कहने को छोटा सा शहर पर राजनीती के मामले में फिर चाहे छात्र संघ चुनाव हो, व्यापार मंडल चुनाव हो, विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो हमेशा प्रदेश भर में सुर्खियों रहता है। औऱ इसीलिए इस बार फिर रुद्रपुर व्यापार मंडल का चुनाव सुर्खियों में है। आँखिर इसके कई पहलू हैं जिसमें से इस बार फिर जो सबसे बड़ा पहलू है वो है परिवारवाद, या बिरादरी वाद।
बता दें जब से रुद्रपुर व्यापार मंडल चुनावों की घोषणा हुई है तब से ये सुर्खियों में बना ह्या है हर दूसरे दिन एक नया मोड़, एक नया देव पेंच खेला जाता गया है। आखिर किस के लिए? सवाल बड़ा है पर उत्तर औऱ कारण कई हैं. औऱ हालात यहाँ तक पहुंच गए की भले ही अभी देश में परीसीमन 2027 में होगा पर रुद्रपुर व्यापार मंडल के चुनावों में परीसीमन 2024 में ही होगया। कारण मन ही मन औऱ एक समाज का जिसका व्यापारियों में प्रभुत्व है सभी जानते हैं कोई रूठ रहा था तो कोई किसी का चहेता था इस वजह से शहर का एक मुख्य व्यापारमंडल दो धड़ो में बट गया औऱ बट गया ये छोटा सा शहर भी आँखिर क्यू किसकी स्वार्थ सिद्धि के लिए? आज ये ही हाल महामंत्री पद की दावेदारी करने वाले दावेदारों के बीच भी देखने को मिला जहाँ फिर एक ही समाज से आने वाले तीनो दावेदार फिर कहीं भिड़ते तो कहीं किसी के दबाव औऱ कहने पर अपनी दावेदारी छोड़ते नजर आए।
अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है की आँखिर जब कुछ बड़े बुजुर्ग समाज के लोगों नें ही किसी को बैठाना या लड़ाना है तो फिर क्यू दिखावे के लिए चुनाव कराए जा रहे हैं ऐसा भी नहीं की व्यापार मंडल के पद कोई संवेधानिक पद हैं जिसमें सरकार से गाड़ी बंगला नौकर सब मिलेंगे? अगर नहीं तो फिर कल तक एक दूसरे के खिलाफ दावेदारी करने वाले नेताओं को पहले ही अपने उन बुजुर्ग लोगों के पास जाकर सेटिंग बैठा कर पद बाँट लेने चाहिए थे बाद में छिटाकसी औऱ आपसी बयानबाजी से कहीं ना कहीं उस समाज विशेष के व्यापारी की ही इज़्ज़त का चीरहरण उन बुजुर्ग भीष्मपितामहों के सामने क्यू हो रहा है?
बता दें की सूत्रो की माने तो कल तक महामंत्री पद की दावेदारी करने वाले राजेश कामरा नें जहाँ 100 के आस पास वोट बनवाए थे तो वहीं दूसरे दावेदार हरीश अरोरा नें तक़रीबन 80 वोट बनवाए थे औऱ वहीं तीसरे दावेदार नें तक़रीबन 700 वोट बनवाए थे फिर गणित कौन लगा रहा है औऱ कौन सा बुजुर्ग भीष्मपितामह किसको चुनाव जिताना चाह रहा है वो इस समाज औऱ व्यापारियों को आपस में भली भांति पता है। अगर चर्चाओं की बाँत करें तो अब महामंत्री पद के एक दावेदार को चुनाव लड़ाने के लिए जहाँ तराई के शेर अपना समर्थन देंगे वहीं दूसरी ओर बीजेपी के रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा अपना समर्थन देंगे। क्यूकी दूसरे उमीदवार पर बीजेपी के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल का करीबी का ठप्पा लगा है फिर उसी समाज में एक छोटे से व्यापार मंडल के चुनाव में आँखिरकार डर्टीपॉलिटिक्स अपना प्रभाव डालेगी ये तय है।और फिर एक बार व्यापारियों के भीष्मपितामह कुछ समय के लिए आँखे मूँद लेंगे।