आखिर क्या होता था अतीक के कोर्ट ने? पीड़ित ने सुनाई आपबीती

Share Now

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसके भाई अशरफ अहमद (Ashraf Ahmed) की हत्या के बाद दोनों के आतंक का काला चैप्टर हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गया. 15 अप्रैल को प्रयागराज में मीडिया से बातचीत के दौरान तीन हमलावरों ने गोली मारकर दोनों की हत्या कर दी थी. अब धीरे-धीरे इनम गैंगस्टर्स के सताए लोगों का दर्द बाहर निकलकर आ रहा है. माफिया ने किसी को किडनैप किया, किसी की जान ले ली, किसी से फिरौती मांगी तो किसी की जमीन पर कब्जा कर लिया था. इन्हीं में से एक पीड़ित हैं विजय कुमार साहू, जिन्होंने अतीक के आंतक के बारे में कई बातें बताईं.

प्रयागराज में कर्बला पुलिस चौकी के सामने के इलाके के रहने वाले विजय कुमार साहू अभी तक माफिया भाइयों के आतंक से उबर नहीं पाए हैं, जिन्होंने तकरीबन 44 सालों तक जिले पर राज किया था. विजय ने बताया, ‘कुछ चीजें हैं जो आपको जीवन भर परेशान करती हैं. मुझे अभी भी खूंखार गैंगस्टर के शुरुआती शब्द याद हैं – ‘जानत है बे चकिया से हैं’ (क्या तुन जानते नहीं कि मैं चकिया से हूं). इसके बाद उसने एक और लाइन- ‘ये तुम अच्छा नहीं किया.’ मैंने मुझे और मेरे भाई को माफ करने की गुहार लगाई, लेकिन वो कहता रहा ‘ये तुम अच्छा नहीं किया.’

पीड़ित ने सुनाई आपबीती
विजय कुमार साहू 1996 की उस घटना का जिक्र कर रहे थे जब प्रयागराज और उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों में माफिया भाइयों का आतंक चरम पर था. उन्होंने कहा, ‘मुझे आज भी वो दिन याद है जब हम सभी चकिया इलाके में एक रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे. जब हम कब्रिस्तान से लौट रहे थे, मेरे भाई अशोक कुमार साहू ने एक कार को ओवरटेक किया, बिना यह जाने कि कार अतीक के भाई अशरफ की है.’ विजय ने बताया,’नाराज अशरफ ने हमारी कार को रोक लिया और भाई को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी, जो गाड़ी चला रहा था. मुसीबत को भांपते हुए स्थानीय लोग स्थिति को शांत करने के लिए आगे आए और हम सभी अपने रास्ते निकल गए.’

विजय ने कहा,’कुछ दिनों के बाद परिवार को संदेश मिला कि अतीक उन्हें अपने दरबार में देखना चाहता है, जिसे वह अपने कार्यालय में चलाता था. मैं अपनी मां के साथ वहां गया था. हम कहते रहे कि यह एक गलती थी, हम नहीं जानते थे कि गाड़ी अशरफ की है, लेकिन अतीक ने कहा ‘ये तुम अच्छा नहीं किया.’उन्होंने कहा, ’19 जनवरी 1996 को भाई अशोक प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके के पास एक अस्पताल में रिश्तेदार से मिलने गया था, जहां उसे अशरफ और उसके आदमियों ने गोली मार दी थी.’ 27 साल तक अतीक अहमद के रसूख के कारण परिवार खामोश रहा, लेकिन अतीक और अशरफ के गोलीकांड में हुई हत्या के बाद परिवार ने चुप्पी तोड़ी है.


Share Now