नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा और वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। देश में 3.5 लाख कैदी अंडर ट्रायल हैं इनके मसले को निपटाने पर जोर दिया जाए। इससे पहले पीएम मोदी दिल्ली के विज्ञान भवन में पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में न्यायपालिका और सरकार का दायित्व अब बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि 2047 में जब देश आजादी के 100 साल पूरा करेगा तब हम कैसा देश चाहते हैं हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। वहीं CJI एनवी रमना ने कहा- न्याय का मंदिर होने के नाते अदालत को लोगों का स्वागत करना चाहिए, कोर्ट की अपेक्षित गरिमा और आभा होनी चाहिए। पब्लिक इंटरेस्ट याचिका अब पर्सनल इंटरेस्ट के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। यह अफसरों को धमकाने का जरिया बन गई हैं। PIL राजनीतिक और कॉर्पोरेट विरोधियों के खिलाफ एक टूल बन गया है।