पूर्व में 2 बार निलंबित और 1 करोड़ 9 लाख के घोटाले जैसे कई आरोपों से घिरे रहे जिला पूर्ती अधिकारी श्याम आर्य को जिला उधमसिंह नगर में पुनः न्युक्ति मिलने की खबरें फिर से जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है। हालांकि अभी उन्होंने पदभार नहीं संभाला है पर जिले में उनके वापस आने की खबरों ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है. बता दे की जिला पूर्ती अधिकारी श्याम आर्य का विवादों से गहरा नाता रहा है। पूर्व में भी उनकी तैनाती जहाँ जहाँ रही वहां वहां उनका विवादों से नाता रहा। फिर चाहे उधमसिंह नगर में हो या फिर उसके बाद पिथौरागढ़ में हो. हर जगह जिला पूर्ती अधिकारी ने अपने भ्र्ष्टाचार की छाप छोड़ी है। और उन्हें इसके लिए 2 बार निलंबित भी किया गया है।
सस्ता राशन घोटाला – कोरोना काल
बता दें कि श्याम आर्य जुलाई 2017 से 7 जून 2021 तक उधमसिंह नगर में जिला पूर्ती अधिकारी के रूप में रहे पर इस दौरान उन्होंने कोरोना काल में गरीबों के लिए आए राशन कि किच्छा में 12 सस्ता ग़ल्ला दुकानदारों के साथ मिलकर 1 करोड़ 9 लाख 48 रूपये के राशन का घोटाला कर डाला जिसके आरोप भी सिद्ध हुए और तत्कालीन जिला पूर्ती अधिकारी श्याम आर्य सहित पूर्ती निरीक्षक हीराबल्लभ जोशी पर 8 लाख 42 हजार का जुर्माना भी लगाया गया वहीं 12 सस्ता ग़ल्ला दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए। यहाँ ये बात गौर करने वाली है कि उस समय के पूर्ती निरीक्षक हीराबल्लभ जोशी जो अब सेवानिवृत हो चुके हैं से तो 8 लाख 42 हजार कि वसूली हो गई पर जिला पूर्ती अधिकारी पर शासन कि दया दृष्टि अभी भी बनी हुई है। क्यूकी उनसे अब तक ना तो जुर्माने की 8 लाख राशी वसूली गई वहीं उनके निलंबन के बाद उन्हें ईनाम स्वरुप वापस जिला उधमसिंह नगर जैसा प्रभावी जिला भी दें दिया गया। हालांकि अभी तक उन्होंने पदभार नहीं संभाला है जो लगता है अब नियम अनुरूप चुनावी समय में आचार सहिंता लागू होने के दौरान उन्हें कोई पदभार दिया जा सकता है।
2021 में घोटाले के बाद 2022 में कमीशन खोरी में भी हुए निलंबित।
बता दें जहाँ जिला पूर्ती अधिकारी श्याम आर्य को सस्ता राशन घोटाले में 7 जून 2021 में निलंबित किया गया था वहीं उसके बाद अप्रैल 2022 में उनकी पुनः बहाली कर दी गई और उन्हें पिथौरागढ़ का जिला पूर्ती अधिकारी बना दिया गया। पर वहाँ भी श्याम आर्य ने अपनी भ्रस्टाचार वाली कार्यशैली की छाप छोड़ी और कमीशन खोरी के आरोपों के चलते उन्हें मंत्री रेखा आर्य ने उन्हें निलंबित कर दिया। दो दो बार निलंबित होने के बाद भी जिला उधमसिंह नगर में उनकी तैनाती चर्चाओं में बनी हुई है।
19 आरोपों में से 17 आरोप हुए थे सिद्ध
खाद्य घोटाले के आरोपों में निलंबित चल रहे जिला पूर्ति अधिकारी पर कुल 19 आरोप लगाए गए थे। इनमें से पूर्ण रूप से नौ और आंशिक रूप से आठ सिद्ध हो गए हैं। इसके बाद भी शासन ने सिर्फ दो इंक्रीमेंट रोकने का आदेश दिया था। खाद्य सचिव भूपाल मनराल ने अपने आदेश में लिखा था कि श्याम आर्या पर नौ आरोप पूर्णतया तथा आठ आंशिक रूप से सिद्ध पाए गए। ऐसे में श्याम आर्या को जिला पूर्ति अधिकारी के रूप में उच्चाधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना किया जाना, शासकीय कार्यों के प्रति उदासीनता, पदीय दायित्वों एवं कर्तव्यों के निर्वहन में अकारण विलंब, निरंतर लापरवाही, अनियमितता व दुराचरण का दोषी पाया जाना उल्लिखित किया गया है। आदेश बिंदु संख्या पांच में लिखा गया था कि उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली 2003 में निहित प्रावधानों के अंतर्गत, श्याम आर्या की दो वेतन वृद्धियां संचयी प्रभाव से रोकते हुए उनका निलंबन समाप्त कर, सेवा में तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाता है।
