उत्तराखंड: 40 से अधिक बसों को तो नीलाम हो जाना चाहिए था वह जाएगी चारधाम, परिवहन विभाग करेगा ग्रीन कार्ड जारी

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प्रयाग भारत, उत्तराखंड: चारधाम यात्रा में रोडवेज की ओर से जिन 115 बसों का बेड़ा तैयार किया गया है, उन बसों में 50 फीसदी बसें पर्वतीय क्षेत्रों में चलने लायक नहीं हैं। 40 से अधिक बसों को तो नीलाम हो जाना चाहिए था। वहीं अधिकारियों का कहना है कि फिट बसें ही यात्रा में जाएंगी।

रोडवेज मुख्यालय की ओर से चारधाम यात्रा के लिए 115 बसों का बेड़ा तैयार किया गया है। बेड़े में कोटद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर गढ़वाल, हरिद्वार, देहरादून ग्रामीण डिपो, देहरादून पर्वतीय डिपो, अल्मोड़ा, भवाली, हल्द्वानी, लोहाघाट, रुद्रपुर, काशीपुर, पिथौरागढ़, टनकपुर, रुड़की, रामनगर, बागेश्वर, काठगोदाम आदि डिपो की बसें शामिल होंगी।

यदि कुमाऊं मंडल के डिपो की बसों को छोड़ दें तो गढ़वाल मंडल के डिपो की अधिकांश बसों की हालत खराब है। यह बसें करीब आठ-आठ लाख किमी से ज्यादा चल चुकी हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो 40 से अधिक बसों को तो नीलाम हो जाना चाहिए था। जो 50 फीसदी सही बसें हैं, वह कुमाऊं मंडल से आएंगी।

पिछले साल रोडवेज की ओर से 130 नई बसें खरीदी गई थी। जिसमें करीब 100 नई बसें (यूरो छह) कुुमाऊं मंडल के डिपो को मिली थी। जबकि 30 बसें गढ़वाल मंडल के डिपो को मिली थी।

यह है बसों की स्थिति

रोडवेज की 28 और 31 सीरीज वाली बसें 2016 में तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में आई थी। 40, 42, 43 और 44 सीरीज की बसें 2019 में आई थी। इन सीरीज की अधिकांश बसें आठ लाख किमी से अधिक दूरी तय कर चुकी हैं। मानक के अनुसार पर्वतीय क्षेत्रों में 6 लाख किमी से अधिक चल चुकी बसें नहीं चल सकती है। इन बसों की बॉडी भी बेकार हो चुकी है। सीटों पर गंदगी पसरी रहती है।

चारधाम यात्रा में जिन बसों का संचालन किया जाएगा। पहले उनका परिवहन विभाग की ओर से ग्रीन कार्ड जारी किया जाएगा। यात्रा के लिए फिट होनी वाली बसें ही आगे भी जाएंगी। इस बार नई बसें मिली हैं उनका भी लाभ मिलेगा। 

सुरेश चौहान, मंडलीय महाप्रबंधक (संचालन)


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