सिनेमा हाल में आई एक्शन से भरी अजय देवगन की ‘भोला’, जानिये कितनी है एंटरटेनिंग

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मुंबईः पिछले साल करीब आधा दर्जन से ज्यादा रीमेक फिल्में रिलीज हुईं. खासकर अजय देवगन (Ajay Devgn) पिछले कुछ दिनों में साउथ की कई रीमेक फिल्में लेकर आए. अभिषेक पाठक (Abhishek Pathak) द्वारा निर्देशित क्राइम थ्रिलर दृश्यम 2 भी इसी नाम की मलयालम फिल्म की रीमेक है, जिसमें मोहनलाल लीड रोल में दिखाई दिए थे. ‘दृश्यम 2’ के बाद एक बार फिर अजय देवगन एक नई रीमेक लेकर आ गए हैं, जिसका टाइटल है ‘भोला’ (Bholaa). इस फिल्म को अभिनेता ने शिव भक्तों को डेडिकेट किया है. वैसे भी अजय देवगन का शिव प्रेम जगजाहिर है.

अब ‘भोला’ के जरिए एक बार फिर अजय देवगन ने शिव के प्रति अपनी भक्ति जाहिर की है, जो तमिल फिल्म ‘कैथी’ की रीमेक है. कैथी एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ है ‘कैदी’. यह फिल्म 2019 में रिलीज हुई थी. एक्शन से भरी अजय देवगन की ‘भोला’ कितनी एंटरटेनिंग है, आईये आपको बताते हैं.

डायरेक्शन
‘भोला’ में एक्टिंग के साथ-साथ डायरेक्शन की जिम्मेदारी भी खुद अजय देवगन ने संभाली है. एक तरफ जहां बाकि के स्टार्स हॉलीवुड फिल्मों की रीमेक पर ज्यादा भरोसा जता रहे हैं, कुछ ऐसे भी स्टार हैं जिन्होंने साउथ की रीमेक पर भरोसा जताया. इन्हीं में से एक हैं अजय देवगन, जो पिछले कुछ सालों में कई दक्षिण भारतीय फिल्मों की रीमेक में दिखाई दे चुके हैं. अब उन्होंने मशहूर तमिल फिल्म कैथी की रीमेक के जरिए दर्शकों को एंटरटेनमेंट की डोज दी है. हालांकि, कहीं-कहीं अजय सही मात्रा में डोज देने में चूकते दिखे. हालांकि, कार्थी, अर्जुन दास और मोनिका स्टारर ‘कैथी’ के आगे ‘भोला’ की चमक ज्यादा तेज दिखाई दे रही है. लेकिन, फिर भी इमोशनल कॉन्सेप्ट के इर्द-गिर्द घूमती फिल्म की कहानी ड्रामा और एक्शन तक सीमित हो जाती है.

अकेले 100 गुंडों से भोला का भिड़ जाना, लॉजिकल नहीं लगता. हालांकि, यही सीन साउथ की फिल्मों में खूब पसंद किए जाते हैं. सिनेमाघर तालियों और सीटियों से गूंजने लगता है, लेकिन हिंदी फिल्मों के दर्शकों के लिए ऐसे सीन थोड़े अजीब हो जाते हैं. वहीं फर्स्ट हाफ से लेकर क्लाइमेक्स तक भोला में बाइक, ट्रक हवा में लहराते-उड़ते ही दिखाई देते हैं. लेकिन, एक्शन लवर्स के लिए यह फिल्म अजय देवगन की ओर से एक जबरदस्त एंटरटेनमेंट हो सकता है. इसके अलावा एक स्टार की एंट्री के साथ जैसे फिल्म को खत्म किया गया है, फिल्म के अगले भाग के लिए दर्शकों का रोमांच बढ़ना लजामी है.

कहानी
भोला की कहानी शुरू होती है भोला (अजय देवगन) की रिहाई से, जिसे जेल में रहते हुए ये पता चलता है कि उसकी एक बेटी भी है, जो लखनऊ के अनाथालय में रह रही है. जेल से निकलते ही भोला अपनी बेटी की खोज में जुट जाता है. दूसरी तरफ SP डायना जोसफ (तब्बू) है, जिसने एक बड़े गिरोह के ड्रग तस्करी का माल पकड़ती है और उसे थाने में एक खुफिया जगह छुपा देती है. माल वापस पाने के लिए डायना को जान से मारने वाले अस्वाथामा (दीपक डोबरियाल) को एक पुलिस इंस्पेक्टर (गजराज राव) की ओर से टिप मिलती है.

डायना को मारने के लिए अस्वाथामा पार्टी कर रही पुलिस फोर्स की ड्रिंक में कुछ मिला देता है, जिससे सभी एक-एक कर बेहोश हो जाते हैं और उनकी जान को खतरा हो जाता है. ऐसे में डायना सभी को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी लेती है. अब ड्रग माफियाओं से जूझ रही डायना और अपनी बेटी को ढूंढ रहा भोला आपस में कैसे जुड़ते हैं, पकड़े गए माल का क्या होता है, पुलिस ऑफिसर बच पाते हैं या नहीं और भोला को उसकी बेटी मिलती है कि नहीं, सब देखने और पता करने के लिए आप नजदीकी थिएटर जा सकते हैं.

म्यूजिक और टेक्निकल
भोला में एक रात की कहानी है और इस पूरी रात की कहानी को बड़े पर्दे पर जबरदस्त अंदाज में उतारने के लिए सिनेमैटोग्राफर असीम बजाज को जबरदस्त काम किया है. एक्शन सीन्स को क्लोजअप में देखना किसी ट्रीट जैसा है. खासकर गंगा आरती के दौरान पूरे बनारस को ड्रोन के जरिए दिखाना और हर सीन को संवारने में लगा एफर्ट साफ देखा जा सकता है. लेकिन, फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है इसका बैकग्राउंड म्यूजिक, जो कई जगहों पर इतना लाउड हो जाता है कि डायलॉग की क्लैरिटी भी नहीं मिल पाती है. बता दें, टेक्निकल ग्लिच के चलते डायलॉग की क्लैरिटी बिलकुल नहीं थी, ऐसे में रातों-रात इसके साउंड पर काम किया गया और नया प्रिंट तैयार किया गया है.

डिटेल्ड रेटिंग
कहानी : 3/5
स्क्रीनप्ले  : 3/5
डायरेक्शन : 3/5
संगीत : 3/5


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