यूँ तो पैसा कई लोगों के ईमान खराब कर देता है पर रुद्रपुर की श्री गुरुनानक शिक्षा समिति में उसके संचालको द्वारा हुई पैसे की हेर फेर से समाज को समर्पित ऐसी समिति की भी समाज में छवि धूमिल हो रही है। बता दें कि श्री गुरु नानक शिक्षा समिति रुद्रपुर सहित उधमसिंह नगर में सिक्ख समाज की एकता अखंडता और समाज के उद्धार में शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग स्थान रखती है।
जहाँ समिति द्वारा क्षेत्र में रहने वाले गरीब और मध्यम तबके के बच्चों को शिक्षा दी जाती है और ये समिति सिक्खों की मानव सेवा का एक जीता जागता प्रमाण भी है। पर इसी शिक्षा समिति में इसके दो संचालको ( अध्यक्ष दिलराज सिंह और प्रबंधक गुरमीत सिंह ) पर समिति के वर्तमान में कोषाध्यक्ष और आजीवन सदस्य अमरदीप सिंह नें लगभग 31.50 लाख के हेर फेर और गबन का आरोप लगाया है।
बता दें कि ये आरोप अपने आप में काफी गंभीर आरोप हैं जिसकी शिकायत कोषाध्यक्ष अमरदीप सिंह ने 18 अगस्त 2023 को पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड सहित पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊ व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर से की और उसके बाद विलम्ब से ही सही फरवरी 2024 में CO निहारिका तोमर के द्वारा इसकी जाँच की जा रही है जिसमें 21 फरवरी 2024 को CO निहारिका तोमर द्वारा शिकायत कर्ता अमरदीप सिंह के बयान तो दर्ज हो गए पर उसके बाद से दोनों आरोपियों अध्यक्ष दिलराज सिंह और प्रबंधक गुरमीत सिंह को CO सिटी निहारिका तोमर द्वारा बयान दर्ज करने हेतु बुलाया गया पर दिनांक 20 जून तक दोनों ही उपस्थित नहीं हुए।
क्या है मामला?
श्री गुरुनानक शिक्षा समिति के वर्तमान कोषाध्यक्ष अमरदीप सिंह के अनुसार समिति का खाता संख्या 2543101006995 केनरा बैंक की शाखा रुद्रपुर में संचालित है जिसका लेन देन समिति के अध्यक्ष स० दिलराज सिंह, प्रबन्धक गुरमीत सिंह व कोषाध्यक्ष स० अमरदीप सिंह तीनों में से किन्हीं दो के हस्ताक्षरों से किया जाता है पर उनकी जानकारी के बिना 1/5/2021 से 1/12/2022 तक समिति के अध्यक्ष स० दिलराज सिंह पुत्र स० अमरीक सिंह, निवासी ग्राम बिगवाड़ा थाना रुद्रपुर ऊधम सिंह नगर एवं प्रबन्धक गुरमीत सिंह पुत्र दयाल सिंह निरंकार साईकिल स्टोर, मेन बाजार, रुद्रपुर जनपद ऊधम सिंह नगर एवं समिति के एक कर्मचारी पूरन पाण्डेय पुत्र रमेश चन्द्र पाण्डेय निवासी कोशलगंज, थाना बिलासपुर जनपद रामपुर उ०प्र० तथा केनरा बैंक कर्मचारियों से मिली भगत कर साजिश के तहत समिति के खाते से दिनांक 01.5.2021 से दिनांक 01.12.2022 तक कुल 113 चैकों के माध्यम से लगभग रुपये 31,26,022/- (इकत्तीस लाख छब्बीस हजार बाईस रुपये) का गबन कर लिया गया है। स० अमरदीप सिंह कोषाध्यक्ष द्वारा यह भी शिकायत की गयी कि इनकी गैर जानकारी में उक्त दिलराज सिंह एवं गुरमीत सिंह द्वारा अनेकों बार सेल्फ के चैक जारी कर पूरन पाण्डेय से व बैंक के कर्मचारियों के साथ मिली भगत कर धनराशि का आहरण कराया गया, जबकि नियमानुसार सैल्फ के चैक के माध्यम से भुगतान नहीं किया जाना चाहिए था, बल्कि जिस व्यक्ति को भुगतान किया जाना हो उस व्यक्ति के नाम से चैक जारी किया जाना चाहिए था। उक्त धोखेबाज़ी व गबन का खुलासा जब वह बैंक स्टेटमेन्ट लेने बैंक में गये तो बैंक मैनेजर द्वारा किया गया। स० अमरदीप सिंह कोषाध्यक्ष द्वारा यह भी बताया गया कि बैंक मैनेजर ने यह भी जानकारी दी कि उक्त गबन की गई धनराशि को दूरदराज के भिन्न-भिन्न स्थानों से समिति के बैंक खाते में आंशिक रूप से जमा कराया गया है। सैल्फ के चैक जारी करने से स्पष्ट हो जाता है कि दिलराज सिंह अध्यक्ष एवं गुरमीत सिंह प्रबन्धक द्वारा श्री गुरुनानक शिक्षा समिति रुद्रपुर के बैंक खातों से साजिश के तहत धन का गबन किया गया है। समिति के खाते की स्टेटमेन्ट से स्पष्ट है कि दिनांक 01. 5.2021 से दिनांक 01.12.2022 तक सैल्फ के चैक व पूरन पाण्डेय के नाम से चैक जारी किये गये हैं।
स० अमरदीप सिंह द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि अध्यक्ष दिलराज सिंह व प्रबन्धक गुरमीत सिंह द्वारा अपना बचाव करने की नियत से कर्मचारी पूरन सिंह को पूरी तरह दोषी साबित करते हुये उक्त धनराशि की वसूली को दर्शाने के लिये कर्मचारी पूरन सिंह के घर को समिति के पास गिरवी रख लिया गया है। हालांकि इस बात का कोई साक्ष्य आज तक सामने नहीं आया है।
खड़े हो रहे हैं कई सवाल
इस पूरे मामले में जिस तरह से 113 चेक सेल्फ और एक कर्मचारी के नाम से निकाले गए और इसका पूरा ठीकरा उस कर्मचारी पूरन पाडेय पर फोड़ा गया ये अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।
सबसे पहला सवाल 113 चेक मतलब लगभग 3 चेकबुक कैसे कोई एक कर्मचारी गायब कर सकता है और अगर मान भी लें तो क्या वो सभी चेक क्या उन्हीं गायब चेक बुकों के हैं? जिनसे एक साल के अंतराल में ये 31 लाख की हेर फेर हुई?
