आज, 7 अप्रैल 2023 से वैशाख माह की शुरुआत हो गई है। ये महीना 5 मई 2023 तक रहेगा। इस महीने को हिन्दू धर्म में काफी खास माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikat Sankashti Chaturthi 2023) का व्रत रखा जाता है। चतुर्थी तिथि प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित है। जैसा कि नाम से ही साफ है कि गणेश जी प्रथम पूजनीय हैं ऐसे में जब भी कोई शुभ काम होते हैं तो गणेश जी की पूजा जरूर की जाती है। गणेश जी कृपा पाने के लिए विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikat Sankashti Chaturthi) खास मानी जाती है। कहा जाता है जो भी व्यक्ति इस दिन गणेश जी की सच्चे मन से पूजा-पाठ करता है और व्रत रखता है उसके सभी दुख दूर होते हैं। व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है। तो चलिए आपको बताते हैं कब है विकट संकष्टी चतुर्थी 2023, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त और क्या है इसका महत्व…
चंद्र देव की भी पूजा का होता है महत्व
विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा के अलावा चंद्र देव की भी पूजा का विधान है। इस दिन रात में चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल 2023 में संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र देव रात 10 बजकर 2 मिनट पर निकलेगा। आप चंद्रोदय के बाद अर्घ्य दें और इसके बाद ही व्रत खोलें।
कब है विकट संकष्टी चतुर्थी 2023
इस साल 2023 में विकट संकष्टी चतुर्थी 9 अप्रैल 2023 को मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि 9 अप्रैल 2023 को सुबह 9 बजकर 35 मिनट से शुरू जाएगी जो कि अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर खत्म होगी।
भद्रा का साया
वैदिक पंचांग के अनुसार, विकट संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा का साया है। भद्रा के समय की शुरुआत 9 अप्रैल 2023 के दिन सुबह 6 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर खत्म हो जाएगी। भद्रा के साए को अशुभ माना जाता है ऐसे में उस दौरान किसी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते।
विकट संकष्टी चतुर्थी महत्व
विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन शिव-पार्वती पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति व्रत रखता है उसकी संतान से जुड़ी हर परेशानी दूर होती है। शादीशुदा जीवन में आ रही परेशानी भी खत्म हो जाती है। कारोबारियों के व्यापार की समस्या भी दूर होती है। मान्यता है कि विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत जो भी करता है उसे बप्पा बल, बुद्धि तो देते ही हैं साथ ही वो हर बीमारी और परेशानी से दूर रहता है।