“बस मंदिर बना कर बेचे जा रहे हैं प्लाट” काटी जा रही हैं अवैध कॉलोनिया। सिस्टम की लापरवाही का फायदा उठाते बिल्डर।

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रुद्रपुर के विकास को पलीता सबसे ज्यादा अगर किसी नें लगाया है तो वो उन बिल्डरों और डवलपरो नें जिन्होने वक़्त के साथ सिस्टम की कमजोरी और नाकामी का भरपूर फायदा उठाया। जहाँ रुद्रपुर में सिडकुल आने के साथ ही रुद्रपुर सहित आस पास के क्षेत्रो में लोगों नें अपने आशियाने ढूंढ़ने शुरू किये और कई प्रॉपर्टी ब्रोकरो नें इस अवसर को अवैध कॉलोनीयां काट के खूब भुनाया और ये ब्रोकर सीधा डेवलपर और बिल्डर बन गए। जिला प्राधिकरण का दायरा भले ही राज्य बनने के 25 वर्ष बाद भी नहीं बड़ पाया हो पर इन बिल्डरों नें शहर के आस पास के हर गाँव और कस्बे को चाहे वो प्राधिकरण की सीमा में आते हैं या नहीं पर दूर दराज से आकर रुद्रपुर में नौकरी करने वाले हजारों लोगों को झूठे वादे कर नियमों के विरुद्ध कई कॉलोनिया काट दी हैं।

ऐसा ही एक मामला रुद्रपुर से लगे शिमला पिस्तौर, कोठा और रामेश्वर पुर से सामने आ रहा है। जहाँ नीलकंठ डेवलपर के नाम से जोधा सिंह रावत नाम के व्यक्ति नें जहाँ पहले प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले शिमला पिस्तौर में करीब 30-40 एकड में बिना नक्शा पास कराए कॉलोनी काटी जहाँ अब भी वो प्लाट बेच रहा है और वहीं साथ में रामेश्वरपुर और कोठा में भी बिना प्राधिकरण से नक्शा पास कराए शहर के भोले भाले लोगों को अपना शिकार बना रहा है।

शिमला पिस्तौर साईट

प्राधिकरण के अधिकारीयों के नाक के नीचे जोधा सिंह रावत जैसे ना जाने कितने बिल्डर धड़ल्ले से रुद्रपुर के आस पास के इलाकों में अवैध कॉलोनीयों को काट कर बिना मानको को पूरा करे करोड़ों के वारे न्यारे कर भविष्य के लिए प्रशासन के सामने एक बड़ी समस्या को खड़ा कर रहे हैं।

रजिस्ट्रार भी कर रहे हैं बिना नक्शा पास प्लाटो की रजिस्ट्री

रुद्रपुर हो या किच्छा जिले के हर रजिस्ट्री ऑफिस का यही हाल है। जहाँ बिना नक्शा पास बिना रेरा के अप्रूवल के 5-10% कमीशन लेकर अवैध कॉलोनीयों में बेचे जा रहे प्लाटो की रजिस्ट्री धड़ल्ले से की जा रही। नियम अनुरूप बिना प्राधिकरण या लोकल अथॉरिटी से नक्शा पास कराए व रेरा सर्टिफिकेट के किसी भी कॉलोनी में प्लाट की रजिस्ट्री नहीं की जा सकती। या यूँ कहें जब तक किसी विकसित की जाने वाली कॉलोनी में लोकल अथॉरिटी से पास किया गया नक्शा और रेरा सर्टिफिकेट नहीं लगा होगा तब तक किसी भी प्लाट की रजिस्ट्री नहीं की जा सकती पर बावजूद इसके रजिस्ट्रार ऑफिस में एक के बाद एक प्लाटो की रजिस्ट्रीया की जा रही हैं।

जिन्हें बता रहे हैं 2018 की कॉलोनी, आज भी बेच रहे हैं उसमें प्लाट।

शिमला पिस्तौर में काटी गई नीलकंठ धाम कॉलोनी जो 30-40 एकड में फैली है, बिल्डर जोधा सिंह रावत इसे 2018 की कॉलोनी बता रहे हैं पर बावजूद इसके 2025 में भी जनवरी से अब तक लगभग 90 प्लाट बेच चुके हैं वहीं रामेश्वरपुर में 36, लालपुर में 8 और कोठा में 20 के करीब प्लाट बेच चुके हैं। जिनकी कुल संख्या लगभग 155 से ज्यादा है और ये वो प्लाट हैं जिनकी रजिस्ट्री भी गवर्नमेंट की ऑनलाइन वेबसाइट पर देखी जा सकती है। मतलब साफ है की थोड़े से कमीशन के चक्कर में जहाँ रजिस्ट्रार इन अवैध कॉलोनीयों के बिना मानचित्र जो बिना रेरा अप्रूवल के प्लाटो की खरीद फरोक्त में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इन जैसे ना जाने कितने बिल्डरों की मदद कर रहे हैं और भविष्य के लिए फिर अवैध बस्तियों का मकड़ जाल प्रशासन के लिए सरदर्द बनने जा रहा है।

किसी भी कॉलोनी के नहीं हैं मानक पूरे। बस मंदिर दिखा कर बेचे जा रहे हैं प्लाट।

जोधा सिंह रावत नें जहाँ अरबों रुपए इन अवैध कॉलोनीयों को विकसित कर कमा लिए हो पर इन कॉलोनीयों में रहने वाले गरीब तबके के लोग मूल भूत सुविधाओं के लिए अब चीखे मारने लगे हैं। बरसातों में इन कॉलोनीयों का ऐसा हाल है की जहाँ रोडे पहले से ही टूटी हुई हैं अब उन पर 3-4 फिट तक पानी भर जाता है। ना किसी नाली का निर्माण ना पानी की निकासी का बंदोबस्त। सिवाय मंदिर के इन कॉलोनीयों में और कुछ भी मूलभूत सुविधाएं देखने को नहीं मिल रही है। जोधा सिंह रावत की इन कॉलोनीयों में सबसे ख़ास बात ये है की ये प्लाट बेचने के सुरुवाती समय में ही मंदिर का निर्माण करवा कर भोली भाली जनता को ठगने का काम बड़ी आसानी से करता है।

नारायणपुर साईट

प्रशासन क्यों है मौन?

जिला प्राधिकरण के अंतर्गत नीलकंठ कॉलोनी जैसी ना जाने कितनी अवैध कॉलोनिया लगातार काटी जा रही है पर बावजूद इसके प्रशासन मौन है और लोग नियमों की जानकारी के आभाव में इन भू माफियाओ का शिकार बनते जा रहे हैं पर सवाल ये है क्यों प्रशासन मौन है? क्यों इन जैसे सैकड़ो भूमाफियाओ द्वारा लगाए जाने राजस्व के चूने को मूक दर्शक बन कर देख रहा है? और कब तक ये भू माफिया प्रशासन की लापरवाही का फायदा उठा कर भोली भाली जनता को ठगने का काम करते रहेंगे? क्या प्रदेश के मुखिया पुष्कर धामी जिस विकसित उत्तराखंड की बात करते हैं उसको प्रशासन पलीता लगाए जा रहा है? कई सवाल हैं जो प्रशासन की नाकामी को उजागर कर रहे हैं और प्रशासन की लापरवाही का फायदा ये भू माफिया खुल कर उठा रहे हैं।


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