नए साल 2023 की जब से शुरुआत हुई है एक के बाद एक त्योहारों के आने का सिलसिला कायम है। अभी कुछ दिनों पहले ही रंगों का त्योहार होली मनाई गई। न सिर्फ भारत में बल्कि दूसरे देशों में भी होली के त्योहार की धूम देखने को मिलती है। वहीं, अब एक दिन बाद यानी 15 मार्च 2023 को शीतला अष्टमी मनाई जाएगी जिसे कई जगहों पर बासोड़ा भी कहा जाता है। शीतला अष्टमी से एक दिन पहले शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इसी दिन रात में महिलाएं माता शीतला के लिए दूध, दही, चावल, गन्ने का रस जैसी चीजों से बने नैवेद्य का भोग बनाने का काम करती हैं।
क्यों दूसरे पर्व से खास है शीतला अष्टमी
शीतला अष्टमी इसलिए सभी पर्वों से अलग है क्योंकि इस दिन माता शीतला को लगने वाला भोग बासी और ठंडा होता है जबकि हमारे हिन्दू धर्म में ज्यादातर सभी त्योहारों, पर्वों पर भगवानों के लिए गर्म और ताजा भोग बनाया जाता है। हालांकि मां शीतला को चढ़ने वाले इस भोग को बनाते समय कई बातों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। वरना आपकी मेहनत बर्बाद हो सकती है। तो चलिए आपको बताते हैं आपको भोग बनाते हुए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए…
भोग बनाते समय बिलकुल न करें ये गलतियां
- मां शीतला का भोग बनाने जा रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि उसे धीमी आंच में पकाना चाहिए। मां शीतला के लिए बनाया गया भोग बिलकुल भी ज्यादा पका या जला हुआ नहीं होना चाहिए।
- मां शीतला का भोग जो भी आप बना रहे हों वो केवल घी में बना होना चाहिए।
- शीतला अष्टमी पर मां को लगाया जाने वाला भोग एक दिन पहले ही सप्तमी को बनाना चाहिए।
- भोग बनाने से पहले और बनाने के बाद अपने किचन यानी रसोई घर में साफ-सफाई करें।
- भोग बन जाने के बाद चूल्हे पर रोली, अक्षत, फूल आदि चढ़ाकर दीपक जलाएं। इसके बाद अष्टमी के दिन पूजा होने तक चूल्हे को हाथ न लगाएं।
- हर व्रत और पूजा-पाठ की तरह ही शीतला अष्टमी के दिन भी जल्दी उठकर स्नान आदि से स्वच्छ हो जाना चाहिए। इसके बाद बनाए गए पकवानों से मां को भोग लगाना चाहिए।
- अब मां की विधि-विधान से पूजा करें और उनसे सुखी जीवन की कामना करें।