चाणक्य का उल्टा पड़ गया दाँव, महामंत्री छाबरा तो कोषाध्यक्ष बने संदीप राव,88% वोटिंग नें पानी फेरा मनसूबो पर।

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रुद्रपुर व्यापार मंडल चुनाव के परिणाम कल देर शाम आ ही गए 12 वर्षो के इंतजार के बाद हुए व्यापारियों में वोट डालने का उत्साह देखते ही बन रहा था। सुबह जहाँ 10 बजे तक केवल 150 वोट पड़े थे वहीं सबको लगने लगा कि वोटिंग कम होगी पर 11:30 बजे तक व्यापारियों के उमड़ते सेलब नें वोटिंग 650 के पार पहुँचा दी और 12:30 तक ये वोटिंग 1000 के आंकड़े के पार हो गई चुनाव समिति के बेहतरीन इंतज़ामो कि जहाँ सभी व्यापारी तारीफ करते दिखे वहीं 2:30 बजे तक आंकड़े 2000 तक पहुँच गए तो यही चाणक्य को लगने लगा कि जितनी ज्यादा वोटिंग उतनी उनके प्रत्याशीयों कि जीत तय होगी।

सुबह 10:30 के करीब बूथ पर हुआ हंगामा

सुबह जहाँ सभी प्रत्याशी जनता इंटर कॉलेज के अंदर जो व्यपारी वोट डालने आ रहे थे उन सभी से आँखरी बार अपने लिए वोट माँगने कि अपील कर रहे थे वहीं संजय जुनेजा जो इस पूरे चुनाव में चाणक्य का रोल निभा रहे थे खुल के पवन गाबा पल्ली के लिए वोटर्स से वोट माँगने लगे जिसका विरोध वहाँ खड़े अन्य प्रत्याशीयों नें भी किया और हंगामा हो गया जिसे बड़ी मुश्किल से चुनाव समिति नें संभाला और संजय जुनेजा को हिदायत देकर बैठा दिया गया। उनका यूँ खुले आम वोटर्स को प्रभावित करना कहीं ना कहीं आग कि तरह शहर में फैल गया जिसका नुकसान कहीं ना कहीं पवन गाबा को उठाना पड़ा।

कैसे चाणक्य नें शुरू से अंत तक चुनाव में किया हस्तक्षेप

बता दे जब से चुनावो कि तारीख घोषित हुई चाणक्य कहे जाने वाले और 12 साल से अध्यक्ष पद पर काबिज रहने वाले संजय जुनेजा नें इस चुनाव को अपने हिसाब से कराने और प्रत्याशीयों को अपने हिसाब से लड़ाने की व्यूहरचना रची चाहे हरीश अरोरा के पक्ष में राजेश कामरा को बैठाना हो या फिर पवन गाबा पल्ली को समर्थन देना हो सब में अपनी कूटनीति चलाई। एक समय जब राजनेताओं के घर पवन गाबा पल्ली और बलविंदर सिंह बल्लू के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिशे की जा रही थी चाणक्य नें फिर कूटनीति के अनुसार राजेश कामरा को वहाँ बुला कर बनती बात को बिगाड़ दिया। सूत्रो की माने तो राजेश कामरा को पुनः युवा अध्यक्ष पद की लॉलीपॉप देकर राजनेताओं के वहाँ उनसे विरोध कराया गया। वहीं पवन गाबा पल्ली भी इसी पद पर अड़े दिखे और उसके बाद भी जब समाज के वरिष्ठ लोगो के समझाने पर अन्य पद पर पल्ली मानते दिखे तो चाणक्य नें उन्हें फिर पट्टी पड़ा कर अपने घर भेज दिया। वहीं कूटनीति का पहला दाँव उल्टा पड़ गया।

चाणक्य अपना दम्भ भरते दिखे पूरे चुनावों में

तक़रीबन 12 साल तक अध्यक्ष रहे संजय जुनेजा जिन्होंने व्यापारियों की हर पल सेवा की और एक कॉल पर मौजूद दिखने वाले संजय जुनेजा को उसका ईनाम भी शहर के व्यापारियों नें दिया कि संजय जुनेजा निर्विरोध पुनः अध्यक्ष बन गए जिसका परिणाम ये हुआ कि संजय जुनेजा ये दम्भ भरते दिखे कि अब चुनाव और नई टीम को वो फिर एक बार अपने हिसाब से चुनेंगे और शहर के व्यापारी उनकी वहाँ भी मदद करेंगे जिसके लिए वो पूरे चुनाव में कभी खुल कर तो कभी पीठ पीछे शहर के व्यापारियों को कॉल और मिल कर अपने चहेते प्रत्याशी पवन गाबा और हरीश अरोरा के लिए वोट मांगते दिखे। पर उनकी उलटी कूटनीति नें दो पुराने कर्मठ प्रत्याशीयों को चुनाव हरवा दिया।

शहर के व्यापारी नें नहीं चलने दी हठधर्मिता

इस चुनाव को लेकर जहाँ शहर के व्यापारियों में एक अलग उत्साह था तो वहीं दूसरी तरफ शहर का वरिष्ठ और युवा व्यापारी अपनी समझ का परिचय देता दिखा जहाँ 12 साल पहले के व्यापारी की नई पीढ़ी शहर में दूसरी लाइन खड़ी करती दिखी और दोनों वरिष्ठ और युवा व्यापारी नें चाणक्य की कूटनीति को समझते हुए कहीं ना कहीं उनके प्रति तो सम्मान दिखाया पर उनकी हठधर्मिता को नकार दिया जिसका परिणाम दो नए चेहरे व्यापार मंडल को मिले और रुद्रपुर के प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल की नवनिर्वाचित टीम में महामंत्री पद पर मनोज छाबरा और कोषाध्यक्ष पद पर संदीप राव को जगह दी।

कहना गलत नहीं होगा की चाणक्य की गलत कूट नीति, दम्भ, अहम और कई मोको पर हठधर्मिता को शहर के व्यापारियों नें नकार दिया और संजय जुनेजा की अपेक्षाओ के विपरीत आए दोनों प्रत्याशीयों नें उनकी कूटनीति को विफल साबित कर दिया।


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