जून 2024 में हमारी ही खबर के बाद शहर की सम्मानित समिति श्री गुरु नानक शिक्षा समिति में लगभग 32 लाख रूपये के गबन का मामला सुर्खियों में आया था. जब समिति के कोषाध्यक्ष और आजीवन सदस्य अमरदीप सिंह नें समिति के अध्यक्ष दिलराज सिंह और प्रबंधक गुरमीत सिंह पर समिति के खातों से 113 चेको के माध्यम से लगभग 32 लाख रूपये के गबन का आरोप लगाया था,जिसका समिति के अध्यक्ष सरदार दिलराज सिंह और प्रबंधक गुरमीत सिंह नें 24 जून 2024 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इन आरोपों का खंडन किया था और पुलिस नें अपनी जाँच रिपोर्ट में जहाँ 17 लाख के गबन होने की बात लिखी थी जिसकी बैंक कर्मियों से रिकवरी दिखा कर मामले को रफा दफा करने का काम कर दिया था। पर वादी कोषाध्यक्ष पक्ष इस जाँच रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर सीधा न्यायालय की शरण में पहुँच गया। जहाँ न्यायालय नें भी खातों में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए समिति के अध्यक्ष और प्रबंधक गुरमीत सिंह पर FIR करने के आदेश 28/10/2024 को दिए थे।
क्या है पूरा मामला।
बता दें की वर्ष 2023 में समिति के कोषाध्यक्ष और आजीवन सदस्य सरदार अमनदीप सिंह नें पुलिस में समिति के अध्यक्ष और प्रबंधक गुरमीत सिंह के खिलाफ तहरीर दी की दोनों के द्वारा कर्मचारी पूरन पांडेय और बैंक से मिली भगत कर समिति के कैनरा बैंक के खाते से दिनांक 1-5-2021 से 1-12-2022 के मध्य कुल 113 चेको के माध्यम से 31.26 लाख रूपये का गबन किया गया है। वादी कोषाध्यक्ष नें ये भी कहा कि किसी भी अवस्था में बड़े पैसों का भुगतान किसी भी व्यक्ति को उसके नाम के चेको के माध्यम से होता है पर अध्यक्ष और प्रबंधक द्वारा सेल्फ के चेको के माध्यम से ये पैसे निकाले गए हैं। जिस पर CO निहारिका तोमर द्वारा जाँच के बाद फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी,जिसमें 53 चेको के माध्यम से 17 लाख रूपये निकालना वर्णित किया गया और उस पैसे की भरपाई बैंक द्वारा गलती स्वीकारते हुए कर पैसों की भरपाई कर दी गई है। जबकि समिति के खाते में जो धनराशि आई है वो विभिन्न दान दाताओ के खाते से आई थी जो की दान दाताओ द्वारा दिया गया दान था ना की गबन किए हुए पैसे की रिकवरी थी।
पूर्व में पुलिस जाँच में छूटे कई महत्वपूर्ण तथ्य।
यहाँ वादी कोषाध्यक्ष अमरदीप सिंह जाँच रिपोर्ट से असंतुष्ट दिखे तो वहीं पुलिस की पूर्व जांच रिपोर्ट में भी कई तथ्य छूटते नज़र आए। जबकि पुलिस द्वारा ना ही तत्कालीन बैंक प्रबंधक अशोक श्रीवास्तव से पूछताछ की गई और ना ही पूरन पांडे से ही पूछ ताछ की गई। यहाँ ये भी हास्यास्पद था की अगर बैंक कर्मी इस मामले में संलिप्त थे भी तो कैसे बैंक कर्मियों द्वारा की गई गलती को बैंक की गलती माना गया? और इस विषय में कैनरा बैंक के उच्च अधिकारीयों द्वारा क्यों संज्ञान नहीं लिया गया? और उस पैसों को विभिन्न खाते धारको द्वारा समिति के खाते में ट्रांसफर किया गया। यहाँ पुलिस नें ये भी संज्ञान नहीं लिया कि कैसे उस पैसे की भरपाई पूरन पांडे से की गई? पुलिस को कैसे तत्कालीन बैंक मैनेजर अशोक श्रीवास्तव और पूरन पांडे जो वर्तमान में भी रुद्रपुर में ही मौजूद हैं, नहीं मिल पाए? और ना ही समिति के बैंक खाते को ही सही से खंगाला गया। ऐसे कई तथ्य हैं जो पुलिस द्वारा छोड़ दिए गए और फाइनल रिपोर्ट लगा कर जाँच को बंद कर दिया गया और जिसको लेकर वादी न्यायालय की शरण में पहुँच गया।
कोर्ट नें FIR करने के दिए आदेश।
वादी अमरदीप सिंह की याचना पर न्यायालय नें ये माना की वादी के प्रार्थनापत्र में वर्णित तथ्यों और पुलिस की जाँच रिपोर्ट के आधार पर प्रथमदृस्टिया संज्ञेय अपराध कारित किया जाना दर्शित होता है। और इसी के साथ वादी के प्रार्थना पत्र को स्वीकारते हुए थानाध्यक्ष रुद्रपुर को धारा 156 (3) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जाँच करने के आदेश दिए। हालांकि यहाँ न्यायालय नें ये भी आदेशित किया की वो इस मामले में तब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं करेंगे जब तक की ये आवश्यक ना हो।
पुलिस नें विभिन्न धाराओं में की FIR दर्ज।
बता दें की कोर्ट के आदेश के बाद रुद्रपुर पुलिस नें आईपीसी की धारा 120 बी – ( आपराधिक षड़यंत्र/ साजिश ),आईपीसी की धारा 201 – अपराध के साक्ष्य को गायब करना, अपराधी को छुपाने के लिए गलत जानकारी देना, आईपीसी की धारा 401 – धोखाधड़ी के लिए सजा, और आईपीसी की धारा 420 – धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना, जैसी धाराओं में प्रबंधक गुरमीत सिंह,अध्यक्ष दिलराज सिंह, और कर्मचारी पूरन पांडे पर कल दिनांक 5 नवंबर 2024 को मुकदमा दर्ज कर लिया।