रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद करने से खुद मुश्किल में नाटो देश, हथियारों का जखीरा घटने से संकट में पड़ी अपनी ही सुरक्षा!

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वॉशिंगटन। रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की मदद कर रहे उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) देशों की चिंता बढ़ गई है। नाटो के महासचिव जेम्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि यूक्रेन लगातार मिल रहे हथियार और गोलाबारूद का रूस के खिलाफ जमकर इस्तेमाल कर रहा है। इससे नाटो देशों के सामने हथियारों का संकट खड़ा हो सकता है। नाटो देशों के पास हथियार कम पड़े, तो किसी भी हमले की सूरत में बड़ी दिक्कत पैदा हो सकती है। बता दें कि यूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी 2022 को हमला बोला था। इस जंग के एक साल पूरे होने वाले हैं। ऐसे में नाटो की हथियार कम होने की चिंता रूस की बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत की ओर इशारा कर रही है। सुनिए जेम्स स्टोलटेनबर्ग ने क्या कहा।

नाटो देशों से यूक्रेन को लाखों करोड़ डॉलर के हथियार दिए गए हैं। अब भी हथियार दिए जा रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलिंस्की बीते दिनों ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों के दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने एक बार फिर हथियार और गोलाबारूद की मांग की। ब्रिटेन और सहयोगी देशों ने जेलिंस्की को हथियार देने का वादा भी किया है, लेकिन अब नाटो महासचिव की चिंता के बाद यूक्रेन को सैन्य मदद मिलने में देरी हो सकती है।

नाटो महासचिव जेम्स स्टोलटेनबर्ग ने सदस्य देशों से कहा है कि वे अपने हथियार और गोलाबारूद का प्रोडक्शन बढ़ाएं, ताकि हथियारों की कमी को दूर किया जा सके। जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका ने हाल ही में यूक्रेन को आधुनिक टैंक और अन्य हथियार देने का एलान किया था। कनाडा ने भी टैंक भेजे हैं, लेकिन इन सारे कदमों से रूस के किसी भी अन्य कदम का सामना करने में अब नाटो देशों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। हथियार और गोलाबारूद बनाने में काफी वक्त लगता है। ऐसे में नाटो महासचिव की चिंता काफी गंभीर मानी जा रही है।


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