सुशासन के लिए पुलिस का निर्भय होना भी ज़रूरी, छोटी सी घटना को धार्मिक मोड़ दे कर कहीं राजनीती करना तो नहीं चाह रहे कुछ नेता?

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चौकी इंचार्ज के चेकिंग के दौरान एक युवक से अभद्रता वाले मामले में पिछले दो दिनों से रुद्रपुर में घमासान मचा हुआ है। कुछ व्यापारी नेता और समाजसेवी इस घटना पर इसे पूरे सिक्ख समाज के साथ हुई अभद्रता से का रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। यहाँ समाज के हर तबके को ये समझना ज़रूरी है कि समाज में लॉ एंड आर्डर को बनाए रखने के लिए अराजक तत्वों में पुलिस का भय होना ज़रूरी है और ये तभी हो सकता है जब पुलिस सख़्ती से कानून का पालन सभी से करवाए। और कई बार पुलिस कि सख्त कार्यवाही हो सकता है कुछ आम इंसानों के लिए थोड़ी मुश्किल भरी हो सकती है पर ये सख्त कार्यवाहीयाँ उन अराजक तत्वों में खौफ भी पैदा करती है जो हर एक आम जनमानस के लिए बेखौफ जीने के लिए ज़रूरी होती है।

संवेदनशील इलाकों में पुलिस की कार्यवाही कितनी ज़रूरी।

रुद्रपुर के कई इलाके जिसमें मलिक कॉलोनी, आदर्श कॉलोनी, भूरारानी, दक्ष चौराहा, गंगापुर एरिया जैसे कई इलाके ऐसे हैं जो समय के साथ विकसित हुए पर आज भी इनमे से कई इलाकों में चेन स्नेचिंग और लूटपाट की कई घटनाएं आए दिन होती हैं और ऐसे संवेदनशील इलाकों में पुलिस की चेकिंग होना ज़रूरी है। जिससे आम जनता निर्भीक हो कर रह सके। और उसके लिए पुलिस का भी निर्भीक होना भी ज़रूरी है। और अगर पुलिस का खौफ नहीं होगा तो ये कहना गलत नहीं होगा की अराजक तत्वों के हौसले किसी भी शहर में बुलंद ही होंगे।

वायरल विडियो को राजनितिक मुद्दा बनाना गलत

दो दिन पूर्व हुए चेकिंग के दौरान चौकी प्रभारी द्वारा एक युवक के साथ अभद्रता का वीडियो वायरल होने के बाद शहर में जिस तरह ज़े कुछ व्यापारी नेता और समाजसेवी इसे धार्मिक और राजनितिक मुद्दा बनाने में लगे हैं वो एक तरह से पुलिस का मनोबल तोड़ने जैसा और शहर में घूम रहे आराजक तत्वों को बढ़ावा देने जैसा होगा। हो सकता है चौकी इंचार्ज का रवैया थोड़ा अमर्यादित और आक्रोश भरा हो सकता है पर कई मायनों में पुलिस की चेकिंग जैसी कार्यवाहीया लॉ एंड आर्डर के लिए बहुत ज़रूरी भी हैं। और इसे धार्मिक रंग दे कर राजनीती करना शहर के लिए किसी मायने में सही नहीं है। और ये समाज की उन प्रभुत्व वर्ग और वरिष्ठ लोगों को भी समझना चाहिए की कहीं कोई अपनी राजनीती चमकाने के लिए उनकी भावनाओं से तो नहीं खेल रहा। और वो समाज उन राजनेताओं की राजनीती की कठपुतली तो नहीं बन रहा।

इस घटना में यहाँ ये ध्यान देने वाली बात है की जहाँ एक तरफ जिले के एसएसपी मणिकांत मिश्रा नें घटना का वीडियो वायरल होने के बाद चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर कर दिया ये अपने आप में नैतिकता के आधार पर एक सख्त कार्यवाही कही जा सकती है पर अब उसके बाद भी कुछ नेताओं द्वारा इसे राजनैतिक रूप देना और चौकी प्रभारी के निलंबन की मांग करना पुलिस का मनोबल तोड़ने जैसा है।  ये भी ध्यान देने योग्य बात है कि ये राजनेता ही कई बार जब शहर में कोई घटना होती है तो भी पुलिस विभाग पर उंगली उठाते दिखते हैं।

अब ये आम जनमानस पर समाज के लोगों पर निर्भर करता है कि वो किस तरह की कानून व्यवस्था की अपेक्षा अपने शहर में करते हैं। और ऐसी छोटी छोटी घटनाओ को राजनितिक बनाने वालों के मनसूबो पर पानी फेरते हैं या फिर छोटी छोटी घटनाओ इन राजनीती कर अपनी रोटी सेकने वालों के पीछे चल कर इस शहर की आबो हवा को खराब होने देते हैं।


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