दिल्ली: सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT ) उत्पादों को लेकर विश्व व्यापार संगठन में यूरोपीय यूनियन और भारत के बीच जारी विवाद बढ़ता ही जा रहा है. आईसीटी के कई उत्पादों पर भारत की ओर से लगाए गए आयात शुल्क के विरोध में आए विश्व व्यापार संगठन के फैसले को लेकर भारत सरकार काफी सख्त है.
विश्व व्यापार संगठन के फैसले के बाद भारत सरकार और यूरोपीय यूनियन के बीच जारी तनाव के बीच एक वरिष्ट अधिकारी ने कहा है कि अगर ट्रेड ब्लॉक भारत पर आयात शुल्क के बदले यूरोप के घरेलू कानून को लागू करने का फैसला करता है, तो भारत जवाबी कार्रवाई कर सकता है. यूरोपीय यूनियन के एक प्रवक्ता ने कहा है कि अगर भारत विश्व व्यापार संगठन के फैसले का पालन नहीं करता है, तो यूरोपीय यूनियन भारतीय सामानों पर भी शुल्क लगा सकता है.
पश्चिमी देशों की घेराबंदी से तिलमिलाए पुतिन का सबसे बड़ा फैसला, दुनिया पर क्या पड़ेगा असर?
इससे पहले भारत ने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही थी. डब्ल्यूटीओ के फैसले के एक हफ्ते बाद भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था कि इस फैसले को चुनौती देने के लिए भारत जरूरी कदम उठा रहा है. लेकिन न्यायाधीशों की कमी के कारण डब्ल्यूटीओ का सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण वर्तमान में कार्यरत नहीं है.
यूरोपीय यूनियन के डोमेस्टिक लॉ को लागू करना सिद्धांतों का उल्लंघनः अधिकारी
अंग्रेजी अखबार ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ से बात करते हुए अधिकारी ने कहा, “भारत के मुताबिक, यूरोपीय यूनियन की ओर से डोमेस्टिक लॉ लागू करना डब्लयूटीओ के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा. क्योंकि घरेलू कानून लागू करना वैश्विक व्यापार निकाय के नियमों के अनुरूप नहीं है. ऐसे में भारत विश्व व्यापार संगठन से इसकी शिकायत कर सकता है और यूरोपीय संघ से आयात पर शुल्क लगाकर जवाबी कार्रवाई कर सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, “अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणाली में ईयू के डोमेस्टिक लॉ विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप नहीं है. यूरोपीय संघ के पास भले ही अपना कानून है, लेकिन इसका कभी इस्तेमाल नहीं किया गया है. ऐसे में यह देखा जाना बाकी है कि क्या भारत के मामलों में वो डोमेस्टिक लॉ लागू करेंगे या नहीं? लेकिन यह बात स्पष्ट है कि अगर यूरोपीय यूनियन डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन करता है तो भारत जवाबी कार्रवाई कर सकता है. हालांकि, भारत का मानना है कि इस तरह के बदले की भावना दोनों पक्षों के व्यापार के लिए नुकसानदायक होगा.”
ICT को लेकर क्या है India और यूरोपीय यूनियन के बीच विवाद
दरअसल, मोबाइल फोन और उसके उपकरणों, सर्किट और ऑप्टिकल उपकरणों समेत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के कई उत्पादों पर भारत ने आयात शुल्क लगाने का फैसला किया था. यह शुल्क 7.5 फीसदी से 20 फीसदी के बीच है.
यूरोपीय यूनियन, जापान और ताइवान का आरोप है कि भारत सरकार की ओर से आईसीटी के कुछ उत्पादों पर लगाया टैक्स वैश्विक व्यापार के नियमों का उल्लंघन करता है. भारत के इस फैसले को लेकर लेकर यूरोपीय यूनियन ने अप्रैल 2019 में डब्लयूटीओ में चुनौती दी थी. विश्व व्यापार संगठन के एक पैनल ने सोमवार को यूरोपीय यूनियन, जापान और ताइवान के पक्ष में फैसला सुनाया है.
विश्व व्यापार संगठन के इस फैसले पर भारत का कहना है कि पैनल की व्याख्या सही नहीं है. इसके अलावा, यूरोपीय यूनियन की ओर से बहुदलीय अंतरिम अपील मध्यस्थता व्यवस्था (MPIA) के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने के प्रस्ताव को भी भारत ने खारिज कर दिया है. MPIA भी व्यापार से जुड़े विवादों को हल करने का एक वैकल्पिक तरीका है.
यूरोपीय यूनियन और जापान की क्या है शिकायत
यूरोपीय यूनियन, जापान और ताइवान की ओर से विश्व व्यापार संगठन में की गई शिकायत में कहा गया है कि भारत की ओर से आईसीटी के कुछ उत्पादों पर लगाया गया टैक्स Information Technology Agreement के खिलाफ हैं. इसके अलावा इन देशों ने दावा किया है कि भारत कुछ आईसीटी उत्पादों के आयात पर विश्व व्यापार संगठन की अनुसूची के तहत निर्धारित शून्य-सीमा शुल्क दर से अधिक टैरिफ वसूल करता है.
वहीं, भारत का कहना है कि जिस समय इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था. उस समय स्मार्टफोन जैसे उत्पाद नहीं थे और न ही एग्रीमेंट में कहीं इसका कोई जिक्र है. इसलिए भारत इन टैक्सों को समाप्त करने के लिए बाध्य नहीं है. भारतीय अधिकारियों का कहना है कि टैरिफ में शामिल अधिकांश वस्तुओं का सूचना प्रौद्योगिकी समझौते में उल्लेख नहीं है. क्योंकि यह समझौता 1996 में हुआ था और उस समय इनमें से कई वस्तुएं मौजूद नहीं थीं.
क्या है Information Technology Agreement (ITA) समझौता
Information Technology Agreement (ITA) एक बहुपक्षीय समझौता है. इस समझौते पर भारत ने 1996 में हस्ताक्षर किया था. विश्व व्यापार संगठन ने इसे आयाम दिया और 1 जुलाई 1997 को यह समझौता लागू हुआ. विश्व व्यापार संगठन ही इसके कार्यान्वयन पर नजर रखता है.
इस समझौते के तहत मोबाइल फोन जैसे उत्पाद को टैरिफ शुल्क से मुक्त रखना है. हालांकि, 2007-08 के केंद्रीय बजट के बाद भारत ने चीन से सस्ते इलेक्ट्रॉनिक आयात को रोकने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुछ चुनिंदा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर टैक्स लगा दिया.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
उद्योग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि घरेलू विनिर्माण और निर्यात पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. जिस समय ITA समझौता किया गया था, उस समय इस बारे में अच्छी तरह से सोचा-विचारा नहीं गया. जबकि इस समझौते में बदलाव करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए इस तरह के मुद्दे सामने आते रहेंगे और अन्य देश यह तर्क देते रहेंगे कि ड्रोन और सेमीकंडक्टर चिप्स इस समझौते का हिस्सा हैं.
उद्योग से जुड़े एक अन्य प्रतिनिधि के अनुसार, भारत के लिए इन शुल्कों को वापस लेना कठिन होगा. क्योंकि सप्लाई चेन अब चीन से भारत की ओर शिफ्ट हो रहा है. इसके अलावा शून्य शुल्क पर आयात घरेलू मैन्यूफेक्चरिंग को काफी नुकसान पहुंचाएगा.