गणतंत्र दिवस:- कब से शुरू हुई राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड, और राजपथ का इतिहास जानिए लिंक पर

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आज सम्पूर्ण देश में 26 जनवरी को 73वां गणतंत्र दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर आज राजपथ पर परेड समेत झांकियां निकाली जा रहीं हैं। राजपथ पर निकलने वाली परेड और झांकियों को देखने के लिए भारी संख्या में लोग देश की राजधानी दिल्ली आते हैं , और कई लोग सुबह से ही अपने टीवी फोन स्क्रीन पर परेड और भव्यता से सजी इन झांकियों को देखते है। अब आपको बताते है राजपथ के कुछ इतिहास के बारे में और कब से गणतंत्र दिवस परेड का सिलसिला शुरू हुआ था।

बताते चलें कि 26 जनवरी 1950 को गुरुवार का दिन था और टीवी स्क्रीन पर हर हिंदुस्तानी को गर्व से भर देने वाली तस्वीर देखने को मिली थी। राजपथ देश के पहले गणतंत्र दिवस के जश्न का गवाह बना था। अंग्रेजों के वक्त ये सड़क किंग्सवे के नाम से जानी जाती थी। किंग्सवे यानि राजा का रास्ता। इस रास्ते पर ब्रिटेन के शासक चलते थे। 1947 में देश को आजादी मिली और वर्ष 1955 में किंग्सवे हिंदुस्तान के लिए राजपथ बना।

देश में राजपथ पर हर वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड को निकलते हुए देखा है, लेकिन गणतंत्र दिवस की पहली परेड राजपथ पर नहीं हुई थी। 1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी जिसे आज नेशनल स्टेडियम कहा जाता है।

1950-1954 चार साल तक गणतंत्र दिवस इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप से लेकर लाल किला और रामलीला मैदान तक आयोजित होता रहा। वहीं वर्ष 1955 से राजपथ 26 जनवरी परेड का स्थायी स्थल बन गया। अब राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक 3 किमी तक राजपथ नए और भव्य रूप में बनकर तैयार हो चुका है. राजपथ पर राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का पहला स्ट्रेच बनकर तैयार है जो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंदर आता है। राजपथ का रंग बदला है लेकिन रूप आज भी वहीं है। माना जा रहा है राजपथ वैसा ही दिखेगा जैसा देश अब तक देखता आया है लेकिन उसका स्वरूप भव्य हो गया है। राजपथ को दोनों तरफ 6-6 फीट चौड़ा कर दिया गया है।


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