों की जाँच नहीं की? और की भी तो किस दबाव और प्रलोभन के चलते उन्होंने ऐसे सम्पन्न लोगों के बच्चों को इस योजना का लाभ दिलवाया? सवाल उन प्राइवेट स्कूलों पर भी उठते हैं कि क्यू नहीं उन्होंने इस योजना के अंतर्गत एडमिशन लेने वाले बच्चों के परिवारों का बैकग्राउंड चेक करवाया और अगर करवाया तो फिर क्यू नहीं उन्हें अपात्र घोषित कर सही बच्चे को उसका हक़ दिलवाने के लिए आवाज उठाई?
जब हमनें इस विषय पर बीजेपी पार्षद अंबर सिंह से बात की और उनके इस फर्जी आय प्रमाण पत्र के बारे में पूछा तो पहले तो वो इनकार करते रहे फिर जब हमनें उस फर्जी आय प्रमाण पत्र के आधार पर उनकी बच्ची के शहर के नामी स्कूल में एडमिशन की बात कही तो उन्होंने स्वीकारा की हाँ वो उन्हीं का आय प्रमाण पत्र है। पर जब हमनें उनसे व्यवसाय के बारे में पूछा तो वो मुकरते नजर आए की उनका कोई व्यवसाय नहीं है। पर हमारे पास मौजूद उनके व्यवसाय के GST No. से उनके झूठ की भी पोल खुलती दिखी। और बाद में बात करने की बात कह फोन काट दिया।
हमनें इस विषय पर RAN पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर मोहित राय को जब इस विषय में अवगत कराया और उनसे पूछा की क्या स्कूल की तरफ से कभी भी सरकार की इस योजना से लाभान्वित होने वाले जो छात्र उनके स्कूलों में आते हैं उनका कोई बैकग्राउंड चेक नहीं किया जाता तो उन्होंने भी सरकारी अधिकारीयों पर ही उसकी पूरी जिम्मेदारी डालते हुए उन्हें मिलने वाली लिस्ट और दस्तावेजों पर ही अपनी निर्भरता बताई।
अब ये जाँच का विषय है की आँखिर कैसे बीजेपी पार्षद नें अपना फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाया और खुद को एक प्राइवेट जॉब में कार्यरत दिखा केवल 4500 rs मासिक आय दिखा सरकारी योजना का लाभ ले अपनी सरकार को ही चूना लगाया। ये भी जाँच का विषय है की क्या इसमें सरकारी कर्मचारीयों की तो कोई मिली भगत नहीं? और शिक्षा विभाग के अधिकारीयों नें क्या इन जैसे और भी कई पैसे वाले लोगों के दस्तावेजों की जाँच करवाई?
फिलहाल सत्ता की पहुँच का और अपनी ट्रिपल इंजन सरकार का फायदा बीजेपी पार्षद नें भले ही आम जनता को ना दिलवाया हो पर खुद को एक गरीब आदमी दिखा खुद का भला ज़रूर किया है। और ना जाने ऐसे कितने ही मामले होंगे जहाँ एक गरीब का हक़ सत्ताधारीयों और रसूखदारों नें मारा होगा। ये भी जाँच का विषय है।