नई दिल्ली. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने कहा है कि भारत में प्रवेश से पहले चीनी इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी (Dam on Brahmaputra River) पर 60 हजार मेगावाट क्षमता की पड़ोसी देश की पनबिजली परियोजना को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह सतर्क है और इस पर पैनी नजर बनाये हुए है. उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के कारण भारतीय हित प्रभावित न हों, इसे लेकर सरकार पूरी तरह से जागरूक है.
शेखावत ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘ चीन पहले लगातार इस बात से इंकार करता रहा है कि इस तरह की उसकी कोई बांध परियोजना है. लेकिन गत दो-तीन वर्षों में, पहले वहां की सरकारी कंपनी ‘पावर चाइना’ (Power China) ने और बाद में वहां की सरकार ने अपनी पंचवर्षीय योजना में इस बात का उल्लेख किया है.’’ उन्होंने कहा कि पहले ‘पावर चाइना’ ने और बाद में वहां की सरकार ने अपनी पंचवर्षीय योजना में उल्लेख किया कि ब्रह्मपुत्र नदी जहां पर भारत में प्रवेश करती है, उससे पहले ऊपरी इलाके में कई तरह के ढांचे खड़े कर 60 हजार मेगावाट पनबिजली पैदा की जायेगी.
शेखावत ने कहा, ‘‘ भारत सरकार निरंतर इस विषय पर पैनी नजर रखे हुए है और भारत के हितों पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े, इसके लिए हर संभव कदम उठाने के लिए जागरूक भी हैं और आगे काम भी करेंगे.’’ गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में कई रिपोर्ट में यह कहा गया है कि चीन, अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीब तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बड़ी पनबिजली परियोजना का निर्माण कर रहा है.
चीन की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के हवाले से वर्ष 2021 में कहा गया था कि चीन की शीर्ष विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की वर्ष 2021 में हुई बैठक में 14वीं पंचवर्षीय योजना को मंजूरी दी गई थी. चौदहवीं पंचवर्षीय योजना में ब्रह्मपुत्र नदी की धारा पर बांध बनाना शामिल था. ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में यारलुंग सांगपो कहा जाता है, जिस पर बांध बनाने का प्रस्ताव किया गया था. इस पर भारत और बांग्लादेश ने चिंता जताई थी. चीन ने इस तरह की चिंताओं को दूर करते हुए कहा था कि वह उनके हितों को ध्यान में रखेगा.