रुद्रपुर में सफ़ेद पोशों के अवैध कारनामें, नियमों को ताक पर रख कर काट रहे हैं छत्तरपुर में अशोका लेलैंड के पास अवैध कॉलोनी।

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उधमसिंह नगर के पंतनगर में सिडकुल के आने से जहाँ यहाँ के लोगों कों रोजगार मिला वहीं औद्योगिक क्रांति के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग क्षेत्र में भी बहुमुखी विकास देखने कों मिला एक छोटा सा शहर देखते ही देखते अपनी सीमाएं बढ़ाता चला गया फैक्ट्रीयों के आते ही जहाँ लोगों की पहली ज़रूरत अपने घर की सामने आई तो उसे देखते हुए रुद्रपुर से सटे आस पास के इलाकों में छोटी बड़ी कई कॉलोनीया आए दिन आकार लेने लगीं और आज रुद्रपुर की सीमाएं काफी फैल गई।

रुद्रपुर में कम्पनीयों के आने के साथ ही छोटे मोटे बिल्डरो नें कई ऐसी कॉलोनीया काटनी शुरू कर दीं जिसमें कहने कों तो मासूम लोगों कों प्लाट मिले और उन्होंने अपने आशियाने भी बनाने शुरू कर दिए पर बेसिक मूलभूत सुविधाओं कों लेकर ज्यादातर लोग इन बिल्डरो द्वारा ठगे गए और आज भी ठगे जा रहे हैं। क्यूकी ज्यादातर कॉलोनीया ना तो विकास प्राधिकरण से अप्रूव हैं और ना ही उनका रेरा में कोई पंजीकरण है। और इसी के चलते ये बिल्डर्स विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारीयों से मिल कर मन माने ठंग से अपना काम बदस्तूर किए जा रहे हैं।

नियमों कों ताक पर रख कर काटी जा रहीं हैं कॉलोनीया

जो कल तक प्रॉपर्टी डीलर थे उनमें से कई आज बिल्डर बन कर छोटी छोटी कॉलोनीया काट रहे हैं वहीं बड़े पैसे वालों नें तो पैसो के दम पर सरकार और विभाग कों अपनी उंगलियों में नचा रखा है ज्यादातर कॉलोनीया नियमों कों ताक पर रख कर काटी जा रही हैं। मासूम जनता को ना नियमों का पता है और ना बिल्डरो की झूठी नियत का। फिर मासूम जनता कॉलोनी कट जाने के बाद दर दर भटकती है कभी किसी जनप्रतिनिधि के पास तो कभी उच्च सरकारी अधिकारीयों के पास जिनकी नाक के नीचे पैसो के बल पर बड़े बड़े बिल्डर्स मासूम जनता कों ठगते आ रहे हैं।

छत्तरपुर में हत्यारी नदी कों भी नहीं छोड़ा

ऐसी ही एक कॉलोनी रुद्रपुर से लगे छत्तरपुर और जय नगर में रुद्रपुर के कुछ सफेदपोशो के द्वारा काटी जा रही हैं जो स्कूल, फैक्ट्री, सहित कई कारोबारों में अपनी पैठ रखते हैं। जहाँ छत्तरपुर में बहने वाली हत्यारी नदी से सट कर नियमों कों ताक पर रख कर कॉलोनी काटी जा रही है जहाँ नियम तो ये है कि किसी भी नदी से 30 मीटर छोड़ कर आवासीय कॉलोनी काटी जाए पर यहाँ सफेदपोशो नें इसे 30 फिट ही रख छोड़ा है। वहीं प्राधिकरण की आँख में धूल झोक कर नदी के अस्तित्व कों भी ख़तम करने की कोशिश की जा रही है।

