नैनीताल– ध्वस्तीकरण के आदेश को दरकिनार कर बना दी गई भारी भरकम अवैध पार्किंग, जवाबदेही किसकी?..

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नैनीताल में आला अधिकारियों का जमावड़ा है लेकिन अवैध निर्माण मामले में सभी चुप्पी साध लेते है , कुछ तो मीडिया से बात भी नहीं करते और कुछ अधिकारी मामला संग्यान में नहीं है कहकर टाल देते है और कुछ निहायती ईमानदार अधिकारी कहते है कि मामला अभी संज्ञान में आया है कार्यवाही करेंगे जैसे कि नैनीताल और प्रकृति पर अहसान कर रहे हो ।

मोटी मोटी पगार और सभी तरह की सरकारी सुविधाओं को लेने वाले नैनीताल के अधिकारियों की नाक के नीचे महज कुछ ही मीटर दूर सील किया हुआ अवैध निर्माण ध्वस्त करने के बजाय पूरा हो जाता है आंखिर वो कौन सी घुट्टी है जिसे पीने के बाद अधिकारियों उदासीन हो जाते है ।

कुछ अधिकारी नैनीताल को बाहर से खूबसूरत बनाने में लगे हुए है अच्छी बात है लेकिन अवैध निर्माण को रोकने में पूरी तरह विफल साबित है क्या अब एक वरिष्ठ अधिकारी को ये समझना उचित होगा कि जब भारी भरकम अवैध निर्माण के चलते नैनीताल ही खत्म हो जाएगा तो सरकारी खर्चे पर की गयी सुंदरता का क्या मोल होगा ?

कुछ आला अधिकारी तो छपास रोग से ही ग्रसित है जिन्हे सोशल मीडिया में हीरो बनने का बेहद शौक है और उनका ज़्यादातर समय कैमरा फोकस करने विडियो बनवाने में ही समय खर्च हो जाता है । अगर थोड़ा बहुत समय अफसरशाही और कैमरे से निकलकर नैनीताल से अवैध निर्माण को रोकने और जनता के लिए समर्पण में लगाया होता तो शायद वास्तव में हीरो बन जाते ।

