“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, उनका नाम ले के वोट पाने वालों का बस यही एक जुमला होगा”।
जी हाँ शहीदों के नाम की कसमें खाते और बड़ी-बड़ी बातें करते नेताओं को आप आए दिन उनके भाषणों में सुनते होंगे। पर जब धरातल पर उन शहीदों की प्रतिमाओ की वास्तविक स्तिथि देखेंगे तो वो बद से बदत्तर है। और वो प्रतिमाए उन नेताओं की बाट जो रही है जो उनके नाम और बलिदान की गाथाएँ हर आम सभा में और उनकी तिथियों में गाते दिखते हैं।
ऐसा ही एक वादा रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा ने भी 6 माह पूर्व 23 मार्च को रुद्रपुर में मेन मार्किट स्तिथ शहीद भगत सिंह पार्क के पुनरनिर्माण और सौन्दर्य करण को ले कर किया था। बता दें की पूरा देश 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाता है और ऐसे ही कुछ मतवाले हमारे रुद्रपुर शहर में भी हैं जो “शहीद भगत सिंह सेवा समिति” के बैनर तले कई समाज सेवा के काम करते देखें जाते हैं। और उन्हीं शहर के मतवालों, समाजसेवी अरुण चुग, प्रथम बिष्ट, सरदार मनमोहन सिंह और अन्य के समक्ष विधायक शिव अरोरा ने 23 मार्च शहीद दिवस पर ना केवल विधायक निधि व सांसद निधि के संयुक्त रूप से 20 लाख के बजट की घोषणा शहीद भगत सिंह पार्क के पुनरनिर्माण को ले कर की थी।
और ये ही नहीं विधायक शिव अरोरा और वहाँ मौजूद अन्य भाजपा नेताओं ने एक शिलापट भी बना के फोटो अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर की थी। पर आज 6 माह बाद भी जब 28 सितम्बर को शहीद भगत सिंह जी का जन्मदिन पूरे देश में लोग मनाते हैं, वहीं विधायक शिव अरोरा का वादा उसी शिलापट पर सिमट कर रह गया है। यहाँ तक की शिलापट पर कार्यदाई संस्था के रूप में ग्रामीण निर्माण विभाग का नाम तक अंकित है।
अब रोचक बात ये है की अभी कुछ दिन पूर्व ही विधायक अरोरा केंद्र की” मेरी माटी मेरा देश” योजना के तहत भी कई शहीदों के सम्मान में शिलापट लगाते दिखे थे और उनकी भी फोटो उन्होंने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर शेयर की थी। वहीं 6 माह बाद “शहीद भगत सिंह सेवा समिति” के एक मतवाले समाज सेवी अरुण चुग ने अपने फेसबुक पेज पर विधायक जी के उन वादों पर उठने वाले सवालों की जहाँ एक पोस्ट लिखी और आज भी एक उम्मीद से वो विधायक जी के वादे के पूर्ण होने की राह देख रहे हैं।
और सवाल उठते भी हैं की क्या वो शिलापट केवल सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए लगाया गया था? क्या शहीदों के सम्मान की बातें केवल हवा हवाई ही हैं? अगर कुछ भी निर्धारित नहीं था तो कार्यदाई संस्था का नाम कैसे शिलापट पर अंकित हो गया? ऐसे कई सवाल हैं जो आज भी शहीद भगत सिंह पार्क और उन शहीदों को सच में मानने वाले पूछ रहे हैं।