हेल्थ टिप्स :संक्रमण का संकेत हो सकता है आंखों में जमा रहने वाला कीचड़, जानें कारण और उपचार

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हेल्थ टिप्स ::- सुबह नींद से उठने के बाद जब चेहरा धोने के लिए बाथरूम में पहुंचते हैं तो कई बार आंखों को साफ करने में अधिक मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं आंखों के किनारों पर जमा होने वाला चिपचिपा पदार्थ जिसे आम भाषा में कीचड़, स्लीप क्रस्ट, सैंड आदि भी कहा जाता है, एक आम स्थिति है। आंख से कीचड़ आने का मतलब है आंख से एक पीले, चिपचिपे और पपड़ी वाले पदार्थ का रिसाव होना। आंख से रिसाव होना हानिकारक नहीं होता, लेकिन कुछ मामले गंभीर भी हो सकते हैं। यह समस्या बड़ों, छोटों और महिलाओं एवं पुरुषों को सामान्य रूप से प्रभावित करती है।


कई पदार्थों से बना कीचड़- कीचड़ कई तरह के कचरे का मिश्रण होता है। आंखों का यह कीचड़ भी म्यूकस पपड़ीदार निकली हुई त्वचा की कोशिकाओं, त्वचा के तेल और नींद के दौरान आंखों द्वारा उत्पन्न आंसुओं का मिश्रण होता है।

बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस या अन्य संक्रमण- बैक्टीयल इन्फेक्शन के कारण ब्लेफेराइटिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है, जिसमें पलकों के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है और पीले रंग की पस बनती है। अगर कंजंक्टिवाइटिस बैक्टीरिया के कारण होता है, तो उसे पिंक आई कहते हैं। इससे आंख गुलाबी, सूजी हुई और दर्दनाक हो जाती है, साथ ही इससे बुखार भी हो सकता है।

ब्लेफेराइटिस- ब्लेफेराइटिस आंखों में होने से भी आंखों में कीचड़ आ सकती है। यह समस्या बैक्टीयल इन्फेक्शन की वजह से होता है। इस समस्या की वजह से पलकों के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है और आंखों से पीले रंग का पस निकलता है। बैक्टीरिया की वजह से अगर कंजंक्टिवाइटिस होता है।

आंखों में चोट -कॉर्निया में चोट करने या फिर निशान पड़ने जैसी समस्याओं की वजह से भी आपकी आंखों में कीचड़ की परेशानी हो सकती है। इसमें कीचड़ आने के साथ-साथ आंखों में सूज और खुजली भी हो सकती है। इस परेशानी से ग्रसित व्यक्ति को ऐसा अनुभव होता है। जब आंख में चोट लगने संक्रमण फैलता है, तो इसकी वजह से गाढ़ा रिसाव हो सकता है।

उपाय –

-अपने हाथों को अच्छी प्रकार बार-बार धोते रहें।
-अपने तौलिए, रूमाल और आई ड्रॉप किसी के भी साथ शेयर न करें क्योंकि इससे दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमण हो सकता है।
-आँखों को तेज धूप व धूल भरे वातावरण से बचा कर रखें।
-आँखों को हाथों से न रगड़े और गन्दे हाथों को आँखों पर न लगाए।
– आँखों को किसी भी प्रकार के उत्तेजक पदार्थ के सम्पर्क में न आने दें जैसे धुआँ या केमिकल आदि की तेज गन्ध।
– बाहर जाते वक्त आँखों पर काला चश्मा पहन कर रखें।
कान्टेक्ट लेन्स का प्रयोग न करें।


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