पिछले साल नैनीताल के अति संवेदनशील क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट अयारपाटा में नैनी रिट्रीट होटल के द्वारा अवैध पार्किंग बनने की खबर आवाज़ इंडिया ने प्रमुखता से दिखाई थी। जिसके बाद प्राधिकरण को उस जगह पर सील लगानी पड़ी और पार्किंग को ध्वस्त करने के आदेश भी जारी हुए लेकिन खेल देखिये ध्वस्तीकरण के आदेश के बावजूद भारी भरकम अवैध निर्माण करके पार्किंग बना दी जाती है ।
गौरतलब है कि 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रोफेसर अजय रावत की जनहित याचिका पर नैनीताल में ग्रुप हाउसिंग के साथ ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया था साथ ही प्रोफेसर अजय रावत की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट उत्तराखंड ने भी ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में अवैध निर्माण पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे ।
भारी भरकम निर्माण कार्य और योजनाओं की भेंट चढ़ते आज हम सब जोशीमठ को देख रहे है। एक ऐतिहासिक शहर इतिहास के पन्नो में दफन होने जा रहा है। जोशीमठ ही नही बल्कि उत्तराखंड के कई पहाड़ी इलाकों में धीरे धीरे अतिक्रमण, भारी निर्माण कार्य, जंगलों के कटान कर कंक्रीट का शहर बना दिया गया है। नैनीताल भी इसी तरह इंसानी लालच की भेंट चढ़ता जा रहा है और नैनीताल वासी खामोशी के साथ नैनीताल को खत्म होते देख रहे है । नैनीताल जहां सभी बड़े कार्यालय स्थापित है वहाँ ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आज नैनीताल के अस्तित्व को अवैध निर्माण के चलते खतरा पैदा हो गया है जिसके दोषी नैनीताल के वो लालची लोग है जो व्यक्तिगत लालच के चलते अवैध निर्माण करते है और उससे भी कहीं ज्यादा वो अधिकारी दोषी हैं जिन्हें नैनीताल को सुरक्षित रखने के लिए नैनीताल में बाकायदा सारी सुख सुविधाओं से नवाज़ कर स्थापित किया हुआ है ।
भारी भरकम निर्माण कार्य और योजनाओं की भेंट चढ़ते आज हम सब जोशीमठ को देख रहे है। एक ऐतिहासिक शहर इतिहास के पन्नो में दफन होने जा रहा है। जोशीमठ ही नही बल्कि उत्तराखंड के कई पहाड़ी इलाकों में धीरे धीरे अतिक्रमण, भारी निर्माण कार्य, जंगलों के कटान कर कंक्रीट का शहर बना दिया गया है। नैनीताल भी इसी तरह इंसानी लालच की भेंट चढ़ता जा रहा है। यहाँ ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पिछले साल नैनीताल के अति संवेदनशील क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट अयारपाटा में नैनी रिट्रीट होटल के समीप पार्किंग बनने की खबर आवाज़ इंडिया ने प्रमुखता से बनाई थी। जिसके बाद प्राधिकरण को उस जगह पर सील लगानी पड़ी,इसके बाद फिर इस पार्किंग को ध्वस्त करने के आदेश भी जारी हुए थे,आदेश में लिखा था कि “उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास अधिनियम 1975 की धारा 27 ( 1 ) कारण बताओ नोटिस होटल परिसर में सड़क किनारे आरसीसी कॉलम काट कर निर्माण कार्य पर जारी किया गया था , ये स्थल वनाच्छादित क्षेत्र के अंतर्गत आता है जिसमे किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य अनुमन्य नही है । उक्त वाद में 18 जनवरी नियत करते हुए विपक्षी ( होटल ) को उपस्थित होने के लिए सूचित किया गया था परंतु नियत तिथि तक न तो विपक्षी उपस्थित हुए न ही विपक्षी द्वारा कोई लिखित रूप से कोई कथन प्रस्तुत किया गया । इस वनाच्छादित क्षेत्र में मानचित्र भी स्वीकृत नही किया जा सकता है इसीलिए यहां होटल द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण के विरुद्ध ध्वस्तीकरण के अतिरिक्त कोई विकल्प नही है । विपक्षी को एक सप्ताह भीतर उक्त निर्माण कार्य को ध्वस्त करने के आदेश दिए गए है अन्यथा प्राधिकरण द्वारा उक्त निर्माण कार्य को ध्वस्त किया जायेगा।” इस आदेश के बावजूद निर्माणधीन पार्किंग ध्वस्त नही की गई थी।
एक साल बाद नैनी रिट्रीट अवैध निर्माणधीन पार्किंग को पूरा बना देता है और साथ ही अन्य और अवैध निर्माण भी कर देता है । आवाज़ इंडिया से हुई बातचीत में सभासद मनोज जगाती ने कहा कि “मेरे द्वारा इस मामले में कई बार पीएम और सीएम पोर्टल पर शिकायत की गई,उसके बाद खुद प्राधिकरण ने लिखकर दिया था कि ये हमने इस जगह को सीज कर दिया,ये जगह असुरक्षित और ग्रीन बेल्ट है,उसके बाद भी ये हाल है कि यहाँ पार्किंग बन चुकी है, मनोज के अनुसार उन्होने कई बार प्राधिकरण को फोन करके सूचित किया लेकिन कोई भी कार्यवाही नहीं हुई ।
जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण की कार्यवाही महज खानापूर्ति साबित हुई असल मे नैनीताल के अधिकारियों और अवैध निर्माणकारियों के बीच क्या खेल चल रहा है ये कहना मुश्किल है। पिछले साल ही कुमाऊं मंडल विकास निगम के एमडी,और डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था ताकि अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर कठोर कार्यवाही की जा सके लेकिन कमेटी सिर्फ कागजों तक सीमित रह गयी।
अयार पाटा सभासद मनोज साह जगाती ने सीएम पोर्टल में नैनी रिट्रीट्स के समीप हो रहे निर्माण कार्य की शिकायत के बाद सरकारी जवाब को भी दिखाया जिसमे लिखा है कि नैनी रिट्रीट होटल के समीप 3 आरसीसी कॉलम कॉस्ट किये जाने व प्रश्नगत स्थल के विशेष वनाच्छादित क्षेत्र के अंतर्गत होने व किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य अनुमन्य ना होने के दृष्टिगत अवैध निर्माण के विरुद्ध संस्थित करते हुए कार्य रुकवाया गया है विपक्षी को स्थल पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य ना किए जाने के हिदायत दी गई है वाद कार्यवाही विचाराधीन है।
इसके बाद जिला विकास प्राधिकरण ने भी उक्त जगह को सील किया बाद में ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए लेकिन बावजूद इन सबके वहां लगातार भारी निर्माण कार्य किया गया और पेड़ो का कटान कर सरकारी तंत्र को खुलेआम चुनौती देते हुए आज पार्किंग भी तैयार कर दी गयी है।
गौरतलब है कि 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो अजय रावत की जनहित याचिका पर नैनीताल में ग्रुप हाउसिंग के साथ ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया था,प्रो अजय रावत की याचिका पर हाईकोर्ट ने भी ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में अवैध निर्माण कार्य पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे,लेकिन आज यहां न तो हाईकोर्ट के ही निर्देशो का पालन हो रहा है न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का।
इस मामले में प्रो अजय रावत ने भी कहा था कि नैनीताल शहर में जगह जगह अवैध निर्माण कार्य चल रहा है,जो नैनीताल को सुरक्षित रखने के दृष्टिकोण से वन विभाग और जिला प्राधिकरण का उदासीन रवैया प्रदर्शित करता है।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप हाउसिंग और ग्रीन बेल्ट के निर्माण कार्य पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है, अजय रावत बनाम यूनियन ऑफ इंडिया 674/1993 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया दिया था कि एक हज़ार मीटर की ऊंचाई के ऊपर निर्माण कार्य ग्रीन सेलिंग नही होगी जबकि नैनी झील की ऊंचाई 1938 है जो कि कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई ऊंचाई से कहीं ज़्यादा है। उन्होंने ये भी कहा कि प्राधिकरण छोटे मकानों पर तो एक्शन लेता है लेकिन बड़े मकानों पर कोई कार्यवाही नही की जाती। उन्होंने ये भी कहा था कि इन भारी निर्माण कार्यो से पूरे नैनीताल को खतरा है बावजूद इसके जिला प्रशासन, नगर पालिका, प्राधिकरण,पर्यावरण प्रेमी सभी ने चुप्पी साध रखी है।


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