पैथोलॉजी परीक्षण रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनमें महत्वपूर्ण विवरण/सूचना होती है जो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को रोगी की स्वास्थ्य स्थितियों का आकलन करने, उनके निदान की पुष्टि करने और उचित उपचार योजनाओं को निर्धारित करने, उपचार की प्रभावकारिता की निगरानी आदि के लिए परिणामों की सही व्याख्या करने और समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा पैथोलॉजी परीक्षण रिपोर्ट कानूनी दस्तावेज भी हैं क्योंकि वे प्रयोगशाला परीक्षण और परिणामों के दस्तावेज़ीकरण में पारदर्शिता, जवाबदेही और सटीकता सुनिश्चित करते हुए महत्वपूर्ण ठोस सबूत के रूप में कार्य करते हैं।
पैथोलॉजी टेस्ट रिपोर्ट के महत्व को ध्यान में रखते हुए आईएमसी ने केवल योग्य और पंजीकृत चिकित्सकों द्वारा ही पैथोलॉजी टेस्ट रिपोर्ट पर हस्ताक्षर/काउंटर साइन करने के बारे में निर्देश दिए हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एसएलपी (सीए) संख्या 28529/2010 का निपटारा करते हुए भी कहा कि “मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का यह रुख सही है कि प्रयोगशाला रिपोर्ट पर केवल पैथोलॉजी में स्नातकोत्तर योग्यता वाले पंजीकृत चिकित्सक द्वारा ही हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।”
हालांकि, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के 100 बिस्तरों वाले ईएसआईसी अस्पताल रुद्रपुर में स्थापित पैथोलॉजी प्रयोगशाला पिछले कई महीनों से बिना किसी योग्य पंजीकृत चिकित्सक के अवैध रूप से प्रतिदिन बड़ी संख्या में पैथोलॉजी परीक्षण कर रही है। चिकित्सा आयुक्त (उत्तरी क्षेत्र), ईएसआईसी और चिकित्सा अधीक्षक, ईएसआईसी अस्पताल रुद्रपुर दोनों ही अस्पताल में अवैध रूप से किए जा रहे परीक्षणों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जिससे ईएसआईसी के प्रमुख हितधारकों के जीवन को खतरा हो सकता है।
रुद्रपुर और उसके आसपास के क्षेत्र के रहने वालों को ईएसआईसी अस्पताल रुद्रपुर द्वारा चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं पर अव्यवस्था,अनदेखी और घोटालों की भेंट चढ़ा ये अस्पताल प्रधानमंत्री मोदी की उस सोच को जो आम जन मानस को मूलभूत चिकत्सा सुविधाएं देने के लिए ऐसे अस्पतालो की शुरुआत की थी, को खुले आम पलीता लगा रहा है।
बिना पैथोलॉजीस्ट के की जा रही हैं जाँचे।
बता दें की ESIC हॉस्पिटल में चल रही अनियमितताओं पर लगाई गई RTI में ऐसे चौकाने वाले आंकड़े सामने आएं हैं जो हॉस्पिटल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ आनंद पाटिल और उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं RTI के जवाब में जहाँ बताया गया कि विगत मार्च 2024 से सितम्बर 2024 तक हॉस्पिटल की पेथोलॉजी में अब तक 28052 जाँचे हुई हैं जो बिना पैथोलॉजीस्ट के हस्ताक्षर के ही करी गई हैं जिनकी प्रमाणिकता पर सीधे सीधे सवाल उठते हैं और बीमारियों की ये जाँच रिपोर्ट कितनी सही हैं और उसके आधार पर हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स द्वारा मरीजों की बीमारियों के होने वाले इलाज पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है। जो सीधा सीधा मरीजों की जान से खेलने जैसा है। और वहीं इस गंभीर मुद्दे पर हॉस्पिटल के कार्यकारी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ आनंद पाटिल हमारे सवालों पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए।
जवाबदेही से भागते दिखे मेडिकल सुप्रीटेंडेंट।
लगाई गई RTI के जवाबो और इस तरह की लापरवाहीयों की जवाबदेही से हॉस्पिटल के कार्यकारी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ आनंद पाटिल भागते नजर आए और जब हमनें इस विषय पर उनसे जवाब माँगा तो जहाँ वो उन सवालों से बचते नजर आए और अपने उच्च अधिकारीयों को इसके लिए आधिकारिक बता कर आकस्मिक छुट्टी पर चले गए। पर वहीं मांगी गई RTI के जवाबी पत्र दिनांक 5/11/2024 जो केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी प्रकाश चंद्र लोडवाल द्वारा भेजा गया था, में साफ लिखा था कि प्रदान की गई किसी भी सूचना से असंतुष्ट होने पर साफ लिखा था कि 30 दिनों के भीतर प्रथम अपीलीय अधिकारी डॉ आनंद पाटिल ( चिकित्सा अधिकारी प्रभारी ) के पास अपील कर सकते हैं। पर बावजूद इसके डॉ पाटिल हॉस्पिटल में चल रही अनियमितताओं पर पूछे सवालों से बचते नजर आए और आकस्मिक अवकाश पर चले गए। बस अपनी जिम्मेदारियों के दौरान हो रही लापरवाहीयों पर हमें उनके द्वारा निकाली गई भर्तियों के पेपर कटिंग ही दें पाए जो ये भी सवाल खड़े करता है कि क्या इस दौरान पिछले कुछ महीनों में निकाली गई भर्तियों में कैसे कोई योग्य कर्मी अभी तक हॉस्पिटल को नहीं मिला? या कोई और अनिर्धारित शर्त इसका बड़ा कारण है।
इससे साफ जाहिर होता है कि कैसे सरकार द्वारा चलाई जा रही जनहित की योजनाओं का मज़ाक यहाँ कार्यरत विभागीय अधिकारी उड़ा रहे हैं। और खुद मोटी मोटी सैलरी पाने वाले ये अधिकारी सरकार की आँखों में धूल झोंक रहे हैं। ऐसी कई अनियमितताएं हैं जो रुद्रपुर के इस हॉस्पिटल में चल रही हैं जिनका हम एक के बाद एक खुलासा कर रहे हैं सरकार की योजनाओं के साथ खिलवाड़ करने वाले इन अधिकारीयों का पर्दाफाश कर रहे हैं।