रेरा से क्यू बचते हैं बिल्डर्स

केंद्र सरकार द्वारा रेरा कानून 2016 में लागू किया गया पर तब से आज तक जहाँ हजारों कॉलोनीया इस शहर सहित जिले में काटी जा चुकी हैं जहाँ लाखों लोगों नें अपने आशियाने बनाए हैं पर सरकार द्वारा आम जनता के हितों की रक्षा और बिल्डर्स के झूठे वादों से बचाने के लिए बनाए गए रेरा कानून से ये बिल्डर्स बचते रहते हैं और विभाग भी इनपर कोई कार्यवाही तब तक नहीं करता जब तक जनता कोई बड़ा आंदोलन नहीं करती। रेरा कानून के तहत जहाँ प्लाट या मकान खरीदार के हितों कों सुरक्षित रखा गया हैं वहीं इन बिल्डर्स पर नकेल कसने के नियमों की ऐसी लिस्ट हैं जिससे ये बिल्डर्स बचते हैं। वो नियम फिर चाहे प्रोजेक्ट की हर छोटी से छोटी जानकारी से सम्बंधित हों या प्रोजेक्ट कम्प्लीशन से सम्बंधित हों, या प्लान अप्रूवल से संबधित हों या बिल्डर्स द्वारा खरीदार को किए गए सुविधाओं वाले वादों से सम्बंधित हों और सबसे बड़ा नियम जिससे ये बिल्डर्स बचते हैं वो है प्रोजेक्ट के फाइनेंशियलस (लेखे झोखे ) का विवरण जो इन बिल्डर्स को खरीदार से फ़्रॉड ना कर पाने पर बाध्य कर देता है जहाँ बिल्डर्स एक मौजूदा प्रोजेक्ट के सेल खरीद का पैसा तब तक अपने दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा सकता जब तक की वो मौजूदा प्रोजेक्ट को किए गए वादेनुसार सुविधाओं को ख़रीदारों को हेंडओवर नहीं कर देता। और यही नहीं नहीं कई ऐसे नियम हैं जो इन बिल्डर्स को सरकार द्वारा बनाए गए रेरा कानून के अंतर्गत आम जनता से फ़्रॉड ना कर पाने को बाध्य करते हैं।

किसकी शह पर कट रही है छत्तरपुर में हत्यारी नदी से सट कर कॉलोनी

सवाल ये उठता है की आँखिर किसकी शह पर ये कॉलोनी कट रही हैं जहाँ नियमों को तो ताक पर रखा ही गया है वहीं मौजूदा जमीन की नपत की बात की जाए तो वो भी सवालों के घेरे में है। जो कागजो में तो कम है पर मौजूदा जगह पर कहीं ज्यादा है। ये बिल्डर जहाँ शहर में एक स्कूल चलाता है वहीं शहर में उसके परिवार द्वारा फैक्ट्री भी संचालित की जाती है। और अपने रसूख के चलते प्राधिकरण और दूसरे विभागों से मिली भगत से नियमों को ताक पर रख कर पूरे जोर शोर से काम चालू है। छतरपुर में हत्यारी नदी से सटा कर इन्होंने जमीन पर पूरी बॉउंड्री ही बना डाली है। नियम जहाँ 30 मीटर का है वहीं बिल्डर नें नदी से उसके अनुसार 30 फिट छोड़ कर ही पूरी चार दीवारी कर दी है और कॉलोनी काटनी भी शुरू कर दी है।आँखिर किसकी मिली भगत से इस कॉलोनी को काटा जा रहा है और नदी के अस्तित्व को मिटाने की साजिश किसकी मिली भगत से हों रही है ये भी जाँच का विषय है। प्राधिकरण सहित सभी विभागों को या तो गुमराह किया गया है या फिर उनकी मिली भगत से हत्यारी नदी के अस्तित्व को ख़तम करने की साजिश किन अधिकारीयों के साथ मिल कर रची जा रही है ये बड़ा सवाल है।

जल्द इसपर भी हम अपनी खबर को सबके सामने लाएंगे और कई सफ़ेदपोशों की चका चौध करने वाली कॉलोनीया जो रुद्रपुर शहर और आस पास के क्षेत्रों में नियमों को ताक पर रख कर काटी जा रही हैं का खुलासा करेंगे।


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