दूसरा सवाल चेक बुक किसके पास रहती थीं? स. अमरदीप सिंह के अनुसार चेकबुक प्रबंधक गुरमीत सिंह के पास रहती थीं। तो क्या उन्हें 3 चेकबुक गायब होने की भनक भी नहीं लगी?
तीसरा सवाल जैसा की नियमबद्ध होता है की किसी भी सोसायटी में सेल्फ के चेक से पैसे निकालने का प्रावधान तो होता है पर वो कमेटी को बिना बताए नहीं होता जो मासिक बैठक में तय किया जाता है वहीं 3-5हजार से ऊपर के सेल्फ के चेक से कैश निकालने का नियम भी नहीं होता। और जो कैश निकाले होते हैं उसके पूरे व्यय का लेखा जोखा मय बिल सोसायटी के अकॉउंट ऑडिट में लगेंगे। क्या वो लगे हैं?
चौथा सवाल क्या समिति के बैंक अकाउंट में किसी भी संचालक का मोबाइल न. संलग्न नहीं है जिसमें पैसे के लेन देन के msg आते हैं। अगर नहीं तो ऐसा क्यू नहीं और अगर हाँ तो फिर कैसे 113 चेक बिना किसी की जानकारी के केवल दो लोगों के हस्ताक्षरों से पास हुए और उनके भुगतान के msg भी नहीं आए?
क्यू दोनों आरोपी बार बार पुलिस के बुलाए जाने पर भी अपने बयान दर्ज कराने नहीं जा रहे हैं जबकी शिकायतकर्ता एक ही बार बुलाए जाने पर पुलिस के समक्ष अपने बयान दर्ज करवा आया है और निष्पक्ष जाँच की गुहार भी लगा चुका है।
इन 113 चेक्स से निकले पैसे को समिति के वार्षिक आय व्यय में किस रूप में दिखाया गया है और CA नें क्या अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इसे चिन्हित नहीं किया? और क्या वार्षिक आय व्यय की रिपोर्ट पूरी समिति के समक्ष रखी गई?
क्या जिस कर्मचारी पूरन पाण्डेय पर प्रबंधक गुरमीत सिंह और अध्यक्ष दिलराज सिंह नें गबन का आरोप लगा कर मामला रफा दफा करने की कोशिश की गई और उसकी प्रॉपर्टी भी समिति में अटैच करने की बात कही जा रही है तो क्या समिति ऐसा कर सकती है? क्या किसी वार्षिक AGM मीटिंग में ऐसा पास हुआ? क्या समिति के बाय लॉज़ में ऐसा कुछ नियम अंकित है?
और सबसे बड़ा सवाल क्यू प्रबंधक गुरमीत सिंह और अध्यक्ष दिलराज सिंह नें 113 चेको से हुए हेर फेर की रिपोर्ट पुलिस में नहीं दर्ज कराई ? और अगर वो कर्मचारी आरोपी था तो उसे क्यू नहीं पुलिस को जाँच के लिए सौपा? वहीं क्या ये संभव है की एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी एक साथ 3 चेक बुक गायब कर सकता है और क्या ये भी संभव है की एक साथ 3 चेक बुक संचालको द्वारा साइन कर के रखी गई थीं? अगर नहीं तो फिर कैसे हर बार लगभग 1.5 साल की अवधि में एक भी बार चेक बुक में से चेक गायब होने पर उसका पता दोनों संचालको को नहीं लगा। कहीं लाखों के गबन में एक निर्दोष को तो सजा नहीं दे दी गई?
ऐसे कई सवाल हैं जो खड़े हो रहे हैं जिनके जवाब पुलिस भी तलाश रही है पर प्रबंधक और अध्यक्ष दोनों पुलिस के समक्ष प्रस्तुत नहीं हो रहे हैं। पर जिस तरह से लगभग 32 लाख की हेर फेर के मामले को छुपाया और समिति के अन्य सदस्यों को गुमराह किया गया वो एक बड़ा मामला है। और समिति के मानव सेवा में हो रहे कार्यों पर हो रहे खर्चो पर एक सेंध भी है।