कांग्रेस से बीजेपी में आए वार्ड 39 के पार्षद के दिल में आज भी कांग्रेस ही बसी हुई दिख रही है।

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बता दें कि वार्ड 39 के बीजेपी के प्रत्याशी रमेश कालरा जब से उन्हें टिकट मिला था तब से ही चर्चाओं में थे क्योंकि जब उन्हें बीजेपी नें प्रत्याशी के रूप में प्रत्याशीयों की लिस्ट में जगह दी थी तब  भी उस लिस्ट में नाम नरेश कालरा लिखा था जिससे साफ दिख रहा था कि बीजेपी नें अपने वार्ड न. 39 के कार्यकर्त्ता  नरेश उप्रेती का टिकट काट कर कांग्रेस से बीजेपी में आए रमेश कालरा को अपना प्रत्याशी बनाया जिसमें रमेश कालरा को रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा के करीबी होने का फायदा मिला।

यहाँ एक चौंका देने वाली बात सामने आ रही है कि सत्ता के लालच में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए रमेश कालरा के दिल में आज भी कांग्रेस ही बसती है और इसका प्रमाण आज के दौर में जिसे सोशल मीडिया का दौर भी कहते हैं वहाँ रमेश कालरा के सोशल मीडिया ( फेसबुक ) पेज पर आज खबर लिखे जाने तक भी कांग्रेस का बैनर लगा हुआ है। जिससे साफ दिखता है कि बीजेपी के प्रत्याशी रमेश कालरा के दिल में आज भी कांग्रेस ही बसती है।

आज दिनांक 20/1/2025 को ली गई स्क्रीनशॉट संलग्न।

साफ देखा जा सकता है कि रमेश कालरा जिनके पेज पर लगभग 5 हजार फ्रैंड्स और फॉलोवर हैं जो उनका सबसे पुराना सोशल मीडिया पेज भी है और उनके इसी पेज पर इनके पुत्रों द्वारा आज भी वर्तमान के चुनाव प्रचार की पोस्ट शेयर की जा रही हैं। बावजूद इसके कांग्रेस से बीजेपी में आए रमेश कालरा को बीजेपी का संगठन चुनाव भी लड़ा रहा है. अब सवाल ये भी उठता है कि सोशल मीडिया के दम पर 2014 से चुनाव लड़ने वाली बीजेपी पार्टी नें कैसे कांग्रेस से आए एक प्रत्याशी पर दाँव खेला जबकि आज दिनांक तक भी उनके सोशल मीडिया पेज पर कांग्रेस पार्टी नेताओं के साथ फोटो लगी हुई है। और क्या ऐसे प्रत्याशीयों के दम पर बीजेपी चुनाव जीतने का दम भर रही है।

वार्ड में भी है विरोध।

बता दें कि पूर्व में कांग्रेस से पार्षद रहे रमेश कालरा का उनके वार्ड में भी काफी विरोध देखा जा रहा है जिसका कारण पिछले 5 सालों में उनके द्वारा जनता का तिरस्कार और वार्ड के विकास कार्यों की अवहेलना बताई जा रही है। कई लोगों का तो ये भी कहना है कि पार्षद के पुत्र द्वारा भी कई बुजुर्गों का उस समय अपमान किया गया जब वो वार्ड के मुद्दे लेकर पार्षद रमेश कालरा के पास आते थे।

अब देखना ये होगा कि ऐसे पार्षद जो सत्ता के लोभ में पार्टी बदलते रहते हैं वो कितनी शिद्दत से अपनी नई पार्टी बीजेपी को चुनाव लड़ा पाएंगे और जीत दिला पाएंगे।


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