रुद्रपुर व्यापार मंडल चुनावों में क्या चाणक्य कर रहा है खेला? क्या युवा नगर अध्यक्ष की लॉलीपॉप पर पहले महामंत्री और अब कोषाध्यक्ष अटके समर्थन देनें को?

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रुद्रपुर व्यापार मंडल चुनावों में जैसे जैसे वोटिंग की तारीख पास आ रही है वैसे वैसे हर दिन दावेदारों के बीच एक गुणा गणित काम कर रही है। जहाँ महामंत्री पद पर किच्छा और रुद्रपुर के मौजूदा विधायकों नें एक दावेदार हरीश अरोरा को समर्थन दे दिया है तो वहीं दूसरे दावेदार मनोज छाबड़ा को रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल और उनके भाई 108 कहे जाने वाले संजय ठुकराल अपना समर्थन दे चुके हैं। वहीं कोषाध्यक्ष पद पर तीन दावेदार मैदान में हैं। जहाँ एक तरफ संदीप राव हैं तो दूसरी तरफ पवन गाबा पल्ली तो तीसरी तरफ बलविंदर सिंह बल्लू अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं।

चाणक्य कैसे और क्यू खेल रहा खेला

बता दें जहाँ हरीश अरोरा और पवन गाबा पल्ली पिछले 12 सालों से पुनः निर्विरोध चुने गए रणनीतज्ञ संजय जुनेजा की टीम का हिस्सा रहे हैं वहीं दोनों पदों महामंत्री और कोषाध्यक्ष पर मनोज छाबड़ा और बलविंदर सिंह बल्लू दावेदारी करने वाले नए चेहरे हैं। पर जब से चुनाव का बिगुल बजा तब से चाणक्य नें अपनी रणनीति से सबसे पहले अपनी सीट निर्विरोध सुरक्षित की फिर सूत्रो की माने तो अपनी मनपसंद पुरानी टीम को वापस लाने के लिए जहाँ महामंत्री पद पर एक दावेदार राजेश कामरा को युवा नगर अध्यक्ष का लॉलीपॉप देकर बैठा दिया तो वहीं अगर सूत्रो की माने तो अब कोषाध्यक्ष पद पर चाणक्य नें फिर एक खेल खेला जब एक दावेदार को बैठाने के लिए शहर के दिग्गज जनप्रतिनिधि पवन गाबा पल्ली को बैठाने की कोशिश करते दिखे तो वहीं पल्ली भी नगर अध्यक्ष की लॉलीपॉप पर अटके रहे। कई उतार चढ़ाव के बाद भी जब बात नहीं बनी तो परिवार से बात करने की बात कह पंचायत से निकल गए। अब सवाल ये उठता है की लॉलीपॉप कौन दें रहा है और कौन दें सकता है? और सारा खेल कौन खेल रहा है?

अगर कुछ दिग्गजो की माने तो चाणक्य खुद नहीं चाहता की नए दावेदार महामंत्री और कोषाध्यक्ष पद पर जीते… वहीं सूत्रो की माने तो अब कई व्यापारियों को चाणक्य की गणित समझ आ गई है और हो सकता है कोषाध्यक्ष पद पर कुछ और खेला भी हो जाए। सूत्र तो यहाँ तक कह रहे हैं की संदीप राव को लड़ाने वाली टीम के कई साथी अब संदीप राव को बलविंदर सिंह बल्लू को समर्थन देनें पर जोर देनें लग गए हैं और अगर ऐसा हो गया तो फिर कहीं ना कहीं चाणक्य की सारी गणित पर पानी फिर सकता है।

अब देखना ये होगा की आँखिर ये चुनाव चाणक्य के अनुसार होगा या व्यापारी इस बार महामंत्री और कोषाध्यक्ष पद पर चाणक्य की उम्मीदो के उलट नई टीम को व्यापारियों के लिए चुनेंगे।


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