पिछले कुछ दिनों से 33% रंगदारी माँगने की ऑडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई। जहाँ एक तरफ शहर के एक व्यापारी राजेश गंगवार नें ऑडियो वायरल कर बीजेपी कार्यकर्त्ता किरन विर्क पर ये आरोप लगाया की किरन विर्क नें उनसे सिडकुल की इंडिया फोर्ज कंपनी से निकलने वाले स्क्रैप में 33% की रंगदारी मांगी है। जो ऑडियो सुनने के बाद सुरुवाती दौर में काफी हद तक सही भी प्रतीत होता दिखा। और पूरे शहर में वायरल ऑडियो आग की तरह फैल गया। ऑडियो में जहाँ किरन विर्क कंपनी में तीन लोगों मोहन, पवन शर्मा और क्षितिज सेतिया की पार्टनरशिप होने की बात कहते सुनाई देते हैं और क्षितिज को अपना करीबी बताते हुए कंपनी में उसकी हिस्सेदारी की बात बोलते सुनाई भी देते हैं। और विधायक को भी इसका संज्ञान है की बात भी बोलते सुनाई देते हैं। यहाँ तक मामला रंगदारी का ही प्रतीत होता है और जिस पर विपक्ष और कई लोग किरन विर्क और विधायक की छवि और कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हैं। पर कहानी का दूसरा एंगल भी था जो सामने नहीं आया पर हमारी पड़ताल में हमनें दोनों पक्षो से उनका पक्ष जाना तो ये आया सामने।
आँखिर क्या है मामला।
बता दें की शुरुवाती दौर में ऑडियो वायरल होने के बाद पूरे शहर में अवैध वसूली की खबर आग की तरह फैली पर अब वहीं दूसरा पक्ष भी सामने आया है हमनें जब किरन विर्क से उनका पक्ष जाना तो घटना में दूसरा पक्ष भी सामने आया। 1- जहाँ किरन विर्क जिस कंपनी की बात कर रहे हैं वो कंपनी है ब्रह्मओस स्टील जिसमें मोहन स्वरुप , पवन शर्मा और क्षितिज सेतिया जिसका नाम ऑडियो में सामने आया है, तीन पार्टनर हैं। और तीनों की इंडिया फोर्ज कंपनी से निकलने वाले स्क्रैप के खरीद फरोक्त में 33% बराबर की हिस्सेदारी भी बताई जा रही है। 2- वहीं दो पार्टनर मोहन और क्षितिज द्वारा 15 लाख बतौर पार्टनरशिप अमाउंट भी पवन शर्मा की दूसरी कंपनी में अगस्त 2023 में बतौर डिपाजिट बैंक ट्रांसफर भी किया जाता है जिससे भविष्य में सिडकुल की इंडिया फोर्ज कंपनी से निकलने वाले स्क्रैप की खरीद फरोख्त की जा सके।
यहाँ ये भी पड़ताल में सामने आया की सिडकुल की कंपनी इंडिया फोर्ज में मोहन स्वरूप वर्ष 2011 से स्क्रैप खरीदने का काम कर रहे थे। फिर वर्ष 2020 में कंपनी का रेट खराब ना हो इसलिए क्षितिज सेतिया और मोहन स्वरूप मिल कर नानक ट्रेडर्स नाम की कंपनी में 50%-50% हिस्सेदारी रखते हुए सिडकुल की इंडिया फोर्ज कंपनी से निकलने वाले स्क्रैप की खरीद फरोक्त का काम वर्ष 2020 से करते आ रहे थे पर जुलाई -अगस्त 2023 में इंडिया फोर्ज से निकलने वाले स्क्रैप की डिलिंग के लिए पवन शर्मा की सेटिंग इंडिया फोर्ज कंपनी के अधिकारीयों के साथ बैठी और फिर रेट खराब ना हो इसलिए पवन शर्मा, मोहन स्वरूप, और क्षितिज सेतिया नें मिल कर आपसी सहमति से पवन शर्मा की कंपनी ब्राह्महोस स्टील से डीलिंग शुरू की गई जिसमें तीनो पार्टनर्स की 33%-33% की हिस्सेदारी भी निर्धारित हुई। जिसके लिए दोनों पार्टनर्स मोहन स्वरूप और क्षितिज सेतिया द्वारा पवन शर्मा की कंपनी में 15 लाख रूपये भी बैंक ट्रांसफर किए गए जिसके द्वारा सिडकुल की कंपनी इंडिया फोर्ज से निकलने वाले स्क्रैप का टेंडर विगत अगस्त 2023 से लिया जाने लगा।
