उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि लगभग 5,000 “संदिग्ध’ गैर-उत्तराखंड निवासियों को उनकी पहचान सत्यापन के बिना राज्य में रहने के लिए वर्ष की शुरुआत से चल रहे “सत्यापन अभियान” के तहत हिरासत में लिया गया।
उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि लगभग 5,000 “संदिग्ध” गैर- उत्तराखंड निवासियों को उनकी पहचान सत्यापन के बिना राज्य में रहने के लिए वर्ष की शुरुआत से चल रहे “सत्यापन अभियान” के तहत हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया। उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, सत्यापन अभियान के तहत 1 जनवरी 2023 से 21 जून 2023 तक 4,914 लोगों को हिरासत में लिया गया।
आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा 2834 लोगों को उधम सिंह नगर से हिरासत में लिया गया, इसके बाद देहरादून से 1376 और हरिद्वार से 622 लोगों को हिरासत में लिया गया। हिरासत में लिए गए लोगों में ज्यादातर किरायेदार, फेरीवाले और मजदूर शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, 1.81 लाख लोगों की जांच की गई और पुलिस ने 95 लाख से अधिक का जुर्माना भी वसूला।
1.81 लाख लोगों में से 65,174 लोग मजदूर थे, 36,654 फेरीवाले थे, 57186 किरायेदार थे और 22953 अन्य “संदिग्ध लोग थे। अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) वी मुरुगेसन ने कहा, “1 जनवरी 2023 से हमारे सत्यापन अभियान में, हमने 4914 लोगों को हिरासत में लिया, जो राज्य से नहीं हैं और सत्यापन के बिना लेकिन पहचान सत्यापन के बिना उत्तराखंड में रह रहे थे।
नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा बताया कि बिना किसी पहचान सत्यापन के राज्य में रहने वालों पर उत्तराखंड पुलिस अधिनियम की धारा 81 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 के तहत मामला दर्ज करते हैं और उन्हें हिरासत में लिया है। यदि वे ज़मानत पत्र देते हैं या कोई वे [प्रतिष्ठित व्यक्ति] पहचान सत्यापन के बारे में उनसे वचन लेता है, तो उन्हें हिरासत में रखने के बाद रिहा कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “सत्यापन अभियान में, पुलिस घर-घर जाती है और पूछती है कि क्या किसी ने हाल ही में पड़ोस में रहना शुरू किया है।” पिछले साल 19 अप्रैल को, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य पुलिस को राज्य में रहने वाले लेकिन अन्य राज्यों से संबंधित लोगों की पहचान की जांच करने के लिए राज्यव्यापी सत्यपान अभियान चलाने के निर्देश जारी किए थे।