28 मई को देश के नए संसद भवन का पीएम मोदी उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही देश के लोकतंत्र के एक नए अध्याय की शुरुआत भी हो जाएगी। विपक्ष के हंगामे और किसान नेताओं के आंदोलन की धमकी के बावजूद भी पीएम मोदी ही इस चमचमाते लोकतंत्र की सबसे बड़ी इमारत का उद्घाटन करने जा रहे हैं, सभी तैयारियों को पूर्ण कर लिया गया है। सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा ‘सेंगोल’ भी पीएम मोदी को दक्षिण भारत के पुजारियों द्वारा विधि विधान के साथ सौंपा जाएगा। इसके बाद 5 फुट की इस चांदी की छड़ी जिसके ऊपर नंदी को बैठाया गया है, इस राजदंड के रूप में संसद भवन में स्थापित कर दिया जाएगा। लेकिन विपक्ष इसपर भी नाराज है, विपक्ष की नाराजगी के वजह चाहे जो भी हो, मगर कभी विपक्ष के सबसे कद्दावर नेताओं में कांग्रेस में रहे गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन किए जाने का समर्थन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला भी बोला है।
#WATCH | I would surely attend the inauguration ceremony of the new Parliament building if I was in Delhi. The opposition should praise the government to build the new Parliament in record time, whereas they are criticising the govt. I am strictly against the opposition… pic.twitter.com/fo5bayAwcn
— ANI (@ANI) May 27, 2023
विपक्ष के इस पूरे हंगामे के बीच पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, एक बात मुझे समझ में नहीं आती है कि आखिर क्यों विपक्षी पार्टियां चिल्ला रही हैं, क्यों उन्हें सांप सूंघ गया है, ये तो ऐसा समय है जब उन्हें खुश होना चाहिए कि देश को नई संसद मिल रही है। नबी ने कहा, अगर मैं दिल्ली में होता तो नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में जरूर शामिल होता। विपक्ष को रिकॉर्ड समय में नई संसद बनाने के लिए सरकार की प्रशंसा करनी चाहिए, जबकि वे सरकार की आलोचना करने में जुटे हुए हैं, मेरी मज़बूरी है कि मैं दिल्ली में नहीं हूं वर्ना जरूर इस कार्यक्रम का हिस्सा बनता। विपक्षी दलों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए।
इसके साथ ही पूर्व कांग्रेस नेता ने ये भी कहा कि जब वह नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय संसदीय मंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे उस समय उन्होंने नई संसद के निर्माण के सपने को देखा था, गुलाम नबी ने उस समय को याद करते हुए कहा कि जब मेरे मन में ये ख्याल आया तो मैंने तात्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से नई संसद बनाने के बारे में चर्चा की थी, बल्कि इसको लेकर हमने एक नक़्शे को भी तैयार कर लिया था, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते हम इसे पूर्ण नहीं कर सके। गुलाम नबी आजाद ने कहा देश की आजादी के बाद, देश की आबादी में करीब 5 गुना से ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। उसी हिसाब से प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ेगी तो लोकतंत्र की इमारत यानि संसद भवन का निर्माण भी जरूरी है। इसके साथ ही विपक्ष पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं नई संसद के उद्घाटन के बेवजह विवाद के एकदम विरुद्ध हूं। ऐसा नहीं है कि विपक्ष के पास मुद्दे नहीं है, लेकिन गलत मुद्दों को उठाने की जरूरत ही क्या है, और रही बात राष्ट्रपति से प्रेम की तो अगर इतना ही प्रेम थे तो मुर्मू के विरुद्ध उन्होंने कैंडिडेट को मैदान में क्यों उतारा?