अगस्त 2023 से 5 अप्रैल 2024 तक तीनो पार्टनर्स में इंडिया फोर्ज से निकलने वाले स्क्रैप का व्यापार सही रूप से चला पर उसके बाद पवन शर्मा, राजेश सिंह के संपर्क में आते हैं और इंडिया फोर्ज के लिए नया समझौता इन दोनों के बीच होता है जिसमें मोहन स्वरुप और क्षितिज सेतिया की हिस्सेदारी ख़तम करने ( मोहन 33%+क्षितिज 33%+पवन शर्मा 33%) व नई हिस्सेदारी ( पवन शर्मा 50% + राजेश सिंह 50%) की नीव रखी जाती है और वहीं से इंडिया फोर्ज कंपनी से निकलने वाले स्क्रैप की खरीद का विवाद भी शुरू होता है। और क्षितिज सेतिया मदद माँगने किरन विर्क के पास जाते हैं। और किरन विर्क द्वारा सबसे पहले पुराने तीनो पार्टनर्स को पुराने रूप में वापस मिल कर काम करने की बात 10 अप्रैल को पवन शर्मा से की जाती है पर वहीं जब किरन विर्क द्वारा पवन शर्मा को पहले फोन किया गया तो उसके द्वारा राजेश सिंह के पास बैठे होने की ही बात की और बाद में बात करने की बात कही गई । और वहीं थोड़ी देर बात राजेश सिंह का ही फ़ोन किरन विर्क को जाता है जिसमें किरन विर्क, राजेश सिंह को ब्रह्मओस स्टील में तीनों पार्टनर्स की हिस्सेदारी होने की बात बता रहे हैं जो की सिडकुल की कंपनी इंडिया फोर्ज से निकलने वाले स्क्रैप में डील कर रहे थे। और राजेश सिंह द्वारा इस 10 अप्रैल की बात की ऑडियो को ही रंगदारी माँगने का रूप दिया गया- किरन विर्क।
यहाँ क्षितिज सेतिया नें हमसे बात करते हुए ये भी बताया की 10 अप्रैल को हुए विवाद के बाद भी 11-12 अप्रैल को तीनों पार्टनर्स में इंडिया फोर्ज ज़े निकलने वाले स्क्रैप की डीलिंग हुई और गुरुवार को पेमेंट का भी लेनदेन हुआ पर उसके बाद पवन शर्मा नें उनके फोन उठाने बंद कर दिए और वहीं राजेश सिंह नें 14-15 अप्रैल से ऑडियो को लीक कर नार्मल बात को रंगदारी का एंगल दे दिया ताकी पुराने पार्टनर्स का समझौता टूट जाए, और उनकी और पवन शर्मा की हिस्सेदारी (50%-50%) सुनिश्चित हो सके। और सुनियोजित तरीके से क्षितिज सेतिया व मोहन का साथ देनें वाले किरन विर्क की ऑडियो को लीक किया गया ताकी किरन विर्क और विधायक की छवि धूमिल की जा सके। वहीं क्षितिज नें ये भी कहा की राजेश सिंह द्वारा ही हमें और किरन विर्क को फोन किए गए हैं ना की हमारे द्वारा कोई भी फोन राजेश सिंह को नहीं किए गए हैं। उसकी कॉल डिटेल्स पुलिस निकाल सकती है।
दो पार्टनर्स नें दी थाने में तहरीर।
बता दें की मोहन स्वरुप और क्षितिज सेतिया द्वारा पुलिस में 17 अप्रैल को तहरीर दी गई है जिसमें लिखा गया है कि दोनों पार्टनर्स को राजेश सिंह द्वारा 9 अप्रैल को फोन द्वारा धमकाया गया और ब्रह्मओस स्टील द्वारा जो सीडकुल कि कंपनी से स्क्रैप का जो टेंडर लिया गया है उसे छोड़ने अन्यथा जान से मारने कि बात कही गई है। और भविष्य में पवन शर्मा के साथ वो ही इंडिया फोर्ज से निकलने वाले स्क्रैप की डीलिंग करेंगे की बात कर धमकाया गया। वहीं शितिज सेतिया और मोहन द्वारा डरने पर ही इसे बीजेपी कार्यकर्त्ता किरन विर्क के संज्ञान में लाया गया जो विधायक के करीबी भी कहे जाते हैं। और जिसका जिक्र किरन विर्क वायरल ऑडियो में भी कर रहे हैं।
रंगदारी नहीं पीड़ित के हक़ की बात कही थी – किरन विर्क
किरन विर्क से बात करने पर उन्होंने बताया की मैंने तीनों पार्टनर्स मोहन स्वरूप, क्षितिज सेतिया और पवन शर्मा जो मिल कर अगस्त 2023 से इंडिया फोर्ज कंपनी से स्क्रैप उठा रहे हैं उसकी हिस्सेदारी की बात राजेश सिंह को बताई है जिसे वो रंगदारी माँगने का रूप दे रहे हैं।
