महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनेगी या 19 फरवरी को? दूर कर लें तिथि का कन्फ्यूजन

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महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना का दिन माना जाता है। शिवरात्रि का मुख्य पर्व साल में दो बार व्यापक रुप से मनाया जाता है। एक फाल्गुन के महीने में तो दूसरा श्रावण मास में। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से शंकर भगवान की पूजा करते हैं। हालांकि महाशिवरात्रि के पर्व की तिथि को लेकर कुछ लोग दुविधा में हैं। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि की सही तिथि क्या है।

कब है महाशिवरात्रि

हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि की शुरुआत 18 फरवरी को रात 08 बजकर 03 मिनट पर होगी और इसका समापन रविवार, 19 फरवरी को शाम 04 बजकर 19 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है. इस दिन निशिता काल का समय रात 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। शिवरात्रि में जो रात का समय होता है उसमें चार पहर की पूजा होती है।

प्रथम पहर – इसका समय शाम 06 बजकर 41 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस पूजा में शिव जी को दूध अर्पित करते हैं। साथ ही जल की धारा से उनका अभिषेक किया जाता है।

दूसरा पहर – इसका समय रात 09 बजकर 47 बजे से रात 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इस पूजा में शिव जी को दही अर्पित की जाती है। साथ ही जल धारा से उनका अभिषेक किया जाता है। दूसरे पहर की पूजा में शिव मंत्र का अवश्य जप करें।

तीसरा पहर – इसका समय रात 12 बजकर 53 मिनट से 03 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इस पूजा में शिव जी को घी अर्पित करना चाहिए। इसके बाद जल धारा से उनका अभिषेक करना चाहिए।

चौथा पहर – इसका समय 19 फरवरी को सुबह 03 बजकर 58 मिनट से सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। यह पूजा भौर के समय की जाती है। इस पूजा में शिव जी को शहद अर्पित करना चाहिए। इसके बाद जल धारा से उनका अभिषेक होना चाहिए।

महाशिवरात्रि पूजन विधि

महाशिवरात्रि पर सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें। गन्ने के रस, कच्चे दूध या शुद्ध घी से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, फूल, मिठाई, मीठा पान, इत्र आदि अर्पित करें। इसके बाद वहीं खड़े होकर शिव चालीसा का पाठ करें और शिव आरती गाएं।


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