लखनऊ। यूपी में 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद तमाम जगहों के नाम बदले गए। मुगलसराय का नाम दीन दयाल उपाध्याय नगर हो गया। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया गया। अब मामला राजधानी लखनऊ का फंसा है। लखनऊ का नाम बदलने की मांग जोर पकड़ रही है और इस मसले पर सपा और बीजेपी के बीच सियासी संग्राम छिड़ गया है। लखनऊ का नाम लक्ष्मणपुरी करने की मांग यूपी के प्रतापगढ़ से बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता ने उठाई है। उन्होंने राजधानी का नाम बदलने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट से पहले एयरपोर्ट के बाहर लक्ष्मणजी की मूर्ति भी लगाई गई है। लक्ष्मणजी की एक मूर्ति पहले ही केडी सिंह बाबू स्टेडियम के सामने बने पार्क में लगी है।
बीजेपी सांसद की तरफ से लखनऊ को लक्ष्मणपुरी का नाम देने की मांग पर सपा भी विरोध में मैदान में कूदी है। सपा के नेता सुनील कुमार साजन ने टीवी चैनल आजतक से बातचीत में कहा कि लखनऊ का नाम बदलने से क्या हासिल होने वाला है। उन्होंने तंज कसने के अंदाज में कहा कि अगर बदलना है, तो सूबे का ही नाम बदल डालिए। इस मामले में यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का कहना है कि अभी लखनऊ का नाम बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इस बारे में कोई पत्रावली नहीं आई है। उन्होंने कहा कि सभी मानते हैं कि लखनऊ का लक्ष्मणजी से नाता है। वहीं, नाम बदलने की इस सियासत में सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव से दोस्ती कर रिश्ते खत्म कर चुके सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी कूद पड़े हैं। राजभर ने गाजीपुर को विश्वामित्र नगर और बहराइच का नाम बदलकर महाराजा सुहेलदेव राजभर नगर करने की मांग वाली चिट्ठी सीएम योगी को भेजी है।
जो इतिहास भूल जाते है वह कभी इतिहास नहीं बना पाते है,अपना इतिहास बचाना हमारी ज़िम्मेदारी है।
बहराईच ज़िले का नाम बदलकर महाराजा सुहेलदेव राजभर नगर किया जाय व गाजीपुर जिले का नाम विश्वामित्र नगर किया जाय तभी हमारे पूर्वजों के पराक्रम के बारे में आने वाली पीढ़ियों को पता चल पाएगा। pic.twitter.com/ntIlLo8fH1
— Om Prakash Rajbhar (@oprajbhar) February 8, 2023
बात अगर लखनऊ की करें, तो मान्यता है कि भगवान राम के भाई लक्ष्मणजी ने इस नगर को बसाया था। कहा जाता है कि लखनऊ में जहां आज टीले वाली मस्जिद है, वहां लक्ष्मण गुफा थी। जिसमें बैठकर लक्ष्मणजी ने तपस्या की थी। पहले लखनऊ नगर निगम ने टीले वाली मस्जिद के बाहर चौराहे पर लक्ष्मणजी की मूर्ति स्थापित करने का एलान किया था, लेकिन फिर उस फैसले पर अमल नहीं किया गया।