सरकार को लाखों की चपत लगाने वाले नायब नाजिर के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। नायब नाजिर पर हल्द्वानी तहसील से 42.32 लाख रुपये गबन करने का आरोप है। आरोपी के खिलाफ पिछले पांच साल से जांच चल रही थी और जब अंतिम रिपोर्ट में पुष्टि हुई तो तहसीलदार सचिन कुमार ने जिलाधिकारी वंदना के निर्देश पर आरोपी के खिलाफ तहरीर दी। आरोपी मो. जफर आलम के खिलाफ धारा 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
तहसीलदार सचिन कुमार ने बताया कि हल्द्वानी तहसील के नायब नाजिर मो. जफर आलम के खिलाफ पिछले पांच साल से जांच चल रही थी और पांच साल पहले जफर हल्द्वानी तहसील में नायब नाजिर के पद पर तैनात था। वर्तमान में आरोपी जफर नैनीताल तहसील में कार्यरत है। जांच में सामने आया कि जफर ने खतौनी मद, ई-जनाधार और वासिल वाकी नवीस के लिए आने वाला धन सरकारी कोष में जमा करने के बजाय अपनी जेब में रख लिया। पद पर रहते हुए जफर ने 42,32,262 रुपये के गबन किया। मामले की जांच की गई तो पता चला कि तत्कालीन नायब नाजिर ने खतौनी मद में 27,08,010 रुपये, ई-जनाधार से प्राप्त आय के 14,92,452 रुपये और वासिल वाकी नवीस (आय-व्यय) के 28,800 रुपये गबन कर दिए।
जबकि जनाधार केंद्रों से वसूली गई इस रकम को विभागीय बैंक खाते में जमा करानी थी। आरोपों के बाद इसकी जांच तत्कालीन एसडीएम को सौंपी गई और जांच कर उन्होंने आरोपों की पुष्टि भी कर दी। इसके बाद वर्ष 2020 में तत्कालीन तहसीलदार हल्द्वानी नितेश डागर को मामले की जांच सौंपी गई। नितेश ने भी आरोपों की पुष्टि की और रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी। हालांकि जांच यहां भी नहीं रुकी। इसके बाद वर्ष 2021 में सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह को जांच करने को कहा गया। उनकी जांच में भी आरोप सही पाए गए तो रिपोर्ट फिर जिलाधिकारी को सौंपी गई। इसकी जांच तत्कालीन एसडीएम कोश्याकुटौली प्रमोद कुमार ने भी 2017-18 में मामले की जांच की थी और उन्होंने भी जफर को दोषी पाया था।
बार-बार जांच और जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद भी मो.जफर आलम पर कार्रवाई नहीं की गई। मामला वर्तमान जिलाधिकारी वंदना के कानों तक पहुंचा तो उन्होंने आरोपी की रिपोर्ट तलब की। जिसके बाद उन्होंने मामले में तहसीलदार सचिन कुमार को मामले में मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए। बुधवार को कोतवाली पुलिस ने तहसीरदार की तहरीर पर आरोपी मो.जफर आलम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। मामले की जांच अब राजपुरा चौकी प्रभारी नरेंद्र कुमार को सौंपी गई है। बताया यह भी जा रहा है कि गबन की भरपाई करने के लिए जफर के मासिक वेतन से 20 हजार रुपये प्रतिमाह काटे जाएंगे।