एक शिक्षक जो समाज कि आधारशीला रखता है, जिसे सभी धर्मो में सबसे पूजनीय दर्जा प्राप्त हो पर जब वहीं गुरु व्यभिचारी हो कर अपने छात्राओं के साथ ही दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ जैसी घिनौनी हरकते करने लगे तो ये मान लेना चाहिए वो गुरु नहीं गुरु के रूप में एक कुंठित मानसिकता का रोगी है जो समाज के लिए काफी घातक है। ऐसे ही एक कुंठित मानसिकता वाले शिक्षक का मामला खटीमा झनकट से सामने आया है। जहाँ छात्राओं से छेड़छाड़ प्रकरण के आरोपी राजकीय इंटर कालेज झनकट के अंग्रेजी के प्रवक्ता नफीस अहमद को विभाग ने निलंबित कर दिया। शिक्षक को निलंबित कर निलंबन अवधि में मुख्य शिक्षा अधिकारी ऊधमसिंह नगर के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। जीआईसी झनकट के शिक्षक पर स्कूल की छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप का मामला सामने आने के बाद बीते दिनों अभिभावकों का गुस्सा फूट पड़ा था। गुस्साए अभिभावकों ने शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर स्कूल गेट पर ताला लगा दिया था। अभिभावकों ने शिक्षक पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
मामले में पुलिस ने आरोपी शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट की ओर से जारी आदेश के मुताबिक मामले में सीईओ और बीईओ के पत्र के साथ ही चार सदस्यीय जांच समिति की जांच एवं कोतवाली में दर्ज एफआईआर के आधार पर रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई है। निदेशालय को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट में शिक्षक पर स्कूल की छात्रा से अभद्रता एवं अमर्यादित व्यवहार किए जाने का आरोप है। जिसके आधार पर आरोपी प्रवक्ता को निलंबित कर दिया गया है।
पर सवाल ये उठता है कि उक्त मामले में जब जाँच समिति बनाई गई और आरोप सही भी पाए गए तो ऐसे प्रकरण में विभाग द्वारा आरोपी शिक्षक को केवल निलंबित करना कितना सही निर्णय है? क्या इससे उसकी मानसिकता में बदलाव होगा? और क्या विभाग इस इंतज़ार में है कि वो जब दोबारा ऐसी गलती करेगा तब कोई ठोस कार्यवाही करेगा? क्या ऐसी मानसिकता वाले शिक्षकों कि विभाग को ज़रूरत है? ऐसे कई सवाल हैं जो विभाग कि कार्यप्रणाली पर भी उठते हैं।