देहरादून। राजधानी दून के मेयर सुनील उनियाल गामा इन दिनों खासे सुर्खियों में हैं। उनकी संपत्ति को लेकर आरटीआई से हुए खुलासे के बाद से लगातार उनपर सवाल उठ रहे हैं। हांलाकि इस मामले में पिछले दिनों मेयर गामा मीडिया से रूबरू हुए और जवाब दिए। लेकिन अपनी प्रेस कांफ्रेंस में वो अधिकतर सवालों से बचते नजर आए। उन्होंने अपनी बात कही और फिर इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते दिखे। मेयर गामा ने प्रेस कांफ्रेंस में शुरूआत में अपने संघर्षों के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह शुरूआती दिनों में पान का खोखा और चाऊमीन की दुकान चलाते थे। इसके बाद उन्होंने वीडियोग्राफी से लेकर ठेकेदारी और प्रोपर्टी तक का काम किया। अब मेयर गामा की इस बात पर लोग चुटकी लेते हुए कई सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि चाय और पान का खोखा लगाने वाले भाजपा नेताओं की संपत्ति ऐसे ही बढ़ती हैं।
उधर मेयर गामा की संपत्ति को लेकर हुए खुलासे पर चुप्पी साधने वाले प्रमुख अखबारों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला का कहना है कि देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा पर पद के दुरुपयोग से करोड़ों की प्रापर्टी बनाने के आरोप लगे। पुख्ता सबूत थे। इसके बावजूद किसी भी प्रमुख अखबार ने यह खबर प्रकाशित नहीं की। जबकि जब गामा ने प्रेस कांफ्रेंस की तो सभी ने प्रकाशित कर दी। बकौल जखमोला मजेदार बात यह है कि प्रमुख अखबारों के रिपोर्टरों ने प्रेस काफ्रेंस में एक भी सवाल नहीं पूछा। मेयर यह कहकर कि पान बेचा, चाउमिन का खोखा लगा और ठेकेदारी की, तो कमा लिया और हो गयी कांफ्रेंस।
वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला का कहना है कि सूत्रों से पता चल रहा है कि निगम से इन रिपोर्टरों को उनके परिजनों के नाम से 2018 से हर महीने 15 हजार रुपये जाते हैं। आरोप है कि निगम की आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से इनको यह रकम अदा की जाती है। आरोप है कि ये कहने के लिए निगम कर्मचारी हैं, लेकिन वहां आते भी नहीं। अब यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ये हो रहा है। और कैसे मेयर गामा की संपत्ति में इतना इजाफा हो गया। इस मामले में आरटीआई लगाने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले की शिकायत भी की है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जीरो टालरेंस की बात करने वाली भाजपा सरकार इस मामले में क्या एक्शन लेती है। अन्य मामलों की तरह ही इस मामले को भी गंभीरता से लिया जाता है या फिर मामला भाजपा नेता से जुड़े होने के चलते फाइल ठण्डे बस्ते में चली जाती है।