वहीं करीब 10 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते हुए शिकायत करने वाले शक्तिफार्म निवासी निखिलेश घरामी ने कहा था कि 17 आरोप सिद्ध होने के बाद भी कार्यबहाली करना उचित निर्णय नहीं है। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट से न्याय की उम्मीद लगाई थी।हालांकि अगर सही से जाँच होती तो पूरे जिले भर में ऐसे कई भ्रस्टाचार के मामले और उजागर होते जो कोराना काल में सस्ता राशन को लेकर तत्कालीन जिला पूर्ती अधिकारी श्याम आर्य के शासन काल में केवल किच्छा में संज्ञान में आया, और उन पर 1 करोड़ से भी ज्यादा के घोटाले का आरोप सिद्ध हुआ।
कर्मचारी भी कर चुके हैं कार्य बहिष्कार
यहाँ ये भी बता दें की दिसंबर 2020 में ऊधमसिंह नगर के जिला पूर्ति अधिकारी (डीएसओ) श्याम आर्य के खिलाफ पूर्ति विभाग के कर्मचारियों और राशन डीलरों का गुस्सा इतना बढ़ गया था कि डीएसओ के निलंबन की मांग करते हुए नागरिक आपूर्ति विभाग (आपूर्ति शाखा) कर्मचारी संघ ने 10 दिसंबर 2020 गुरुवार को प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया। देहरादून में भी जिला पूर्ति विभाग के कर्मचारियों ने कार्य से विरत रहते हुए सरकार और शासन से डीएसओ को पद से हटाने की मांग की थी।
सवालों के घेरे में जिला पूर्ती अधिकारी की तैनाती
सदा विवादों में रहने वाले जिला पूर्ती अधिकारी श्याम आर्य की वर्तमान में पुनः एक बार जिला उधमसिंह नगर में तैनाती कई सवाल खड़े कर रही है। वहीं ये भी बता दें की जहाँ लोकसभा चुनावों के चलते 16 मार्च 2024 को आचार संहिता लागू हो गई वहीं 16 मार्च को ही DSO के तबादले के आदेश उधमसिंह नगर में होने के बाद उन्होंने तैनाती क्यू नहीं ली और अब अगर वो पदभार ग्रहण करते हैं तो कहीं ना कहीं फिर सवाल खड़े होते हैं, नियमानुसार किसी भी कर्मचारी को आचार सहिंता लागू होने के बाद तैनाती नहीं दी जाती।
पर सवसे बड़ा सवाल अपने आप में आज फिर मुँह उठाए खड़ा है कि एक विषम काल के दौर में जब पूरा विश्व कोराना महामारी से जूँझ रहा था, सभी देश अपने देशवासियो की जान बचाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे थे वहीं भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह कोरोना काल में जब सब कुछ बंद था और गरीबों को मुफ्त व सस्ता राशन देकर पूरे विश्व में भारत की छवि को उच्चतम स्तर पर पहुँचाया था उस समय जिला ऊधम सिंह नगर में प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों और योजनाओं की जिम्मेदारी जिस पूर्ती अधिकारी श्याम आर्य पर थी वो केवल एक विधानसभा में ही गरीबों का 1 करोड़ 9 लाख का सस्ता राशन डकार गए। अगर सही से जाँच होती तो शायद पूरे जिले से ये आंकड़ा कहीं ज्यादा होता। पर उसके बाद भी उत्तराखंड शासन और प्रशासन की उन पर दया दृस्टि कई सवाल खड़े करती है। या यूँ कहें की वक़्त के साथ उनके द्वारा किए घोटाले का जख्म भर गया और वक़्त के साथ ही पिथौरागढ़ में भी कमीशनखोरी के आरोप भी धूमिल हो गए।
अब देखना होगा कि अगर श्याम आर्य को पुनः एक बार जिला उधमसिंह नगर में तैनाती मिलती है तो वो क्या नई छाप छोडेंगे और कब तक सरकार को देय दंड कि राशी लगभग 8 लाख 42 हजार चुकाएंगे या वो भी वक़्त के साथ उत्तराखंड सरकार में बैठे हुए उनके आका उसे भी माफ़ कर उस राशी को उन्हें ईनाम स्वरुप दे देंगे।