सरकारी विभागों में आए दिन कई घोटालों की खबरें आम हैं पर बीजेपी सरकार की घोटालों को लेकर जो सख्त नीति और दावे की पोल खोलता आज रुद्रपुर में एक बड़ा खेल शिक्षा विभाग के अंतर्गत हो गया।
बता दें कि दिनांक 14 अगस्त को शिक्षा विभाग ने एक टेंडर निकाला जिसमें रुद्रपुर विकास खंड के अंतर्गत आने वाले 6 राजकीय विद्यालयों जो कि खस्ता हालात में हैं के ध्वस्तीकरण के लिए निविदाए मांगी गई थी। जिसकी जमा करने की अंतिम तारीख 21/08/23 और नीलामी की तारीख 22/8/23 याने की आज थी। खेल यही से शुरू होता है…
बता दें कि इस नीलामी में रुद्रपुर और किच्छा से कुछ बिल्डिंग ध्वस्तीकरण का काम करने वालों ठेकेदारों ने टेंडर भी डाले, पर खेल पूरा सुनियोजित तरीके से खेला गया जहाँ कुछ ठेकेदारों ने बाहर ही बाहर सेटिंग कर जहाँ ना केवल कई अन्य ठेकेदारों को टेंडर डालने से रोका वहीं विभाग में भी सेटिंग कर इन बिल्डिंगो को वास्तविक बाजार मूल्य से कई गुना कम मूल्य पर सुनियोजित तरीके से टेंडर भी विभाग की तरफ से निकलवाए।
यहाँ ये बता दें की इसमें घोटाले की बू तब आई जब 22 तारीख की ही रात रुद्रपुर में एक ठेकेदार के ठिकाने में कई अन्य ठेकेदारों के द्वारा इन बिल्डिंगों की बोली फिर लगाई गई, और इन्हें बाजार मूल्य पर आपस में बाँट भी लिया गया। सूत्रो के अनुसार जिन ठेकेदारों को ये टेंडर अलॉट भी हुए हैं उनमें से कुछ की GST भी फर्जी है, जो की पूर्णरूप से जाँच का विषय है। सवाल यहाँ विभाग के अधिकारीयों पर उठ रहे हैं कि कैसे इन ठेकेदारों ने सरकारी विभागों से मिली भगत कर जो सरकार को राजस्व का चूना लगाया है और बाजार मूल्य से कम मूल्य पर किस एजेंसी के द्वारा उक्त विद्यालयों के स्क्रैप का मूल्यांकन किया गया वो भी जाँच का विषय है।
हमनें खंड शिक्षा अधिकारी राजेंद्र सिंह से जब इस विषय पर बात की तो उन्होंने फर्जी GST होने के मामले में अपनी जानकारी होने की अनभिज्ञता बताई और साथ ही जब उनसे इन विद्यालयों के मूल्यांकन के विषय में उनसे पूछा तो उन्होंने कहा की ये सरकार से अनुबंधित इंजीनियरस के द्वारा ही किया गया है। पर वो स्वयं इनके बाजार मूल्य से अनभिज्ञ नजर आए। अब देखना ये है की ये खेल अगर हुआ है तो किस की मिली भगत से हुआ है और किसने इन ठेकेदारों से मिल कर सरकार को राजस्व का चूना लगाया है।