2- विर्क नें ये भी बताया की मैंने कोई फोन राजेश सिंह को नहीं किया बल्कि राजेश सिंह का कॉल उन्हें आया जिसमें उन्होंने राजेश सिंह को तीनों पार्टनर्स की हिस्सेदारी/ पार्टनरशिप की बात कही है।
3- विर्क नें ये भी कहा की उन्हें राजेश सिंह का जब फोन आया तो वो खुद भी डर गए थे क्यूकी वो राजेश सिंह का क्रिमनल इतिहास जानते थे और केवल भय में इन तीनों की पार्टनरशिप का संज्ञान विधायक को है की बात ही कर रहे थे जिसे राजेश सिंह नें रंगदारी का एंगल देकर वायरल किया है। बल्कि राजेश सिंह खुद पवन शर्मा से मिल कर अपनें रसूख के दम पर अन्य दोनों पार्टनस का हक छीन रहे हैं, ताकी खुद पवन शर्मा के साथ मिल कर 50%-50% की हिस्सेदारी कायम कर सकें।
उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस के पास सभी साक्ष्य हैं और पुलिस उनके व सभी की कॉल हिस्ट्री चेक कर ले कि किसने किसे कॉल किया और कब किया सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। विर्क नें ये भी कहा की राजेश सिंह के पास और भी रिकॉर्डिंग होंगी उन्हें भी वायरल करें सच सामने आ जाएगा। ये पूरा शहर राजेश सिंह का इतिहास जानता है। मैंने केवल पीड़ित मोहन और क्षितिज के हक़ और वास्तविक हिस्सेदारी की बात ही राजेश सिंह को बताई है जो वो काफी समय से इंडिया फोर्ज से निकलने वाले स्क्रैप में निभाते आए हैं। पर उन्होंने मेरी व विधायक की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है जो पुलिस जाँच में सामने भी आएगा।
विर्क नें कहा की राजेश सिंह अपनें भय का साम्राज्य सिडकुल में फैला कर अब पवन शर्मा जैसे कई अन्य स्क्रैप और मैनपावर सप्लायर के साथ हिस्सेदारी करना चाहता है। और अगर कोई समाजसेवी इसे रोकने की कोशिश करेगा तो वो आधी अधूरी बातों को सोशल मीडिया में प्रकाशित कर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश करेंगे, पर उन्हें कानून पर पूरा विश्वास है वो जल्द ही ऐसे हिस्ट्री शीटर और क्रिमनल्स का पर्दा फाश करेगा।
उठ रहे हैं कई सवाल।
अब ये जाँच का विषय है की क्या वाकई किरन विर्क नें रंगदारी मांगी है या वो दो पीड़ित मोहन और क्षितिज का पक्ष रख रहे थे जिसमें पवन शर्मा,राजेश सिंह के साथ मिल कर सुनियोजित तरीके से मोहन और क्षितिज की व्यापार में हिस्सेदारी ख़तम करना चाह रहे हैं । वहीं जाँच का विषय यह भी है तीनों पार्टनर्स की पुरानी पार्टनरशिप विगत अगस्त 2023 से कितनी बार इंडिया फोर्ज से स्क्रैप लें चुकी है।और उस से पूर्व कितनी बार मोहन और क्षितिज सेतिया मिल कर वर्ष 2020 से इंडिया फोर्ज से स्क्रैप खरीद रहे हैं।
यहाँ सवाल सिडकुल की कम्पनीयों के अधिकारीयों पर भी उठते हैं कैसे बिना टेंडर प्रक्रिया करे एक ही कंपनी से सेटिंग गेटिंग करके स्क्रैप बेचा जा रहा है जिसकी लड़ाई अब खुल कर मीडिया में सामने आ रही है।
सूत्रो से पता चला है की राजेश सिंह नें भी 20 अप्रैल शनिवार को पुलिस को तहरीर भेजी है जिसमें उन्होंने भी खुद को धमकाये जाने की बात लिखी है। अब पुलिस की जाँच में ही सच बाहर आएगा की किसने किस से रंगदारी मांगी है और किसने किसका हक़ छिना है और सिडकुल में कौन रंगदारी कर रहा है? किसके दावो में है कितना दम ये जाँच का विषय है। पर मीडिया ट्रायल में जिस तरह बीजेपी कार्यकर्त्ता और विधायक पर रंगदारी के आरोप लग रहे हैं वो एक पक्षीय ही नजर आता है और पूरा प्रकरण कई सवाल खड़े करता है।